देश के अंदर तेजी के साथ बढ़ते डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के बाद तमाम तरह की गतिविधियां सोशल मीडिया के माध्यम से शुरू हो गई हैं। लीगल नोटिस से लेकर कोर्ट से संबंधित और कई प्रकार की डिजिटल रूप से किए जाने लगे हैं। ऐसे में हाल ही में हाईकोर्ट की एक ऐसी टिप्पणी सामने आई जिसमें कहा गया कि अब व्हाट्सएप और ईमेल के जरिए भेजी गई शिकायत के आधार पर भी पुलिस एफआईआर दर्ज कर सकती है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
क्या था मामला
एक व्यक्तिगत मामले को लेकर एक शिकायतकर्ता ने अपने स्थानीय पुलिस स्टेशन में कई बार व्हाट्सएप के जरिए थाने में शिकायत दी थी। व्हाट्सएप नंबर पर कई बार शिकायत भेजने के बाद भी मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद शिकायतकर्ता ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत मजिस्ट्रेट को इस विषय पर जानकारी दी और SHO के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की थी। जम्मू कश्मीर कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने इसी शिकायत को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में इस फैसले की सुनवाई की। उनके अनुसार अगर व्हाट्सएप अथवा ईमेल के माध्यम से पुलिस को कोई शिकायत भेजी जाती है तो पुलिस को उस पर विचार करना चाहिए।
हाई कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऑनलाइन माध्यम से शिकायतकर्ता द्वारा यदि कोई शिकायत दर्ज कराई जाती है तो उस पर विचार करना और आदेश पारित करना किसी भी तरह से गलत नहीं है।
वाट्सएप से संबंधित और कानूनी नियम क्या हैं ?
व्हाट्सएप का उपयोग आजकल हर आदमी कर रहा है। बढ़ते हुए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में व्हाट्सएप की अपनी अलग ही लोकप्रियता है। लेकिन दुःख की बात यह है कि देश के अंदर काफी ज्यादा मात्रा में व्हाट्सएप का उपयोग करके भ्रामक जानकारियां फैलाई जाती हैं। एक स्टडी के अनुसार देश के अंदर 95% लोग दिन में कोई ना कोई एक धार्मिक जानकारी व्हाट्सएप्प के माध्यम से जरूर पाते हैं। ऐसे में यह भ्रामक जानकारियां न सिर्फ व्यक्ति को गलत इनफार्मेशन देकर गुमराह करने की कोशिश करती है बल्कि इससे बड़े अपराध भी हो जाते हैं कई जगहों पर हत्याएं और दंगे आदि होने की घटनाएं भी सामने आई।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सएप को निर्देश दिया है कि वह भारतीय व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं को कंपनी की 2021 गोपनीयता नीति को स्वीकार किए बिना सेवा का उपयोग जारी रखने की अनुमति दे। इसके अलावा IPC की धारा 153A, 153B, 292, 295A और 499 के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के खिलाफ कोई अपमानजनक और आपत्तिजनक मैसेज साइबर वर्ल्ड में भेजता है तो इन धाराओं के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
हाल ही में मुंबई हाईकोर्ट ने व्हाट्सएप स्टेटस पर टिप्पणी करते हुए कहा व्हाट्सएप स्टेटस के माध्यम से हम अपनी बात को दूसरे तक पहुंच जाते हैं इसलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने व्हाट्सएप के माध्यम से आगे क्या भेज रहे हैं इसकी जांच करने की जिम्मेदारी भी हमारी बनती है और अपने व्हाट्सएप स्टेटस अथवा व्हाट्सएप के माध्यम से कोई ऐसी टिप्पणी जो किसी भी व्यक्ति की धार्मिक या सामाजिक भावना को आहत करती है स्वीकार्य नहीं है।
किसी भी तरह की लीगल इनफॉरमेशन के लिए आज ही हमारी कंपनी लीड इंडिया से संपर्क करें हम आपकी हर संभव सहायता करने के लिए तैयार हैं।