हिन्दू एडॉप्शन एक्ट के तहत बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया क्या है?

हिन्दू लोगों के लिए भारत में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया क्या है

हिन्दू अडोप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 क्या है?

हिंदू एडॉप्शन और मेन्टेन्स एक्ट बच्चों, पत्नी और ससुराल वालों के रखरखाव और अन्य कानूनी दायित्वों द्वारा बच्चों को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया से संबंधित है। इस लेख के पहले भाग में, हम हिंदुओं के लिए गोद लेने के बारे में बात करेंगे और दूसरा भाग में मेंटेनेंस से संबंधित।

हिंदू एडॉप्शन और मेन्टेन्स एक्ट के लिए एलिजिबिलिटी 

एक्ट के अनुसार एक हिंदू का अर्थ केवल एक व्यक्ति नहीं है जो हिंदू धर्म का पालन करता है बल्कि इसमें हिंदू धर्म के अन्य उप-धर्म भी शामिल हैं, जैसे- बौद्ध, जैन, सिख, वीरशैव, लिंगायत, या आर्य समाज के सदस्य। ब्रह्मो और प्रार्थना के अनुयायी भी हिंदू की परिभाषा में शामिल हैं।

फैक्ट्स की बात के रूप में, हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शामिल करता है जो ईसाई, मुस्लिम, पारसी या यहूदी नहीं है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

यह एक्ट इन बातों से संबंधित है

  1. बच्चे को गोद लेने की एक वैध प्रक्रिया क्या है?
  2. कौन बच्चों को गोद ले सकता है?
  3. गोद लेने के बाद होने वाले अन्य कर्तव्यों और दायित्वों के साथ बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया क्या है?

एडॉप्शन क्या है?

एक्ट में “एडॉप्शन” शब्द का कोई वर्णन नहीं है, लेकिन यह एक हिंदू कानून है। एडॉप्शन को आम भाषा में समझे तो इसका मतलब होता है किसी और के बेटे को कानूनी रूप से अपनाना या उसे गोद लेना। 

हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम ने ‘बेटे’ के बजाय ‘बच्चा’ शब्द का उपयोग करके ‘गोद लेने’ की परिभाषा को बहुत बड़ा और व्यापक बना दिया है। बच्चे में एक लड़की और एक लड़का दोनों शामिल होते हैं, ना कि सिर्फ एक बेटा।

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समय के साथ देश और समाज में बदलाव के साथ लोकतंत्र की सेवा के लिए एक संहिताबद्ध और समान (बराबर) कानून की जरूत थी, इसलिए अब इस एक्ट में बताई प्रक्रिया के बिना कोई गोद नहीं लिया जा सकता है। अगर इस एक्ट की अवहेलना करते हुए कोई एडॉप्शन किया जाता है, तो वह एडॉप्शन शून्य माना जाएगा।

एक एडॉप्शन तभी मान्य होगा, जब इसे इस एक्ट के अनुसार ही किया जाये।  

बच्चा कौन गोद ले सकता है?

बच्चा गोद लेने के लिए उस व्यक्ति को हिंदू धर्म से होना चाहिए और गोद लेने की क्षमता होनी चाहिए। एक हिंदू पुरुष जो बच्चा गोद लेना चाहता है उसे एक्ट के सेक्शन 7 में बताई गई सभी जरूरतों और नियमों को पूरा करना होगा और गोद लेने की इच्छा रखने वाली हिंदू महिला को इस एक्ट के सेक्शन 8 का पालन करना होता है। 

गोद लेने के लिए एलिजिबिलिटी

सेक्शन 7 में कहा गया है कि एक हिंदू पुरुष जो बच्चा गोद लेना चाहता है, उसे निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होगा:

  1. एक्ट के अनुसार बताई गयी एज लिमिट पूरी होनी चाहिए। 
  2. पुरुष को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है।  
  3. उस पुरुष की एक जीवित पत्नी होनी चाहिए, जिसकी इस बच्चे को गोद लेने में सहमति हो।
  4. अगर पत्नी पागलपन या अन्य कारणों से सहमति देने में असमर्थ है. तो इसे अनदेखा किया जा सकता है।
  5. अगर किसी व्यक्ति की कई पत्नियां हैं तो गोद लेने के लिए सभी पत्नियों की सहमति जरूरी है।
  6. उस पुरुष को बच्चा गोद लेने में सक्षम होना चाहिए। 
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गोद लेने के लिए एक हिंदू महिला की क्षमता

अधिनियम की धारा 8 में कहा गया है कि बच्चा गोद लेने की इच्छुक हिंदू महिला को:

  1. एक्ट के अनुसार बताई गयी एज लिमिट पूरी होनी चाहिए। 
  2. महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है।
  3. महिला का जीवित पति होना चाहिए। 
  4. अगर पति नहीं है तो, या तो वह महिला विधवा हो या महिला तलाकशुदा हो। 
  5. अगर महिला अविवाहित है तो भी वह बच्चा गोद ले सकती है।
  6. अगर उसका पति जीवित है, तो वह बच्चा गोद लेने में सक्षम होना चाहिए।

गोद लेने के लिए बच्चा कौन दे सकता है?

हिन्दू अडोप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट के सेक्शन 9 के अनुसार बच्चे के माता-पिता और अभिभावक/गार्डियन के अलावा कोई भी उन्हें गोद लेने के लिए नहीं दे सकता है।

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