क्या एक बालिग बेटी भरण पोषण की हकदार है?
हाँ, एक बालिग बेटी शारीरिक या मानसिक रूप से पीड़ित होने पर भरण-पोषण की हकदार है।
बालिग लड़कियों के भरण-पोषण के अधिकारों के लिए कौन कौन से कानून हैं?
भारतीय कानूनों में, बालिग लड़कियों के लिए कई धाराएं होती हैं जो उनके अधिकारों को संरक्षित करती हैं। निम्नलिखित कुछ ऐसे एक्ट और धाराएं हैं जो बालिग लड़कियों के भरण-पोषण के अधिकारों को संरक्षित करते हैं,
भारतीय साक्षरता अधिनियम, 2009 – इस अधिनियम के तहत, हर बालिका को निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाती है।
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बाल विवाह (प्रतिबंध) अधिनियम, 2006
इस अधिनियम के तहत, बालिकाओं की उम्र 18 वर्ष से कम होने के कारण विवाह नहीं कराया जा सकता।
बाल विवाह अधिनियम, 2006
इस अधिनियम के अंतर्गत, बालिकाओं की शादी किसी भी उम्र से पहले नहीं की जा सकती है। इस अधिनियम के उल्लंघन के लिए दंड भी होता है।
पोषण अधिनियम, 2016
इस अधिनियम के अंतर्गत, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार, हर बच्चे को पौष्टिक खाद्य पदार्थों से भरपूर आहार देना आवश्यक होता है। यह अधिनियम उन बच्चों के लिए है जो 6 से 14 वर्ष की उम्र के होते हैं।
बाल श्रम (निषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986
इस अधिनियम के अंतर्गत, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी व्यापार या उद्यम में शामिल होने से रोका गया है।
पीड़ित महिलाओं (संरक्षण कानून) अधिनियम, 2005
इस अधिनियम के तहत, बालिकाओं के लिए भी संरक्षण प्रदान किया जाता है जो शारीरिक या मानसिक रूप से पीड़ित होती हैं।
शारीरिक या मानसिक रूप से एक बेटी के पीड़ित होने पर कानूनन उसे भरण पोषण के क्या अधिकार हैं?
बालिग बेटियों के साथ शारीरिक या मानसिक दुख का सामना करना एक असामान्य स्थिति होती है। ये दुख कई तरह के हो सकते हैं, जैसे शारीरिक छोटे चोट या गंभीर घाव, मानसिक तनाव या असहज यौन शोषण।
इन सभी समस्याओं से जूझने वाली बालिग बेटियां भरण पोषण की हकदार होती हैं। इसका मतलब है कि उन्हें उनके समस्याओं के लिए सही खुराक और दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, बालिग बेटियों को सही तरीके से पोषण करने की आवश्यकता होती है ताकि वे अपने शारीर को मजबूत रख सकें और दुख से निपटने की क्षमता रख सकें।
बालिग बेटियों को उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए स्कूल और समाज में संरचित प्रोग्राम और संस्थाएं मौजूद होती हैं। इन संस्थाओं के जरिए, बालिग बेटियों को उनके शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के लिए जाँच करवाने और उपचार करवाने की सुविधा दी जाती है।
बालिग बेटियां समाज के सबसे मूल्यवान संसाधन होती हैं जो देश की ताकत के साथ-साथ उसकी भविष्य की गारंटी भी होती हैं। इन बालिग बेटियों की स्थिति अगर शारीरिक या मानसिक रूप से पीड़ित होती है, तो उन्हें भरण पोषण की हकदारी होती है।
शारीरिक और मानसिक पीड़ा बालिग बेटियों के लिए बहुत असंभव होती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि शैक्षिक संसाधनों की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव या बालिग बेटियों के लिए उपलब्ध सुरक्षा की कमी।
अगर बालिग बेटी शारीरिक या मानसिक रूप से पीड़ित होती हैं, तो उन्हें उनके स्वास्थ्य की देखभाल और उनके विकास के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होती है। सरकार ऐसे मामलों में समाज के साथ-साथ अपनी भी जिम्मेदारी निभाती है कि उनकी सुरक्षा और संरक्षण की जाए।
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