बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र से एक याचिका पर जवाब मांगा है। इस याचिका में ईसाई महिलाओं ने अपने आधार कार्ड पर अपना नाम बदलते समय अपनी चुनौतियों पर प्रकाश डाला है। इन ईसाई महिलाओं को अपने आधार कार्ड में शर्तों को बदलने में बेहद मुश्किल होती है क्योंकि चर्च से प्राप्त विवाह प्रमाणपत्र को आधार के लिए वैध दस्तावेज नहीं माना जाता है।
आइये आज इस आलेख के माध्यम से इस पूरे विवरण एक नज़र डालते हैं और समझते हैं कि क्या चर्च से प्राप्त विवाह प्रमाण पत्र आधार कार्ड में नाम बदलवाने के लिए वैध है या नहीं?
एक चर्च सहित किसी भी धार्मिक स्थान द्वारा जारी किया गया विवाह प्रमाण पत्र जहां विवाह संपन्न हुआ था केवल यह साबित करने के लिए एक दस्तावेज के रूप में देखा जा सकता है कि विवाह किया गया जा चुका है।
आधार के लिए आवेदन करने के लिए एक वैध दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है और इन दस्तावेज़ों को आधिकारिक रूप से स्वीकार करने की आवश्यकता होती है। चर्च मैरिज सर्टिफिकेट का मुद्दा तब सामने आया जब आधार को लेकर एक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई।
मई 2022 में न्यायमूर्ति रेवती-मोहिते डेरे के साथ ही न्याय मूर्ती माधव जामदार ने रोमन कैथोलिक ईसाई महिला 27 वर्षीय मौरिसा अल्मेडा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की।
26 दिसंबर 2021 को मौरिसा अल्मेडा ने स्वप्निल से वसई के अवर लेडी ऑफ मर्सी चर्च में शादी की थी। शादी के बाद मौरिसा अलमेडा ने अपना विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त किया जिसे पल्ली फादर द्वारा 19 जनवरी 2022 को जारी किया गया था और वसई सूबा के चांसलर ने विवाह प्रमाणपत्र का सत्यापन किया था और फिर इसे नोटरीकृत किया गया था।
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याचिका के अनुसार 14 फरवरी 2022 को वसई स्थित आधार केंद्र ने याचिका कर्ता का फॉर्म स्वीकार नहीं किया। कहा गया चर्च विवाह प्रमाणपत्र उचित दस्तावेज नहीं है और आधार कार्ड के लिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
कर्मचारियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि महिला या तो विशेष विवाह अधिनियम के तहत या मंत्रालय में ईसाई विवाह पंजीयक के सामने शादी कर सकती है या आधिकारिक राजपत्र में अपना नाम बदल सकती है।
इस समस्या का सामना करने वाली वह अकेली महिला नहीं हैं। कई अन्य ईसाई महिलाओं को शादी के बाद आधार कार्ड, बैंक खाते, पैन कार्ड , पासपोर्ट आदि जैसे कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों में अपना नाम बदलने में बहुत मुश्किल हुई थी।
इसके अलावा विदेश प्रवास करने के इच्छुक जोड़ो पर भी रोक लगा दी गई है। क्योंकि विदेशी वाणिज्य दूतावास वैध पंजीकृत विवाह प्रमाणपत्र की मांग कर रहे हैं।
याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र को एक नोटिस जारी करते हुए केंद्र से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।
क्या चर्च द्वारा प्रदान मैरिज सर्टिफिकेट एक कानूनी दस्तावेज है?
किसी भी चर्च या धार्मिक संस्थान द्वारा प्रदान किया गया एक प्रमाण पत्र सिर्फ यह बात पुष्टि करने के लिए है कि अमुक संस्थान में इस विवाह को पूर्ण किया गया है। यह कभी कभी विवाह प्रमाण के लिए एक कानूनी दस्तावेज नहीं होता है।
इसे विवाह की वैधता के दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। किसी भी विवाह को पंजीकृत कराया जाना भारत मे अब अनिवार्य हो चुका है। इसे मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय में जा कर पंजीकृत करवाया जा सकता है।
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