इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के अनुसार, कंप्यूटर, इंटरनेट या किसी अन्य मान्यता प्राप्त टेक्नोलॉजी से होने वाले किसी भी अपराध को साइबर क्राइम माना जाता है। भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत साइबर क्राइम्स से डील किया जाता है। मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स (एमएचए) ने होम कमिटी को बताया कि एनसीआरबी की 2019 की रिपोर्ट, “भारत में अपराध” के अनुसार, 2017 में 21,796 और 2018 में 27,248 साइबर क्राइम्स हुए थे, जो की 2020 में बढ़कर 50035 हो गए थे। इस प्रकार, भारत ने साल 2020 में साइबर क्राइम्स की दर में 11% की बढ़ोत्तरी रिपोर्ट की थी। इसके अलावा भी कई तरीके के साइबर क्राइम्स होते हैं, जिन्हें ऑनलाइन हैरेसमेंट माना जा सकता है।
साइबरस्टॉकिंग:
साइबरस्टॉकिंग, इंटरनेट या अन्य टेक्नोलॉजी के द्वारा किसी व्यक्ति का पीछा करने या उसे परेशान करने को कहा जाता है। टेक्स्ट मैसेज, ईमेल, सोशल मीडिया पोस्ट और अन्य प्रकार के साइबर स्टॉकिंग लगातार देखने को मिलते हैं।
ऑनलाइन प्रतिरूपण/इम्पर्सनेशन :
जब कोई व्यक्ति धोखाधड़ी से किसी अन्य व्यक्ति की तरफ से इलेक्ट्रॉनिक साईन, पासवर्ड, या किसी अन्य पहचान का यूज़ करता है, तो वे प्रतिरूपण या पहचान की चोरी कहा जाता हैं।
कैटफ़िशिंग:
किसी पर्टिकुलर व्यक्ति को शिकार बनाने के इरादे से सोशल नेटवर्किंग साइट पर एक काल्पनिक चरित्र या झूठा व्यक्तित्व बनाना कैटफ़िशिंग के रूप में जाना जाता है।
डॉक्सिंग:
डॉक्सिंग एक ऐसा काम है जहां आमतौर पर किसी व्यक्ति या किसी आर्गेनाईजेशन के बारे में कोई गोपनीय जानकारी का खुलासा करने के लिए इंटरनेट का यूज़ किया जाता है।
ट्रोलिंग:
पाठकों की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को भड़काने या दूसरों की धारणाओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से ऑनलाइन समुदाय में भड़काऊ, झूठे, टॉपिक से अलग, अप्रासंगिक, या गुस्सा दिलाने वाले बयानों को पोस्ट करने का अभ्यास ट्रोलिंग है।
रिवेंज पोर्न:
रिवेंज पोर्न लोगों की सेक्सुअल ग्राफिक फोटोज़ या फिल्मों को बिना उस व्यक्ति की मर्ज़ी के प्रसार करना होता है। उस व्यक्ति को इस कंटेंट के बनने के बारे में पता हो सकता है या नहीं भी हो सकता है। यह वीडियो व्यक्ति की जानकारी के साथ या उसकी जानकारी के बिना भी बनाई जा सकती है।
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भारतीय दंड संहिता के तहत साइबर क्राइम से डील करने वाले सेक्शंस :
- सेक्शन 292: वैसे इस क्लॉज़ का मूल उद्देश्य अश्लील कंटेंट की बिक्री को रोकना था लेकिन बाद में इसे कई तरह के साइबर क्राइम्स को कवर करने के लिए विकसित किया गया है। यह क्लॉज़ इस बात पर भी लागू होता है कि अश्लील, सेक्सुअल या यंगस्टर्स के शोषण को इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रचारित/पब्लिश होने से रोका जाए। इस तरह के क्राइम्स करने पर दो साल तक की जेल और 2000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसी क्राइम को दोबारा दोहराने पर (दूसरी बार) पांच साल तक की जेल और 5000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- सेक्शन 354डी: यह क्लॉज़ स्टाकिंग या पीछा करने के क्राइम के बारे में बात करता है और ऐसा करने वाले अपराधियों के लिए सज़ा के प्रोविजन्स के बारे में बात करता है। जिसमें फिजिकल और ऑनलाइन दोनों तरह का पीछा करना शामिल है। पहली बार क्राइम करने पर अपराधी को 3 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और दूसरी बार अपराध दोहराने पर 5 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
- सेक्शन 507: भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 507 में कहा गया है कि पुराने सेक्शन द्वारा क्राइम के लिए तय सजा के अलावा, कोई भी व्यक्ति अगर आपराधिक धमकी देने के लिए दोषी पाया जाता है जो अज्ञात संचार का यूज़ करके अपनी पहचान या जगह को छिपाने के लिए कदम उठाता है तो उसे दो साल तक की जेल हो सकती है।
- सेक्शन 509: आईपीसी के सेक्शन 509 में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा या इज़्ज़त को अपमानित या चोट पहुंचने का इरादा रखता है, कोई भी शब्द बोलता है, कोई आवाज या इशारा करता है, या ऐसी कोई चीज़ दिखता है जो महिला की प्राइवेसी को चोट पहुंचती है, तो उसे 3 साल तक की जेल की सजा और जुर्माना दिया जा सकता है।
- इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के तहत क्राइम्स: आईटी एक्ट पूरी भारतीय कानून प्रणाली का एक बहुत जरूरी हिस्सा है क्योंकि यह साइबर क्राइम्स की इन्वेस्टीगेशन और केस कैसे चलेगा इस बात को कण्ट्रोल करता है। आईटी एक्ट के तहत कई प्रोविजन्स हैं जो साइबर क्राइम्स से डील करते हैं, लेकिन मुख्य रूप से, क्राइम्स सेक्शन 65-78 में बताये गए हैं। सेक्शन 66 ऐसे क्राइम्स से डील करता है, जहां किसी व्यक्ति की प्राइवेसी का उल्लंघन किया जाता हैं। अगर इस तरह के काम बेईमानी या कपटपूर्ण तरीके से किए जाते हैं, तो इसमें जेल की सजा हो सकती है जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। सेक्शन 67 ऑनलाइन पब्लिश हुए अश्लील कंटेंट से रिलेटिड क्राइम्स से डील करता है। इस सेक्शन के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम पांच साल की जेल की सजा और 10 लाख रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के साइबर क्राइम या ऑनलाइन हैरेसमेंट का शिकार हो रहा है, तो उसे पास के पुलिस स्टेशन में एफआईआर फाइल करनी चाहिए। Cybercrime.gov.in नाम की एक सरकारी वेबसाइट भी बनाई गई है जो ऑनलाइन मैटर्स से डील करने वाले स्पेशलिस्ट्स के पास कम्पैन फाइल करने का ऑप्शन देती है। इस पोर्टल के तहत एक विस्तृत कम्प्लेन भी फाइल की जा सकती है और यह जरूरी है कि क्राइम होने से रिलेटिड कोई भी सबूत इस पर अपलोड किया जाए। पोर्टल पर एक पर्सनल नंबर शेयर करना हमेशा बेहतर होता है ताकि संबंधित पुलिस ऑफ़िसर ज़्यादा जानकारी के लिए विक्टिम से कांटेक्ट कर सकें। अगर क्राइम बैंक अकॉउंट से जुड़ा हुआ है, तो उसके बारे में जानकारी बैंक अधिकारियों को दी जानी चाहिए ताकि कुछ निवारक कार्रवाई की जा सके।