कोर्ट मैरिज करने का सही और लीगल तरीका क्या है जानिए।

कोर्ट मैरिज करने का सही और लीगल तरीका क्या है जानिए।

कोर्ट मैरिज सामाजिक तौर पर होने वाली शादियों से बहुत अलग होती है। यह कोर्ट के द्वारा की जाती है। यह मैरिज करने के बाद कोर्ट से “मैरिज सर्टिफिकेट” जारी किया जाता है। यह सर्टिफिकेट कपल की शादी का लीगल प्रूफ होता है। इस मैरिज और इसके सर्टिफिकेट के बहुत सारे फायदे है। जैसे इस मैरिज मे बहुत कम खर्चा होता है। स्पाउज़ वीजा बनवाने में भी मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है। और जॉइंट वर्क, जॉइंट प्रोपर्टी खरीदने या फिर जॉइंट इन्वेस्टमेंट में भी मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है।

साथ ही, मैट्रीमोनी डिस्प्यूट जैसे डाइवोर्स, बच्चो की कस्टडी आदि में भी मैरिज सर्टिफिकेट काम आता है। अब जानते है कि यह मैरिज क्या और कैसे होती है?और इसमें कितना समय लगता है।

कोर्ट मैरिज क्या और कैसे होती है:-

जब एक बालिग़ लड़का और लड़की परंपरागत समारोह जैसे – रीती रिवाज़, फेरे-बारात, बैंड बाजा आदि के बिना मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में शादी करते है, तो वह कोर्ट मैरिज होती है। सभी कोर्ट मैरिज, स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत होती हैं। इस मैरिज के लिए धर्म या जाती का सेम होना जरूरी नहीं है, इसमें अलग-अलग धरम या जाती से बिलोंग करने वाले कपल्स भी लीगली शादी कर सकते है। भारत में एक विदेशी और एक भारतीय नागरिक की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है।

कोर्ट मैरिज करने के लिए कपल को मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में एक एप्लीकेशन और कुछ बेसिक डाक्यूमेंट्स देने होते है। फिर कुछ बेसिक फोर्मैलिटीज करने के बाद, मैरिज रजिस्ट्रार कपल की शादी के लिए उन्हें एक डेट देता है। उस डेट पर कपल को तीन गवाहों के साथ, अपनी मैरिज परफॉर्म करने के लिए जाना होता है । गवाह कपल की फैमिली, उनके दोस्त या कोई भी हो सकते है।

कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी बातें:-

यह समझना भी जरूरी है कि कोर्ट मैरिज करने के लिए किन बातों का ध्यान रखना होता है –

(1) दूसरी शादी के केस में:- कोर्ट मैरिज करते समय दोनों में से किसी भी पार्टनर का पहले से हस्बैंड या वाइफ नहीं होना चाहिए। अगर किसी पार्टनर की पहले भी शादी हुई है और उसका पार्टनर जिन्दा है, तो दूसरी शादी करने से पहले उसका कानूनी रूप से डाइवोर्स लेना जरूरी है।

(2) लीगली रेडी:- मैरिज के समय दोनों पार्टनर्स की वैध सहमति होनी चाहिए। मतलब, शादी में दोनों पार्टनर्स अपनी इच्छा से शामिल होने चाहिए।

(3) सपिण्डा या प्रोबिटेड रिलेशनशिप:- हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत आपसी रिश्तेदारी जैसे – बहन, बुआ, मौसी, मामी आदि से शादी करना मना/वर्जित है। यह सपिण्डा रिलेशन कहलाते है। शादी करने के लिए कपल के बीच सपिण्डा रिलेशन नहीं होना चाहिए।

(4) दोनों पार्टनर्स की एज:- कानूनी तौर पर शादी करने के लिए दूल्हे की एज 21 साल और दुल्हन की एज 18 साल पूरी होनी चाहिए। इससे कम एज में शादी करना कानूनन अपराध है।

(5) दोनों पार्टनर्स की हेल्थ:- शादी के समय दोनों पार्टनर्स मानसिक रूप से स्टेबल होने चाहिए। और दोनों बच्चे पैदा करने के लिए शारीरिक रूप से सक्षम होने चाहिए।

जरूरी डाक्यूमेंट्स:-

कोर्ट मैरिज करने के लिए एप्लीकेशन के साथ दोनों पार्टनर्स के यह डाक्यूमेंट्स लगाने होते है –

1) पहचान पत्र – आधार कार्ड, वोटर आईडी
2) आयु प्रमाण – 10वी की मार्कशीट
3) फोटो – 6-6 पासपोर्ट साइज फोटो
4) दोबारा शादी – दोनों में से कोई पार्टनर डिवोर्सी है तो डाइवोर्स की डिक्री
5) विधवा या विधुर विधवा या विधुर है तो पहले पार्टनर का मृत्यु प्रमाणपत्र

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