स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी का प्रोसेस क्या है?

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी का प्रोसेस क्या है?

भारत में कई धर्मों के लोग रहते है। इसीलिए यहां सभी धर्मों के अलग अलग पर्सनल लॉ बनाये गए है। जैसे हिन्दुओं के लिए हिन्दू मैरिज एक्ट, मुस्लिम्स के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ, आदि। लेकिन हमारे देश में बालिग़ लोगों को अपनी मर्जी के अनुसार शादी करने की छूट दी गयी है। वह किसी अन्य जाती, धर्म या राष्ट्रीयता में भी अपनी मर्जी से शादी कर सकते है। तो जब अलग-अलग जाती या धर्म के दो लोग आपस में शादी करते है। तो उस शादी को कानूनी तौर पर स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर कराया जाता है। आईये जानते है स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी और उसका रजिस्ट्रशन कैसे कराया जा सकता है। 

शादी और रजिस्ट्रशन कैसे कराएं?

इस पूरे प्रोसेस को हम 5 स्टेप्स से समझायेंगे। 

फर्स्ट स्टेप

सबसे पहले अपने जिले के मैरिज ऑफ़िसर को दोनों पार्टनर्स द्वारा सूचना दी जानी चाहिए। सूचना के साथ दोनों पार्टनर्स का एज प्रूफ और एड्रेस प्रूफ भी साथ देना होता है। इसके अलावा, विवाह के इच्छुक दोनों पार्टनर्स में से कोई एक सूचना देने की तारीख से एक महीने पहले तक शहर में रहा हो। 

उदाहरण के तौर पर अगर दोनों पार्टनर्स कानपुर से बिलोंग करते है। और दिल्ली में शादी करना चाहते हैं। तो दोनों पार्टनर्स में से किसी एक को सूचना देने की तारीख से 1 महीने पहले से दिल्ली आकर रहना जरूरी है। 

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सेकंड स्टेप

जिले के मैरिज ऑफ़िसर, जिनके सामने सूचना जारी की गई थी। वो सूचना को पब्लिश करते हैं। इस सूचना को दो जगहों पर पब्लिश किया जाता है। एक फोटोकॉपी ऑफिस में और एक फोटोकॉपी जिला कार्यालय में जहां शादी के इच्छुक लोग पर्मनेंट्ली रहते है।

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थर्ड स्टेप

इस स्टेप में कपल को कुछ नहीं करना होता है। इस स्टेप में ये होता है कि मैरिज ऑफ़िसर द्वारा पब्लिश की गयी शादी की सूचना पर कपल का कोई रिश्तेदार आपत्ति दर्ज करा सकता है। इस पर वही व्यक्ति आपत्ति दर्ज कर सकता है जिसका कपल से कोई दूर या पास का रिश्ता हो। अगर आयी हुई आपत्ति का कोई वैलिड आधार होता है, तो उन पर संबंधित जिले के मैरिज ऑफ़िसर के सामने जांच की जाती है। आपत्ति आने के 30 दिन में मैरिज ऑफ़िसर को जांच करना जरूरी है। अगर आपत्तियों को जांच के दौरान सही पाया जाता है। तो उस कपल की शादी नहीं हो सकती है।  

फोर्थ स्टेप

अगर सब सही रहता है। मतलब अगर कपल की शादी के लिए कोई आपत्ति नहीं आती। या आपत्ति गलत साबित हो जाती है। तो मैरिज ऑफ़िसर के सामने तीन गवाह, दोनों पार्टनर्स और मैरिज ऑफ़िसर उस घोषणा पर साइन या हस्ताक्षर करते हैं।

फ़िफ़्थ स्टेप

मैरिज ऑफ़िसर “मैरिज सर्टिफिकेट लेटर बुक” में कपल का प्रमाण पत्र दर्ज करता है। अगर दोनों पार्टनर्स और तीन गवाहों के साइन हो जाते हैं, तो उस सर्टिफिकेट को कपल की कोर्ट मैरिज का प्रमाण पत्र या मैरिज सर्टिफिकेट माना जाता है। ये प्रमाण पत्र पूरे भारत में और विदेशों में भी मान्य है। 

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