भारत में बहुत तेज़ी से एंटरप्रन्योर बढ रहे है। एंटरप्रन्योर वह होते है जो पैसा लगा कर एक नए बिज़नेस की शुरुवात करते है। जैसे-जैसे एंटरप्रन्योर की संख्या बढ़ रही है, वैसे ही नई कंपनियों के पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन की संख्या भी भारत में तेजी से बढ़ती हुई देखी गयी है। ज़्यादातर सभी एंटरप्रन्योर के पास अपने क्षेत्र में महान विशेषज्ञता और ज्ञान होता है, लेकिन, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कि उस ज्ञान का सही उपयोग हो कुछ सहायता और मार्गदर्शन की जरूरत हो सकती है। जैसे की एक एंटरप्रन्योर को सबसे पहले बिज़नेस से जुडी सभी कानूनी जानकारियों के बारे में ज्ञान ले लेना चाहिए।
कंपनी एक्ट 2013 क्या है?
कंपनी एक्ट, 2013 के तहत नए बिज़नेस को शुरू करने से संबंधित सभी जरूरी नियम और कानून बताये गए है। एक एंटरप्रन्योर को इस एक्ट के सभी जरूरी अनुपालनो (compliances) का खास ध्यान रखना चाहिए।
अनुपालनो के प्रकार
कंपनी अधिनियम 2013 की विशेषताएं या कंपनी एक्ट, 2013 के तहत कम्पलिएंसिस या शर्तों को निम्नलिखित प्रकारों से बाँटा जा सकता है –
- निगमन (Incorporation) अनुपालन के बाद
- वार्षिक अनुपालन
- घटना आधारित अनुपालन
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इनकारपोरेशन कॉम्पलिएंसिस
कंपनी अधिनियम के प्रावधान के तहत बताया गया है कि कंपनी का पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद कुछ अनुपालन या शर्तें पूरी की जाने की जरूरत होती है। एक कंपनी का रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद वह कंपनी एक अलग इकाई/एंटिटी बन जाती है और इस प्रकार यह कंपनी एक्ट, 2013 द्वारा प्रदान की गई सभी कानूनी जरूरतों का पालन करने के लिए उत्तरदायी हो जाती है।
1. रजिस्टर्ड ऑफिस की वेरिफ़िकेशन
कंपनी के रजिस्ट्रेशन के बाद, कंपनी को रजिस्टर कराने वाले व्यक्ति को रजिस्टर्ड ऑफिस की पूरी जांच या वेरिफिकेशन कराना जरूरी है।
2. कंपनी की जानकारी
हर कंपनी को अपने रजिस्टर्ड ऑफिस के साथ-साथ अपने बिज़नेस लेटर्स, बिल हेड्स और बाकी सभी जरूरी ऑफिशियल डाक्यूमेंट्स और पब्लिकेशन्स के बाहर निम्नलिखित सभी जानकारी को लिखना या लगाना जरूरी होता है –
- कंपनी का नाम
- इसकी पहचान संख्या
- रजिस्टर्ड ऑफिस का एड्रेस
- ऑफिशियल फोन नंबर
- वेबसाइट, ई-मेल आईडी और फैक्स नंबर
3. पहली बोर्ड मीटिंग
कंपनी के निगमन या इनकारपोरेशन होने के 30 दिनों के अंदर, सभी नई बनी कंपनियों को सबसे पहले एक बोर्ड मीटिंग आयोजित करनी होती है।
4. ऑडिटर की नियुक्ति
बोर्ड मीटिंग में हर कंपनी द्वारा कंपनी के इनकारपोरेशन के 30 दिनों के अंदर एक ऑडिटर नियुक्त किया जाना जरूरी होता है।
5. शेयर सर्टिफिकेट जारी करना
हर कंपनी के शेयरहोल्डर्स को शेयर सर्टिफिकेट जारी करना जरूरी होता है। साथ ही, इनकारपोरेशन की डिटेल्स और शेयर सर्टिफिकेट की संख्या भी कंपनी द्वारा रखे गए रिकॉर्ड में उल्लिखित करने की जरूरत होती है।
6. काम करने के समय का ध्यान रखना
हर कंपनी को सभी आयोजित की गयी मीटिंग्स के काम करने के समय को ध्यान में रखने की जरूरत होती है। इसे ऐसी मीटिंग के 15 दिनों के अंदर तैयार किया जाना चाहिए और 30 दिनों के अंदर इसे अंतिम रूप देना होता है।
7. स्टैचुएटरी रजिस्टर
जैसा कि कंपनी एक्ट, 2013 के सेक्शन 85 और 88 के तहत बताया गया है, एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन हर कंपनी को अपने रजिस्टर्ड ऑफिस में कुछ स्टैचुएटरी रजिस्टर तैयार करने और बनाए रखने की जरूरत होती है। इसके अंदर सदस्यों का रजिस्टर, शेयर होल्डर्स का रजिस्टर, शुल्कों का रजिस्टर कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन का रजिस्टर, आदि शामिल होता है। ऐसा ना करने पर कंपनी और डायरेक्टर्स पर केस और जुर्माना लगाया जा सकता है।
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