सरोगेट मदर हैं या बच्चा लिया है गोद तो भी ले सकती हैं मातृत्व अवकाश

सरोगेट मदर हैं या बच्चा लिया है गोद तो भी ले सकती हैं मातृत्व अवकाश

माँ बनना महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है। लेकिन कामकाजी महिलाओं को, इस सुख को लेने में काफी तकलीफें होती हैं। इसलिए कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की व्यवस्था के गयी है। मातृत्व लाभ कानून, 1961 माँ बनने वाली हर स्त्री को इसका लाभ देता है।

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के तहत महिलायें अपने बच्चों की देखभाल के लिए पूर्ण वेतन के साथ अवकाश ले सकती हैं। यह कानून 10 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली सभी कम्पनीज और संस्थानों पर लागू है।

बदलते समय को देखते हुए इस कानून में सशोधन करके अब सरोगेसी के जरिये या गोद लेकर संतान सुख लेनी वाली महिलाओं को भी शामिल किया गया है। 

वर्त्तमान में सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा करने और बच्चे गोद लेने के मामले बढें हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए इस क़ानून में मातृत्व अवकाश के दायरे में ऐसी महिलाओं को भी लाया गया है जो सरोगेट मदर हैं या फिर जिन्होंने बच्चा गोद लिया है।

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आइये जानते हैं संशोधित मातृत्व लाभ क़ानून 1961 में क्या प्रावधान हैं-

मातृत्व लाभ क़ानून के नए प्रावधान के अनुसार ऐसी महिला कर्मचारी जिन्होंने तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को कानूनन गोद लिया है, उन्हें  12 हफ्ते की छुट्टी दी जाएगी।

अगर महिला कर्मचारी ने सरोगेसी के जरिये संतान सुख लिया है तो उन्हें भी बच्चे के लालन-पालन के लिए 12 हफ्ते की छुट्टी दी जाएगी। यह अवधि बच्चे को गोद लेने या सरोगेट मदर द्वारा बच्चा सौंपे जाने की तारीख से तय होगी।

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सभी महिला कर्मचारियों के लिए क्या हैं प्रावधान  

किसी भी ऐसे ऑफिस या संस्थान में जहां 9 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं वहां महिला कर्मचारी के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 12 से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है।

नए प्रावधान के अंतर्गत गर्भवती महिला कर्मचारी अपने प्रसव की संभावित तारीख से आठ हफ्ते पहले छुट्टी ले सकती है। पहले यह अवधि छह हफ्ते की थी।

संशोधित अधिनियम के अनुसार यदि महिला कर्मचारी के दो से अधिक बच्चे हैं तो उन्हें 26 हफ्ते की जगह केवल 12 हफ्ते की ही छुट्टी मिलेगी। ये छुट्टी प्रसव की संभावित तारीख से छह हफ्ते पहले ही ली जा सकेगी। बच्चो की संख्या नए संशोधन के आधार पर है इसके पहले मूल कानून में यह प्रावधान नहीं था।

संशोधन के बाद यह प्रावधान किया गया है कि 50 या इससे अधिक कर्मचारियों वाले संस्थानों को शिशुगृह यानी क्रेच की सुविधा उपलब्ध करानी होगी। साथ ही उन्हें महिला कर्माचारियों को दिन में चार बार क्रेच जाने की सुविधा देनी होगी।

नए विधेयक के अनुसार यदि काम ऐसा हो जिसे घर से भी किया जा सके तो महिला कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा देने की बात कही गई है। नया विधेयक कहता है कि सभी कम्पनीज को महिला कर्मचारी नियुक्त करते वक्त मातृत्व लाभ के बारे में लिखित और ई-मेल पर जानकारी देनी होगी।

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