क्या कोर्ट मैरिज कपल को कानूनी सुरक्षा देता है?

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भारत में कोर्ट मैरिज करना आज भी टैबू माना जाता है| यही वजह है कि  कोर्ट मैरिज करने वाले कपल के साथ हिंसा होती है| उन्हें धमकी दी जाती है| मारा-पीटा जाता है, यहाँ तक कि उनकी जान भी ले ली जाती है| और ऐसा  करने वाले उनके अपने परिवार वाले होते हैं|

ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या भारत में कोर्ट मैरिज करने वाले कपल की सुरक्षा के लिए क्या कानून है और कोर्ट मैरिज करने वाला कपल सुरक्षा कैसे ले सकता है|

कोर्ट मैरिज करने वाले कपल को अगर लगता है कि उनकी जान को खतरा है तो सबसे पहले उन्हें अपने मैरिज सर्टिफिकेट के साथ अपने क्षेत्र के पुलिस कमिशनर, एस पी, या डीएसपी  से मिलना चाहिए| यदि पुलिस कपल को सुरक्षा देने में लापरवाही बरते या मना करे तो हमारे संविधान के आर्टिकल 226 के तहत सीधे हाईकोर्ट और आर्टिकल 32 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट की शरण ले साकता है|

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

 ऐसा यूपी के प्रसिद्द केस में हुआ था जिसमे  बीजेपी विधायक राजेश मिश्रा की बेटी साक्षी ने पुलिस अधीक्षक  से मदद माँगी थी|  साक्षी ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर एक दलित युवक अजितेश के साथ कोर्ट मैरिज की थी|  उसके बाद उन्होंने अपनी जान का खतरा बताते हुए पुलिस से मदद मांगी लोकिन जबी उन्हें मदद नहीं मिली तो इलाहबाद हाईकोर्ट का रूख किया और अपनी सुरक्षा के लिए याचिका डाली| जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को उनकी सुरक्षा के आदेश दिए| |

भारत का संविधान देश के हर नागरिक को 6  मौलिक अधिकार देता है| जिनमे समानता का हक़, आजादी से जीने का हक़, शोषण या उत्पीडन के विरूद्ध अधिकार अपनी पसंद के धर्म को चुनने और अपनाने का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, संवैधानिक उपचारों का हक़|

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खास बात यह है कि मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता| यदि ऐसा होता है तो व्यक्ति उसकी रक्षा के लिए  सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में सुरक्षा की मांग कर सकता है| इन्ही मौलिक अधिकार में स्वतंत्रा का अधिकार भारत के हर नागरिक को  उसकी मर्जी से जीवन जीने का हक़ देता है| बालिग़ हो जाने के बाद व्यक्ति को उसकी इच्छा के अनुसार जीवन जीने से कोइ नहीं रोक सकता, ना तो परिवार, नाही समाज और ना ही पुलिस|

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