भारत मे शादी करने के लिए यूँ तो ज़्यादा बाध्यताएं नहीं हैं मगर फ़िर भी हमें कुछ कानूनों के अनुसार ही चलना पड़ता है। ऐसे में यदि किसी एन आर आई यानि कि अनिवासी भारतीय को भारत में विवाह करना है तो वह किस तरह से विवाह कर सकता है? आइये जानते हैं कि भारत में एन आर आई लोगों के विवाह के लिए क्या प्रक्रियाएं हैं।
भारत में एन आर आई लोगों के विवाह के लिए क्या प्रक्रियाएं हैं यह समझने से पूर्व यह समझते हैं कि एन आर आई कौन होते हैं? एन आर आई वे होते हैं जो मूलतः भारत के होते हैं और विदेश जा कर वहीं की नागरिकता ग्रहण कर लेते हैं। आइये अब समझते हैं भारत में एन आर आई लोगों के विवाह के लिए क्या प्रक्रियाएं हैं?
धार्मिक विवाह अनुष्ठान के माध्यम से
भारत में होने वाले विवाहों के लिए अलग अलग धर्मों के हिसाब से अलग अलग निजी कानून और प्रावधान बनाए गए हैं। इन कानूनों में विवाह को शामिल किया गया है धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से सम्पन्न होते हैं। इन अनुष्ठानों के माध्यम से होने वाले विवाहों को विधि द्वारा मान्य घोषित किया हुआ है। उदाहरण के तौर पर हिन्दू विवाह अधिनियम। एक एन आर आई चाहे तो इस तरह से भारत में विवाह कर सकता है। विवाह के दौरान उसे जिन बातों का ध्यान रखना होगा उनमें प्रमुख हैं कि उसे उस के देश के दूतावास द्वारा नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा। यदि एन आर आई पूर्व में शादी शुदा रह चुके हैं तो उन्हें तलाक की डिक्री या पूर्व जीवन साथी का मृत्यु प्रमाण पत्र भी दिखाना अनिवार्य होगा।
धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से विवाह करने के पश्चात अपने धर्म के निजी कानून के तहत विवाह को पंजीकृत भी कराया जाना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि शादी कर रहे जोड़े निषिद्ध रिश्ते यानि प्रोहिबिटेड रिलेशन में न हों।
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धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से किये गए विवाह को पंजीकृत कराने हेतु जिन मुख्य दस्तावेजों की आवश्यकता होती हैं वे हैं:-
- जोड़े द्वारा विवाह हेतु उनका आवेदन पत्र
- लड़के एवं लड़की दोनों के जन्म प्रमाण पत्र
- दोनों की दो-दो पासपोर्ट आकार की तस्वीरें
- विवाह की एक तस्वीर
- विवाह का आमंत्रण पत्र
- जोड़े में से यदि कोई तलाकशुदा है तो तलाक की डिक्री
- पूर्व में विधुर या विधवा होने की स्थिति में पूर्व जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाण पत्र।
कोर्ट मैरिज या न्यायलय में विवाह
धार्मिक अनुष्ठानों के अतिरिक्त एन आर आई अपना विवाह भारत में कोर्ट मैरिज के माध्यम से भी सम्पन्न करा सकते हैं। इसके लिए उन्हे किसी धर्म के निजी कानून की भी आवश्यकता नहीं होगी अपितु उन का यह विवाह विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत पंजीकृत किया जाएगा। विशेष विवाह अधिनियम 1954 द्वारा यह छूट प्रदान की जाती है कि किसी भी जाति, धर्म,राष्ट्र से सम्बंध रखने वाले लोग आपस में विवाह कर सकते हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत एन आर आई और विदेशी भी भारत में विवाह कर सकते हैं।
स्पेशल मैरिज एक्ट या विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है:
- कोर्ट मैरिज के लिए सबसे पहली और सबसे ज़रूरी शर्त यह है कि विवाह कि इच्छा रखने वाले जोड़े में से कोई भी व्यक्ति पहले से ही विवाहित नहीं होना चाहिए। यदि जोड़े में से किसी भी व्यक्ति की पूर्व में शादी हुई हो और तलाक या फिर पति/पत्नी की मृत्यु हो चुकी हो इस स्थिति में कोर्ट मैरिज की जा सकेगी।
- कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़के और लड़की ने विधि द्वारा मान्य आयुसीमा पार की हो इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। जहाँ लड़के की उम्र 21वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष पूरी होनी चाहिए।
- जोड़े का दिमागी तौर पर स्वस्थ रहना भी एक अहम शर्त है। विवाह जो संभालने के लिए उनका मानसिक तौर पर स्वस्थ्य रहना आवश्यक है। इस के साथ ही पार्टनर का जैविक रूप से स्वास्थ्य भी ठीक होना चाहिए ताकि भविष्य में बच्चे पैदा करते वक़्त किसी तरह की परेशानी न हो।
- जो लोग कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं उन में से किसी भी जोड़े का रिश्ता निषिद्ध सम्बन्ध यानि कि प्रोहिबिटेड रिलेशन की डिक्री में न आए।
- कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़े को अपने विवाह करने की इच्छा के सम्बंध में अपने जिले के मैरिज रजिस्ट्रार को नोटिस द्वारा बताया जाना होगा। जोड़े में से किसी एक व्यक्ति को नोटिस फ़ाइल करके के दिन से ले कर एक महीने तक उसी जिले में रहना अनिवार्य होगा।
- विवाह करने की इच्छा के संबंध में दिया गया यह नोटिस मैरिज रजिस्ट्रार के द्वारा प्रकाशित कर दिया जाता है। प्रकाशित करने का उद्देश्य यह है कि यदि कपल के इस विवाह से उनके किसी परिजन को कोई आपत्ति है तो वो इसे दर्ज करा सकें।
- इस नोटिस के प्रकाशन के 30 दिन की अवधि तक यदि किसी भी परिजन/व्यक्ति द्वारा किसी भी प्रकार की कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई जाती है तो जोड़े की शादी बग़ैर किसी रोक के कराई जा सकती है।
- कोर्ट मैरिज के तहत किये जाने वाले विवाह को मैरिज रजिस्ट्रार के समक्ष मैरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय में ही सम्पन्न किया जाएगा।
- विवाह के पंजीकरण के लिए जोड़े को विवाह की तारीख़ पर तीन साक्ष्यों यानि कि गवाहों के साथ प्रस्तुत होना अनिवार्य है।
कोर्ट मैरिज हेतु आवश्यक दस्तावेज:
- विवाह का आवेदन और देय शुल्क।
- विवाह की इच्छा रखने वाले युवक और युवती की पासपोर्ट साइज फ़ोटो।
- यदि पार्टनर विदेशी है तो उस का मान्य पासपोर्ट
- पार्टनर के दूतावास से प्राप्त नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
- कोर्ट मैरिज के दौरान प्रस्तुत होने वाले साक्ष्यों का आधार कार्ड एवं पैन कार्ड।
- पूर्व में तलाक शुदा होने की स्थिति में तलाक की डिक्री।
- पूर्व में विधुर या विधवा होने की स्थिति में पूर्व जीवनसाथी का मृत्यु प्रमाण पत्र।