गोद लेना बहुत लोगों के लिए आशा की किरण है। यह कई लोगों की ज़िंदगी में प्यार जोड़ती है। एक बच्चे और माता-पिता के बीच का रिश्ता और प्यार इतना शक्तिशाली और पवित्र होता है। यह एक सच्चा उदाहरण है कि आपको एक परिवार होने के लिए बायोलॉजिकल रूप से संबंधित होने की जरूरत नहीं है।
गोद लेना एक बेघर बच्चे के लिए फायदेमंद है। कोई भी बच्चा बिना परिवार के होने की दुर्दशा से गुजरने का हकदार नहीं है। गोद लेना एक बहुत ही पर्सनल मामला है। एक बच्चे को गोद लेने की बहुत सी वजहें हो सकती हैं। जैसे – बांझपन से लेकर अपने बच्चे को बेहतर भविष्य देने की आवश्यकता।
क्या किसी रिश्तेदार द्वारा बच्चे को गोद लिया जा सकता है?
हाँ एक कपल या एक सिंगल व्यक्ति भी अपने रिश्तेदार के बच्चे को गोद ले सकता है। बशर्ते गोद लेने की सभी जरूरतों को पूरा किया गया हो जैसे –
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
- बच्चे के बायोलॉजिकल माता-पिता की सहमति।
- गोद लेने वाला कपल सक्षम हो।
- बच्चा लेने में कपल या दोनों पार्टनर्स की सहमति हो।
- मानसिक और शारीरिक रूप से ठीक हो, आदि।
कौन-सा रिश्तेदार गोद ले सकता है?
किशोर न्याय अधिनियम 2015 के सेक्शन 2 सब सेक्शन 52 के अनुसार, एक बच्चे के यह रिश्तेदार उसे गोद ले सकते है।
- दादा-दादी
- मौसी-मौसा
- बुआ-फूफा
- मामा-मामी
- चाचा-चाची
- नाना-नानी
रिश्तेदार का बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया क्या है?
स्टेप 1
जो भी माता-पिता बैठे को गोद लेना चाहते है वह (Child Adoption Resource Information and Guidance System – CARINGS) के तहत खुद को रजिस्टर कराएं। रजिस्ट्रेशन के लिए सभी जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करें।
स्टेप 2
बच्चे के बायोलॉजिकल माता-पिता की सहमति या बाल कल्याण समिति की अनुमति जरूरी है।
जिन मामलों में जैविक माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है या वह किसी भी वजह से अपनी सहमति देने में असमर्थ हैं, उन केसिस में बच्चे के गार्डियन की अनुमति। सहमति को अनुसूची (Schedule) XIX या अनुसूची XXII के तरीके से दर्ज किया जाना चाहिए।
स्टेप 3
बच्चे की सहमति – गोद लेने के नियम 51 सब सेक्शन 3 में उन केसिस में बच्चे की सहमति की जरूरत होती है, जहां बच्चा 5 साल या उससे ज्यादा उम्र का है।
स्टेप 4
गोद लेने वाले माता-पिता सक्षम कोर्ट मतलब फैमिली,डिस्ट्रिक्ट या शहर के सिविल कोर्ट में किशोर न्याय देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 के सेक्शन 56(2) के तहत एक एप्लीकेशन फॉर्म भरें। एप्लीकेशन सहमति फॉर्म (अनुसूची XIX या अनुसूची XXII) के साथ फाइल किया जाना है।
स्टेप 5
गोद लेने की मंजूरी देने से पहले कोर्ट यह सुनिश्चित करेगी कि किशोर न्याय देखभाल और संरक्षण अधिनियम 2015 के सेक्शन 61 और गोद लेने के नियमों के 51 से 56 के तहत निर्धारित शर्तें पूरी है या नहीं।
स्टेप 6
सभी शर्तें पूरी होने पर प्रमाणित कॉपी गोद लेने वाले माता-पिता को दे दी जाएगी। उन्हें यह प्रमाणित कॉपी जिला बाल संरक्षण इकाई को देनी होगी। वह इस कॉपी को प्राधिकरण को ऑनलाइन जमा करेंगे।
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