मर्डर साबित करने के लिए मर्डर वेपन बरामद होना जरूरी नहीं

मर्डर साबित करने के लिए मर्डर वेपन बरामद होना जरूरी नहीं

एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ह्त्या के केस में मर्डर वेपन बरामद होना अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने एक दोषी की सजा को बरकारार रखते हुए यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कहा कि मामूली बातों के लिए गवाहों के साक्ष्यों को खारिज नहीं किया जा सकता। जैसे यदि लगता है किसी फैक्ट में विरोधाभास है तो भी ऐसे गवाहों पर अविश्वास नहीं किया जा सकता।

पीठ ने यह बात 2006 में हुई एक ह्त्या के केस में कही। 28 जनवरी 2006 भीष्मपाल सिंह की हत्या हुई थी। जिसमे आईपीसी की धारा 302 लगी थी। इस आरोप में अभियुक्त ने मुख्य दलील दी कि फॉरेंसिक बैलेस्टिक ने जो रिपोर्ट दी उसके अनुसार, घटनास्थल से प्राप्त गोली और बंदूक आपस में मेल नहीं खाती है। इसलिए ह्त्या में जिस कथित बंदूक का इस्तेमाल हुआ वो संदेहास्पद है। अत: अभियुक्त को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए।

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इस दलील को खारिज करते हुए जजों की पीठ ने कहा कि ह्त्या के इस्तेमाल हुए हथियार की बरामदगी ना होने के कारण गवाहों और साक्ष्यों को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। घटना स्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने कहा कि अभियुक्त राकेश ने भीष्म पर गोली चलाई। जिससे मृतक घायल हुआ था। घालय होने की और मौत की वजह गोली है। यह पोर्समार्टम की रिपोर्ट से स्थापित होता है। ऐसे में गोली और बन्दूक का अलग होने या ह्त्या में प्रयुक्त हथियार के बरामद ना होने से चश्मदीदों की उस गवाही को खारिज नहीं किया जा सकता जो विश्वसनीय है।

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धारा 302

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 ह्त्या के दोषी पर लगती है। इसमे मृत्यु दंड या आजीवन कारावास की सजा होती है। इसमे सश्रम कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान होता है। ये एक गैर जमानती अपराध है। इसे सेशन कोर्ट में पेश किया जाता है।

धारा 299 जानिये ह्त्या की परिभाषा  

जहाँ IPC की धारा 302 में सजा का प्रावधान है वहीं IPC की धारा 299 में है मानव ह्त्या को परिभाषित किया गया है कि किन परिस्थितियों में मानव ह्त्या माना जाएगा। उसी के आधार पर 302 तय की जाती है। धारा 299 में मानव ह्त्या की परिभाषा इस तरह दी गयी है। यदि कोइ व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति पर इस तरह हमला करता है या चोट पहुंचाता है कि दूसरे व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो यह मानव ह्त्या कहलायेगा। इस तरह के केस में 302 के तहत सजा मिलेगी।

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