नेशनल लेवल पर माइनॉरिटीज़ के रूप में मुस्लिम्स, क्रिस्चंस, सिखों, बौद्धों, पारसियों और जैनियों की नोटिफिकेशन को चैलेंज देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल

नेशनल लेवल पर माइनॉरिटीज के रूप में मुस्लिम्स, क्रिस्चंस, सिखों, बौद्धों, पारसियों और जैनियों की नोटिफिकेशन को चैलेंज देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल

देवकीनंदन ठाकुर द्वारा संविधान के आर्टिकल 29 और 30 के तहत, डिस्ट्रिक्ट लेवल पर माइनॉरिटीज़ की सही पहचान करके, उन्हें प्रॉफिट देने के लिए एक पीआईएल फाइल की गयी थी।  फाइल की गयी पीआईएल के अनुसार, 1993 में भारत सरकार/ इंडियन गवर्मेंट द्वारा मुसलमानों, सिखों, बौद्धों, पारसियों और जैनियों को नेशनल लेवल पर अल्पसंख्यक/माइनॉरिटी घोषित …

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ससुर किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपनी बहू का रेप नहीं कर सकता- इलाहाबाद हाई कोर्ट

ससुर किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपनी बहू का रेप नहीं कर सकता- इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपनी बहू के साथ रेप के एक आरोपी और सह-आरोपी को यह कहते हुए ऐंटिसिपेटरी बेल दे दी है कि “यह काफी अप्राकृतिक/अननेचूरल है कि एक ससुर हमारी भारतीय संस्कृति में किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर अपनी ही बहू के साथ बलात्कार/रेप करे। “ फैक्ट्स: बाबू खान(आरोपी), जिन पर उनकी …

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क्या वाइफ मेंटेनेंस अमाउंट के ना मिलने पर हस्बैंड द्वारा कमाई हुई प्रापर्टी पर दावा कर सकती है?

क्या वाइफ मेंटेनेंस अमाउंट के ना मिलने पर हस्बैंड द्वारा कमाई हुई प्रापर्टी पर दावा कर सकती है?

एक अपील पर सुनवाई करते हुए, आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज सुब्बा रेड्डी सत्ती ने फैसला लिया कि क्योंकि इस बात का कोई एविडेंस पेश नहीं किया गया कि हस्बैंड ने अपनी वाइफ और बच्चों की बेसिक नीड्स पूरी नहीं की है, इसलिए वाइफ द्वारा हस्बैंड की खुद कमाई हुई प्रॉपर्टी पर किया गया …

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आर्बिट्रेशन के फैसले में देरी होने पर उसके फैसले को चैलेंज किया जा सकता है।

आर्टीब्रेशन के फैसले में देरी होने पर उसके फैसले को चैलेंज किया जा सकता है।

जज विभु बाखरू की सिंगल जज बेंच ने कहा कि अगर बिना किसी वैलिड रीज़न के आर्बिट्रल अवार्ड में देरी होती है, तो ऐसे केसिस में आर्बिट्रेशन के फैसले को चैलेंज किया जा सकता है। इस केस के दौरान यह माना गया कि बिना किसी एक्सप्लेनेशन दिए आर्बिट्रेशन के फैसले में देरी करना भारत की …

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अगर लड़की झूठे केस की धमकी देती है तो क्या करें?

अगर लड़की झूठे केस की धमकी देती है तो क्या करें?

कानून दोधारी हथियारों की तरह होते हैं। एक तरफ कानून एक व्यक्ति के राइट्स को प्रोटेक्ट करता है, तो वंही दूसरी तरफ उन्ही प्रोविज़न का मिसयूज़ करके अन्य व्यक्तियों की स्वतंत्रता का गला घोंट दिया जाता है। ऐसे केसिस की कोई कमी नहीं है, जहां पुरुषों के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं। साथ ही, …

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परेंट्स की इनकम और उनका पढ़ा लिखा होना, बच्चे की कस्टडी तय करने का एकमात्र तरीका नहीं: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

परेंट्स की इनकम और उनका पढ़ा लिखा होना, बच्चे की कस्टडी तय करने का एकमात्र तरीका नहीं: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

बच्चों की कस्टडी हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के सेक्शन 26 के तहत दी जाती है। आईये जानते है इस केस में कोर्ट ने क्या फैसला लिया है।  केस क्या है:- निमिश एस अग्रवाल v/s श्रीमती रूही अग्रवाल के केस में, फादर ने लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपने बच्चे की कस्टडी मांगते हुए एक …

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क्या आपसी सहमति से डाइवोर्स की डिक्री को अपील या सूट द्वारा चैलेंज किया जा सकता है?

क्या आपसी सहमति से डाइवोर्स की डिक्री को अपील या सूट द्वारा चैलेंज किया जा सकता है?

आरोप है कि पति के परिवार ने दहेज के लिए उसकी फिर से शादी करने का फैसला किया और उसकी भाभी ने उसकी बेटी को छीन लिया और उसे तलाक के कागज पर (आपसी सहमति से) हस्ताक्षर करने की धमकी दी। उसने आगे दावा किया कि उसे अदालत में पेश होने के लिए मजबूर किया …

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डोमेस्टिक वायलेंस के केस का फैसला लेने से पहले जज डोमेस्टिक इंसिडेंट रिपोर्ट पर विचार करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

डोमेस्टिक वायलेंस के केस का फैसला लेने से पहले जज डोमेस्टिक इंसिडेंट रिपोर्ट पर विचार करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

प्रभा त्यागी v कमलेश देवी के केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया। जिसमे अब मजिस्ट्रेट को डीवी एक्ट के तहत आर्डर पास करने से पहले  प्रोटेक्शन ऑफिसर द्वारा फाइल की गयी डोमेस्टिक इंसिडेंट रिपोर्ट पर विचार करने की जरूरत नहीं है। जज एम आर शाह और जज बी वी नागरथा की बेंच …

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क्या भारत में पोर्न देखना गैरकानूनी है?

क्या भारत में पोर्न देखना गैरकानूनी है

पोर्नोग्राफी या पोर्न एक सेक्सुअल फोटो या वीडियो होता है, जिसे कामुकता पैदा करने के लिए या यौन उत्तेजना के उद्देश्य से बनाया जाता है। भारत में अकेले या प्रायवेटली पोर्न देखना कानूनन अपराध नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एक अडल्ट को उसकी पर्सनल आज़ादी के मौलिक अधिकार से वंचित भी …

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किसी को क्रिमिनल लायबिलिटी के लिए, कंपनी का पार्टनर होने की वजह से दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

किसी को क्रिमिनल लायबिलिटी के लिए, कंपनी का पार्टनर होने की वजह से दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिलीप हरिरामनी v/s बैंक ऑफ बड़ौदा के केस के दौरान कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के सेक्शन 138 के तहत चेक बाउंस होने पर किसी व्यक्ति पर क्रिमिनल लायबिलिटी, सिर्फ इसलिए नहीं लगाई जा सकती क्योंकि वह भी लोन लेने वाली कम्पनी का एक पार्टनर है या वह उस …

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