एनआरआई लोग अपनी प्रॉपर्टी कानूनी तरीके से कैसे सुरक्षित रखें?

एनआरआई लोगों की प्रॉपर्टी पर इललीगल कब्जे से सुरक्षा के लिए प्रोटेक्शन प्लैन

भारत में एनआरआई लोगों के नाम पर भी कई प्रॉपर्टीज़ है। यह प्रॉपर्टी कई जरियों से उनके पास होती है, जैसे – विरासत में पूर्वजों से मिली हुई प्रॉपर्टी, अपने रिश्तेदारों के साथ जॉइंट ओनरशिप या भारत में प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करना आदि। यह प्रॉपर्टीज़ एनआरआई इसीलिए भी खरीदते है ताकि अपने भारत देश से हमेशा जुड़े रहें। 

दुनिया भर में रहने वाले एनआरआई भारतीयों की एक सबसे कॉमन प्रॉब्लम है कि उनकी भारतीय प्रॉपर्टी पर अवैध/इललीगल कब्जा हो जाता है। ऐसी सिचुऎशन्स से डील करने के लिए या तो उन्हें पर्सनली भारत आकर अलग-अलग लीगल प्रोसीजर में शामिल होना पड़ता है या फिर एक रिप्रेजेन्टेटिव अप्पोइंट करना होता है जो उनकी तरफ से केस को हैंडल करता है। यह रिप्रेजेन्टेटिव कोई लॉयर या एनआरआई के रिश्तेदार हो सकते है।

प्रॉपर्टी डिस्प्यूट्स के प्रकार –

  • कानूनी उत्तराधिकारी या जॉइंट प्रॉपर्टी की वजह से पैदा हुए प्रॉपर्टी इश्यूज। 
  • सुखभोग/इज़मेंट राइट्स की वजह से हुए डिस्प्यूट्स। 
  • किसी तीसरी पार्टी द्वारा कोई भी अवैध/इललीगल कब्जा। 
  • झूठे डाक्यूमेंट्स दवारा प्रॉपर्टी पर कब्जा
  • पावर ऑफ़ अटॉर्नी का दुरुपयोग करना।
  • अलग अलग होने या फैमिली सेटलमेंट की वजह से होने वाले डिस्प्यूट्स। 
  • मकान मालिक और किरायेदार के बीच डिस्प्यूट जहां मकान मालिक एनआरआई है
  • अगर किसी केयर टेकर या कोई तीसरी पार्टी ने 12 साल से ज्यादा से प्रॉपर्टी पर कब्जा कर रखा है, और यह एनआरआई को पता है तो यह एडवर्स कब्ज़ा समझा जाता है।

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उठाए जाने वाले सही कदम-

इस मैटर को सुलझाने के लिए अलग-अलग कदम उठाए जा सकते हैं –

  • पुलिस कम्प्लेन फाइल करने के लिए प्रॉपर्टी के ओरिजिनल डाक्यूमेंट्स के साथ पास के पुलिस स्टेशन में कम्प्लेन फाइल की जा सकती है। प्रॉपर्टी को स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट के सेक्शन 5 और 6 के तहत वापस लिया जा सकता है।
  • प्रॉपर्टी पर इललीगल कब्जे के मैटर को सॉल्व करने का एक अन्य तरीका बातचीत है। एनआरआई पार्टी और इल्लिगली प्रॉपर्टी रखने वाली पार्टी बातचीत के जरिए मैटर को सॉल्व कर सकती है।लीगल एडवाइस के बाद इस प्रोसेस को फॉलो किया जा सकता है।
  • इसके अलावा, कोई भी व्यक्ति कोई लीगल फैसला लेने से पहले एक एक्सपीरिएंस्ड लॉयर से एडवाइस ले सकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कौन से कदम उठाए जा सकते हैं।
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प्रॉपर्टी की सुरक्षा कैसे करें ताकि इललीगल कब्जे की सिचुएशन से बचा जा सके –

देश के बाहर रहने वाले एनआरआई भारतीयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी प्रॉपर्टी भारत में सुरक्षित है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई लीगल डिस्प्यूट या एनआरआई भारतीयों की प्रॉपर्टी/रियल एस्टेट पर कोई इललीगल कब्जा ना हो, निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं-

