क्या पति अपनी पत्नी से भरण-पोषण का दावा कर सकता है?

पति पत्नी से भरण पोषण का दावा कैसे कर सकता है?

भरण-पोषण कानून हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक लैंगिक-समानता वाला कानून है क्योंकि यह पति और पत्नी दोनों को भरण-पोषण का अधिकार प्रदान करता है। हालाँकि, अन्य कानून केवल पत्नियों को यह अधिकार देते हैं, और इसलिए, अन्य कानूनों के खिलाफ याचिकाएँ दायर की गई हैं, जैसे कि सुप्रीम कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 125, …

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शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए 4 महत्वपूर्ण चरण कौन-से है?

भारत में शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने के 4 महत्वपूर्ण चरण कौन-से है?

चाहे आधुनिक हो या पारंपरिक, विवाह वह मूल संरचना है जिस पर समाज टिका है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है। जिस से इसका महत्व और भी ज़्यादा बढ़ गया है। यह कई प्रकार के अधिकार भी प्रदान करता है।  चूंकि यह प्रमाणपत्र कई कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है, …

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अगर पड़ोसी परेशान करते है, तो कानूनी कदम कैसे उठाएं?

अगर पड़ोसी परेशान करते है, तो कानूनी कदम कैसे उठाएं?

प्रॉपर्टी को शांतिपूर्वक इस्तेमाल करने या उसका आनंद लेने के अधिकार में दखलंदाज़ी या इंटरफेयर करने को उपद्रव मचाना माना जाता है। कानून में “उपद्रव” शब्द की बहुत छोटी सी परिभाषा दी गयी है। छोटी बड़ी सभी परेशानियों या थोड़े बहुत उपद्रव करने वाले व्यक्ति के खिलाफ एक केस करना ही हमेशा सही नहीं होता …

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शादी से पहले बनाए जाने वाले प्रीमैरिटल समझौते के बारे में 5 महत्वपूर्ण बातें।

शादी से पहले बनाए जाने वाले प्रीमैरिटल समझौते के बारे में 5 महत्वपूर्ण बातें।

एक विवाह पूर्व समझौता या “प्रीन्यूप्टियल एग्रीमेंट” मूल रूप से किसी शादी से पहले किया जाने वाला एक अनुबंध है। यह एक लिखित और रिकॉर्ड किया गया और नोटरीकृत समझौता है जो आम तौर पर सामान और देनदारियों के विवरण को परिभाषित करता है। साथ ही भविष्य में शादी के टूटने पर इस से जुड़ी …

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क्या हॉस्पिटल कैशलेस सुविधा देने से इंकार कर सकता है?

क्या हॉस्पिटल कैशलेस सुविधा देने से इंकार कर सकता है?

भारत की इंश्योरेंस रेगुलेरिटी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) ने ऑब्ज़र्व किया कि हाल ही में कई हॉस्पिटल अपने पॉलिसी-होल्डर्स को बिना पैसों के ट्रीटमेंट करने या कैशलेस सुविधा देने से मना कर रहे हैं। आईआरडीएआई के सेक्शन 31 (डी) के अनुसार बीमा/इंश्योरेंस कंपनियों का प्राइवेट और पब्लिक हेल्थकेयर इंस्टीटूशन्स के साथ समझौता होता है। नेटवर्क …

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दिल्ली में ऑनलाइन शादी का रजिस्ट्रेशन किस प्रकार किया जा सकता है?

दिल्ली में ऑनलाइन शादी का रजिस्ट्रेशन किस प्रकार किया जा सकता है?

आजकल भारत में कई अन्य आवश्यक सेवाओं की तरह ही कुछ राज्यों में विवाह पंजीकरण भी ऑनलाइन किया जा सकता है। ऑनलाइन पंजीकरण बेहतर है क्योंकि इससे समय और परेशानी की बचत होती है, और यह लंबी लाइनों में खड़े होने की आवश्यकता को समाप्त करता है, जो सामाजिक दूरी के विकल्प के रूप में …

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एग्रीमेंट कितने प्रकार के होते है?

एग्रीमेंट कितने प्रकार के होते है?

एग्रीमेंट या समझौता सामान्य रूप से बिज़नेस का एक मह्त्वपूर्ण हिस्सा होता हैं। यह एक बिज़नेस को अलग अलग कानूनी स्थितियों में फंसने से बचाने के लिए बनाये जाते हैं। कुछ सामान्य एग्रीमेंट जो ज्यादातर हर बिज़नेस में बनवाये जाते है वह है – साझेदारी (partnership) एग्रीमेंट, क्षतिपूर्ति (indemnity) समझौते, गैर-प्रकटीकरण (non-disclosure) समझौते, पट्टा (lease) …

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चेक पर केवल साइन कर देना एनआई एक्ट के तहत अपराध नहीं है।

चेक पर केवल साइन कर देना एनआई एक्ट के तहत अपराध नहीं है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट और उसकी धारा 138 के तहत एक अहम फैसला सुनाया है। मन मोहन पटनायक बनाम सिस्को सिस्टम्स कैपिटल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य के मामले में सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का यह फैसला सामने आया है। न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते …

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पैसों की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत ऑनलाइन कैसे की जा सकती है?

पैसों की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत ऑनलाइन कैसे की जा सकती है?

प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, दुनिया ई-गवर्नेंस के डिजिटल रूपों की ओर बढ़ रही है। इंटरनेट ने जनता को तकनीक की अपार शक्ति दी है। साइबरस्पेस के विकास के माध्यम से पूरी दुनिया को जोड़ने के अलावा, इंटरनेट हर क्षेत्र में एक वरदान साबित हुआ है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई इस माध्यम …

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क्या कोर्ट द्वारा निर्धारित मेंटेनेंस की रकम को कम कराया जा सकता है?

क्या कोर्ट द्वारा आदेश दिए गए गुज़ारेभत्ते की रकम को कम कराया जा सकता है?

हमारे भारत देश में महिलाओं को बहुत सारे अधिकार दिए गए है। जिनमे से एक गुज़ारा भत्ता या मेंटेनेंस का अधिकार भी है। यह मेंटेनेंस डाइवोर्स केस के दौरान माँगा जा सकता है। साथ ही, एक और परिस्थिति में इसकी मांग की जा सकती है वह है कि अगर दोनों पार्टनर्स का डाइवोर्स हो चुका …

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