इंटर कास्ट मैरिज क्या है?
इंटर कास्ट मैरिज के माध्यम से सामाजिक एकता के लिए डॉ. बी.आर. अम्बेडकर योजना का शुभारंभ सरकार ने इस उद्देश्य के लिए किया था कि इंटर कास्ट मैरिज किए जाएं। केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत इंटर कास्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को प्रोत्साहन राशि 2.5 लाख रुपये भी देती है। वहीं इस योजना में संशोधन कर के आयुसीमा को भी घटा दिया गया है।
सरकार द्वारा चलाई जाने वाली यह योजना इंटर कास्ट मैरिजों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। आज इस आलेख के माध्यम से हम समझेंगे डॉ बी आर अम्बेडकर योजना के तहत प्रदान किये जाने प्रोत्साहन राशि को आप कैसे प्राप्त कर सकते है? इस के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या हैं? और इस योजना के उद्देश्य क्या है?
डॉ बी आर अम्बेडकर योजना का उद्देश्य नवविवाहित जोड़े द्वारा उठाए गए अंतर-जातीय विवाह के सामाजिक रूप से साहसिक कदम की सराहना करना और जोड़े को वित्तीय प्रोत्साहन देना है। ताकि वे अपने विवाहित जीवन के प्रारंभिक चरण में घर बसाने में सक्षम हो सकें ताकि इसे किसी रोजगार सृजन या गरीबी उन्मूलन योजना की पूरक योजना के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।
इस योजना के तहत कुछ पात्रता मापदंड भी रखे गए हैं जिनका ध्यान रखा जाना बेहद आवश्यक है। आइये जानते हैं कि
इस योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु पात्रता के मापदंड क्या हैं?
- इस योजना के लिए सब से पहला मापदंड के लिए किसी इंटर कास्ट मैरिज का होना बेहद आवश्यक है। एक अंतर-जातीय विवाह का अर्थ है एक विवाह जिसमें पति-पत्नी में से एक अनुसूचित जाति का है और दूसरा गैर-अनुसूचित जाति का है।
- विवाह कानून के अनुसार वैध होना चाहिए और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत विधिवत पंजीकृत होना चाहिए। उनके कानूनी रूप से विवाहित होने और वैवाहिक गठबंधन में एक हलफनामा युगल द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।
- ऐसे मामलों में, जहां विवाह हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अलावा पंजीकृत है, जोड़े को प्रारूप के अनुबंध-1 के अनुसार एक अलग प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है।
- दूसरी या बाद की शादी पर कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिलती है।
- विवाह के एक वर्ष के भीतर प्रस्तुत किए जाने पर ही प्रस्ताव को वैध माना जाएगा।
- योजना के तहत प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव या तो संसद सदस्य या विधान सभा सदस्य या जिला कलेक्टर / मजिस्ट्रेट द्वारा अनुशंसित किया जाना चाहिए और राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार / जिला मजिस्ट्रेट / जिला कलेक्टर / उपायुक्त द्वारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
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इन पात्रता मापदंडो को पूर्ण करने के पश्चात हमें कुछ आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। जिन्हें इस योजना के लिए प्रस्तुत किया जाना बेहद आवश्यक है। आइये समझते हैं कि वे आवश्यक दस्तावेज कौन से हैं जिनका प्रस्तुतीकरण इस योजना के लाभ के लिए आवश्यक है।
आवश्यक दस्तावेज कौन से हैं?
- आवेदन प्रोफार्मा।
- अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र।
- सामान्य जाति प्रमाण पत्र।
- हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत विवाह प्रमाण पत्र।
- हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अलावा अन्य मामले में धर्म प्रमाण पत्र।
- विवाह के एक वर्ष के भीतर आवेदन जमा करने की तिथि।
- प्रथम विवाह शपथ पत्र / प्रमाण पत्र।
- सांसद/विधायक की अनुशंसा।
- जिला कलेक्टर / मजिस्ट्रेट की सिफारिश और राज्य / केंद्रशासित प्रदेश सरकार / जिला मजिस्ट्रेट / जिला कलेक्टर / उपायुक्त द्वारा प्रस्तुत।
इन सभी दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के पश्चात आप इस योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के योग्य हो सकते हैं। इस योजना के तहत प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा 2.5 लाख रुपये की प्रदान की जाती है। कानूनी अंतर्जातीय विवाह के लिए प्रोत्साहन प्रति विवाह 2.5 लाख रुपये दो किश्तों में प्रदान किये जाते हैं।
दस रुपये के गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर पूर्व-मुद्रांकित रसीद प्राप्त होने पर पात्र दंपत्ति को 1.50 लाख रुपये की राशि आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से दंपत्ति के संयुक्त खाते में जारी की जाएगी और शेष राशि में रखी जाएगी। फाउंडेशन में 3 साल की अवधि के लिए सावधि जमा। यह राशि फाउंडेशन द्वारा प्रोत्साहन राशि मंजूर किए जाने के 3 साल बाद जोड़े को उस पर अर्जित ब्याज सहित जारी की जाएगी।
इंटर कास्ट मैरिज करने पर राज्य सरकारों द्वारा भी प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है। ओडिशा सरकार में इंटर कास्ट मैरिज करने पर जोड़ो को 1 लाख रुपए की राशि देने का प्रावधान रखा है। वहीं बिहार सरकार अपनी जाति से बाहर शादी करने वाले जोड़ों को 1 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान करती है।
कर्नाटक में अगर पत्नी अनुसूचित जाति से है तो अंतरजातीय जोड़े को 3 लाख रुपये और पति के होने पर 2 लाख रुपये मिल सकते हैं। राजस्थान एकमात्र राज्य है जो अंतरजातीय जोड़ों को 5 लाख रुपये देता है।
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