  • एनआरआई को प्रॉपर्टी के ओरिजिनल डाक्यूमेंट्स, डीड, वसीयत की फोटोकॉपी अपने पास रखने चाहिए।
  • गवर्नमेंट लैंड रिकार्ड्स में प्रॉपर्टी के सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स और अन्य जरूरी पेपर्स को रेगुलरली अपडेट किया जाना चाहिए। साथ ही, प्रॉपर्टी के लिए भुगतान किए गए टैक्स जैसे नगरपालिका टैक्स, बिजली का बिल या पानी का बिल आदि की सभी रसीदें एनआरआई द्वारा संभाल के रखी जानी चाहिए। 
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी इललीगल कब्जा ना हो खाली प्लॉट पर बाउंड्री बनाई जानी चाहिए। एनआरआई को उसकी ओनरशिप बताने वाले एक बोर्ड प्रॉपर्टी पर लगाया जा सकता है।
  • लोकल न्यूज़ पेपर में एनआरआई की ओनरशिप वाली प्रॉपर्टी के बारे में एक नोटिस भी प्रकाशित/पब्लिश किया जा सकता है। न्यूज़ पेपर में एनआरआई द्वारा नोटिस की ओरिजिनल कॉपी भविष्य के उद्देश्यों के लिए रखी जा सकती है।
  • साथ ही कई प्रोफेशनल आर्गेनाइजेशन एनआरआई की तरफ से कुछ कमीशन के लिए प्रॉपर्टी की सुरक्षा करती हैं, उनकी सेवाओं का लाभ एनआरआई भी ले सकते हैं।
  • एनआरआई अपनी प्रॉपर्टी के आसपास के पड़ोसियों के कांटेक्ट में रहे ताकि उसे प्रॉपर्टी के आसपास की सिचुऎशन्स में किसी भी बदलाव के बारे में पता चलता रहे। 
  • एनआरआई द्वारा उसकी प्रॉपर्टी के लिए एक केयर टेकर को काम पर रखा जा सकता है, क्योंकि केयर टेकर द्वारा प्रॉपर्टी पर लंबे समय तक कब्जे के बाद भी उसका प्रॉपर्टी पर कोई अधिकार नहीं माना जाता है। का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है।
  • प्रॉपर्टी को किराए पर देने से पहले, किरायेदारों का एक उचित वेरिफिकेशन किया जाए, साथ ही किरायेदार को प्रॉपर्टी किराए पर देने से पहले एक उचित रेंट एग्रीमेंट भी कराया जा सकता है। 
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टैक्स – 

एनआरआई भारत की कितनी प्रॉपर्टीज़ का मालिक हो इस पर कोई रीस्ट्रिक्शन नहीं लगाई गयी है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत भारत में प्रॉपर्टीज़ में इन्वेस्ट करने वाले एनआरआई भारतीयों के लिए टैक्स डिडक्शन्स का प्रोविज़न है। भारत के नागरिकों की तरह, एनआरआई द्वारा सेक्शन 24 और सेक्शन 80 सी के तहत डिडक्शन्स का दावा किया जा सकता है।

फॉरन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, 1999 (फेमा) –

  • फेमा उन नियमों/रूल्स का एक ग्रुप है जो आरबीआई को रेगुलेशंस पास करने का अधिकार देता है और भारत सरकार को देश की फॉरन ट्रेड पालिसी के संबंध में विदेशी पैसों से रिलेटेड रूल्स को पास करने में सक्षम बनाता है।
  • इसने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम- FERA की जगह ली 
  • फेमा की विशेषताएं/फीचर्स – 
  • यह सरकार को देश के बाहर के व्यक्ति से पैंन्ट्स लेने और देने पावर देता है। 
  • फेमा की मंजूरी के बिना कोई फॉरन एक्सचेंज नहीं हो सकता है।
  • आम जनता के हित के लिए सरकार किसी ऑथोराइज़्ड व्यक्ति को भी उसके करंट अकाउंट से विदेशी पैसों का लेन-देन करने से रोक सकती है। इसी प्रकार से आरबीआई को यह पावर देता है कि वह किसी ऑथोराइज़्ड व्यक्ति द्वारा भी कैपिटल अकाउंट से लेनदेन किए जाने पर रोक लगा सकते है।

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