क्या भारत में कोर्ट मैरिज मान्य है ?

क्या भारत में कोर्ट मैरिज मान्य है ?

भारत में शादी दो लोगों का निजी फैसला नहीं है बल्कि ये पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान का विषय माना जाता है। ऐसे में कई बार हमारे संस्कार और संस्कृति प्रेमी और प्रेमिका के बीच के निजी फैसले  को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। जिसका परिणाम यह होता है या तो प्रेमी जोड़ा समाज और परिवार के दबाव को मान कर अलग हो जाता या फिर वो अपने फंडामेंटल राईट यानी ‘जीने के अधिकार’ का प्रयोग करता और वो सामाजिक और पारिवारिक दीवारों को तोड़ कर कोर्ट मैरिज का रास्ता अपनाते हैं। 

संविधान का अनुच्छेद 21 व्यक्ति को स्वतंत्रता से जीने का हक़ देता है। यहां तक कि अपनी पसंद से शादी करने का भी अधिकार देता है। भारत के संविधान के मुताबिक़ कोइ भी व्यक्ति शादी की लीगल ऐज को पूरा करने के बाद  स्वेच्छा से कोर्ट मैरिज कर सकता है और यह कोर्ट मैरिज पूरे भारत भर में मान्य होती है। कोर्ट मैरिज में साक्षी स्वयं न्यायालय भी होता है इसलिए कोर्ट मैरिज की मान्यता अन्य सभी शादी के प्रमाण पत्रों से अधिक होती है । 

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भारत में शादी करने की न्यूनतम उम्र क्या है? 

वैसे तो शादी करने के लिए हमारे देश में अलग-अलग तरह के एक्ट और नियम है जैसे हिंदू मैरिज एक्ट, मुस्लिम पर्सनल लॉ, पारसी विवाह एक्ट आदि और विवाह करने के लिए न्यूनतम आयु भी इन नियमों के अनुसार अलग-अलग है।

सामान्य रूप से विवाह करने के लिए युवक का 21 वर्ष का होना अनिवार्य है तथा युवती को 18 वर्ष की उम्र पार करना अनिवार्य है।

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मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की क्या आवश्यकता होती है? 

कोर्ट मैरिज द्वारा जारी किया गया मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कोर्ट द्वारा विवाहित पुरुष और महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट होता है जिसका कपल पूरे देश भर में उपयोग कर सकते  हैं।

खासकर इसका उपयोग पासपोर्ट अप्लाई करने के लिए भी किया जा सकता है इसके अलावा बैंक अकाउंट खोलने में , किसी दूसरे देश में जाने के लिए वीजा को अप्लाई करने में किया जाता है। 

कोर्ट द्वारा जारी किया गया मैरिज सर्टिफिकेट एक ऑफिशियल सर्टिफिकेट होता है। जो यय निर्धारित करता है कि दो लोगों की कोर्ट में शादी हुई है तथा यह शादी पूरे भारत भर में मान्य है ।

क्या कोर्ट मैरिज करने पर पैसे मिलते हैं? 

कई बार अक्सर ऐसे सवाल देखने को मिलते हैं कि क्या कोर्ट मैरिज करने पर सरकार कुछ पैसे भी देती है। दरअसल सामान्य रूप से अगर कोई दंपति कोर्ट मैरिज करता है तो उसे सरकार द्वारा कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाती है लेकिन यदि शादी करने वाले जोड़ों में से कोई एक (महिला या पुरुष) दलित है और दूसरा स्वर्ण वर्ग से तो जोड़े को ढाई लाख रुपए दिए जाते हैं। यह धनराशि देश में अंतर जातीय विवाहों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा डॉक्टर अंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटर कास्ट मैरिज के तहत दी जाती है।

इसके तहत सबसे पहले शादी करने वाले व्यक्ति को एक हलफनामा दर्ज कराना होता है ताकि आसानी के साथ उन्हें इस सुविधा का लाभ मिल सके।

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