जानें कैसे बढ़ रही है भारत में शादी के लिए लड़की की उम्र

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भारत में, 15 दिसंबर 2021 को कैबिनेट मीटिंग में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी। अब लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को 18 से बढ़ा कर 21 कर दी जाएगी। जल्द ही इससे जुड़े कानून बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 और विशेष विवाह अधिनयम 1954 और हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 में संशोधन किया जायेगा। लड़कियों के लिए शादी की कानूनी उम्र पहली बार नहीं बढ़ाई गयी है। इससे पहले सारदा एक्ट के तहत शादी की उम्र तय की थी।

सारदा एक्ट 1929:- 

सबसे पहली बार सारदा एक्ट के तहत शादी की उम्र को लेकर कानून बनाया था। इससे पहले भारत में बाल विवाह खूब प्रचलन में था। जिससे छोटी उम्र में लड़कियां माँ बनती थी। इससे मातृत्व मृत्यु दर बहुत बढ़ गया था। उस समय भी बाल विवाह का विरोध करने वाले लोग थे। जिन्होंने इसके खिलाफ कई आंदोलन भी किये। उन्ही समाज के शुभ चिंतको में से एक थे, राय साहेब हरबिलास सारदा जो की एक शिक्षाविद, न्यायाधीश, राजनेता और समाज सुधारक थे।

1927 में, राय साहेब हरबिलास सारदा ने बाल विवाहों को रोकने के लिए एक अपील की जिसमे लड़को की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कियों की 14 वर्ष रखी गयी थी। आखिरकार यह अपील पास हुयी और इसे सारदा एक्ट 1929 का नाम दिया गया था। इसके बाद 14 साल से छोटी बच्चियों की शादी करना कानूनन अपराध था। धीरे-धीरे समय बदलता गया लेकिन बच्चियों की स्तिथि में कोई सुधार नहीं आया और बाल विवाह ऐसे ही होते रहे।

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दंड का प्रावधान:-

ऐसा शायद इसीलिए हुआ क्योकि सारदा एक्ट 1929 में नियमों का उल्लंघन करने पर ज्यादा दंड का प्रावधान नहीं था। ऐसा करने पर सिर्फ 15 दिन की जेल की सजा और एक हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान था। जिस वजह से लोग निडर होकर ये अपराध करते थे। फिर सरकार ने बाल विवाह रोकने के लिए सन 1978 में सारदा एक्ट में संशोधन किया था। संशोधन में शादी की उम्र लड़को की 18 से बढाकर 21 और लड़कियों की 14 से बढाकर 18 कर दी गयी।

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लेकिन फिर भी बाल विवाह में कोई रोक थाम नहीं हुई, जिस वजह से एक और नया क़ानून बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लाया गया। दरअसल, देखा जाऐ तो सारदा एक्ट के द्वारा ही इस नए अधिनियम की नींव रखी गयी थी।

बाल विवाह अधिनियम:- 

इस नियम के तहत लड़को की मिनिमम मैरिज ऐज 21 वर्ष और लड़कियो की 18 वर्ष निश्चित कर दी गयी थी। अगर कोई बच्चों की मिनिमम मैरीज एज पूरी होने से पहले उनकी शादी कराता है, तो वो जुर्म होता है और उसको कड़ी सजा दी जाती है। इस नियम के तहत 2 साल की जेल की सजा और 1 लाख रूपये जुर्माना भरना होता है। अगस्त 2020 में देश में एक बार फिर लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने की चर्चा हुई। सरकार ने इस बात पर अपने कुछ पक्ष रखे है, देखते है वो कौनसे पक्ष है। 

सरकार के पक्ष:-

(1) नियम का उद्देशय :-

यह कानून देश के लिए नहीं बल्कि देश की बेटियों के लिए बनाया जा रहा है। यह जनसँख्या काबू में करने के लिए नहीं बल्कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए बनाया है। 18 वर्ष की उम्र तक लड़कियां स्कूल या कॉलेज में पढ़ रही होती है और उनकी शादी करा दी जाती है। जिससे वह ना पढ़ पाती, ना करियर बना पाती। सरकार चाहती है की लड़कियों की शादी तब हो जब वो उसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हो, मच्योर हो, अपने अधिकारों को समझती हो। 

(2) देर से शादी करना है सकारात्मक :-

सरकार का मनना है की देर से शादी करने से देश पर और देश के नागरिकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। महिलायें, बच्चे, परिवार, स्वास्थय, समाज के आर्थिक और सामाजिक दरों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

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(3) स्वास्थय रहेगा अच्छा :-

सरकार का पक्ष है की सिर्फ इस वजह से की लड़की मासिक धरम से होने लगी है। और अब वो बच्चे को जन्म दे सकती है। तो उसकी शादी कर दी जाये। यह गलत है। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहने चाहिए, इसके लिए जरुरी है की लड़की बच्चे को जन्म देने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम हो। इसी के साथ मातृत्व मृत्यु दर में भी कमी आएगी और नवजात बच्चो को भी भरपूर पोषण मिलेगा।

हो सकते है नकारात्मक प्रभाव :-

जैसा की हम जानते है की हर सिक्के के दो पहलु होते है वैसे ही इस कानून के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते है। 

(1) लव मैरिज के खिलाफ पेरेंट्स :-

भारत में आज भी ज्यादातर पेरेंट्स लव मैरिज को पसंद नहीं करते है। जिसके परिणामस्वरूप आजकल टीनेजर्स अपनी पसंद का पार्टनर से शादी करने के लिए कोर्ट मैरिज का रास्ता अपनाते है। जो लोग इंतज़ार में थे की वे 18 या 21 वर्ष (मिनिमम मैरिज ऐज) पूरे होने पर शादी करेंगे। अब उन्हें और ज्यादा इंतज़ार करना होगा। कई बार इसे लेकर फैमिली, टीनेजर्स खासतौर पर लड़कियों पर बहुत ज्यादा बंदिशे लगा देती है। जैसे उनकी पढाई छुड़वाना, घर से बाहर ना जाने देना, इमोशनल टॉर्चर करना, कभी कभी मारना-पीटना भी, आदि।  

(2) देश में बढ़ता कुपोषण भी है वजह :-

सरकार को केवल मैरिज ऐज ही नहीं बल्कि देश के पोषण भरण की तरफ भी ध्यान देने की जरूरत है। आजादी के इतने सालों बाद भी भारत की एक बड़ी जनसँख्या कुपोषित है। जिसमे करोड़ो बच्चे है, जिनमे से ज्यादातर लड़कियां है। जब ये बच्चियां बड़ी होकर माँ बनेगी तब ये तो पहले से कूपोषित है ही और आने वाली पीढ़ी भी इसका शिकार हो जाएगी। ये एक बड़ी समस्या है जिसका हल निकलना बहुत ज़रूरी है।  

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सावधानी :-

भारत में कानून पर ज्यादा कड़ाई की जरुरत है क्योकि आज भी बाल विवाह होते है। इतने सारे कानून बन रहे है, समय पर संशोधन हो रहे है, सजा व जुर्माने का प्रावधान भी है लेकिन फिर भी बाल विवाह नहीं रुक रहे है। जो एक चिंता का विषय है। तो इसके लिए जरुरी है की सरकार कड़ाई से इस तरफ ज्यादा ध्यान दे। जहाँ भी ऐसा कुछ हो उस पर जल्दी और कड़ाई से एक्शन लिया जाना चाहिए।

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