आपत्तिजनक वीडियो डालने की कितनी सज़ा होती है?

आपत्तिजनक वीडियो डालने की कितनी सज़ा होती है?

इंटरनेट और सोशल मीडिया आज दुनिया की ज़रूरत बन चुका है। हर कोई आज इंटरनेट और सोशल मीडिया पर मौजूद है और दुनिया भर की तमाम ख़बर सिर्फ एक क्लिक के ज़रिए देख सकता है। उन्नत तकनीक के इस दौर में इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि इंटरनेट पर कई बार आपकी नजर के आगे से कई अश्लील और आपत्ति जनक वीडियो गुज़री होंगी या आप तक ख़बर के माध्यम से यह बात पहुंची ही होगी? ऐसे में सवाल यह उठता है कि आपत्ति जनक वीडियो डालने पर क्या सज़ा होती है? 

आपत्तिजनक वीडियो डालना किसी की भी निजता का हनन तो है ही यह एक अपराध भी है जिसके लिए कानून द्वारा कई प्रावधान बनाए गए हैं। आज हम इस लेख में यह जानने के प्रयास करेंगे कि वे कौन से प्रावधान हैं जिनके अंतर्गत आपत्तिजनक वीडियो डालने की सज़ा का प्रावधान है।

आपत्तिजनक वीडियोज़ कई तरह की हो सकती हैं। यह किसी महिला का अश्लील चित्रण करती हुई वीडियोज़ हो सकती हैं या फिर किसी प्रकार की धार्मिक भावना को आहत करती हुई वीडियोज़ भी हो सकती हैं। इन सभी को कानून के दायरे में रखा गया है। आइये जानते हैं आपत्ति जनक वीडियोज़ डालने पर कितनी सज़ा मिलती है?

महिलाओं की आपत्ति जनक वीडियो डालने की सज़ा

महिलाओं की आपत्तिजनक वीडियोज़ की ख़बर आप सब ने सुनी ही होंगी। महिलाएं अक्सर इसका शिकार हो जाती हैं। कई बार महिलाएं इस बात से अनभिज्ञ रहती हैं कि किसी ने उनकी वीडियो इत्यादि बना ली है। या कई बार तकनीक का सहारा ले कर महिलाओं की तस्वीरें एडिट कर उनकी आपत्तिजनक वीडियोज़ बना ली जाती हैं। इन अपराधों से निपटने के लिए सरकार ने विभिन्न प्रकार के कानून बनाए हैं जिनकी मदद से ऐसा करने वाले व्यक्ति सज़ा दिलाई जा सकती है।

स्त्री अशिष्ट रूपण प्रतिषेध अधिनियम, 1986

स्त्री अशिष्ट रूपण प्रतिषेध अधिनियम (Prohibition of Indecent Representation of Women Act, 1986) महिलाओं के अश्लील चित्रण पर प्रतिबंध लगाता है। आम तौर पर सबसे ज़्यादा किया जाने वाला काम किसी महिला की फ़ोटो को एडिट कर उस का अश्लील वीडियो बना कर वायरल किया जाना है। ऐसे में यह अधिनियम इसकी सज़ा का प्रावधान रखता है। स्त्री अशिष्ट रूपण अधिनियम 1986 की धारा 6 की अधीन यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उस पर कार्यवाही की जाएगी।

आई टी एक्ट की धारा 67

आई टी एक्ट , 2000 की धारा 67 भी इसी प्रकार की एक धारा है जिसके अंतर्गत इस तरह की आपत्ति-जनक वीडियोज़ डालने पर सज़ा दी जा सकती है। आई टी एक्ट की धारा 67 के अंतर्गत यदि इंटरनेट और किसी भी प्रकार की कोई आपत्तिजनक वीडियोज़ पोस्ट की जाती है तो व्यक्ति पर कार्यवाही करने का प्रावधान है। इस धारा के अंतर्गत तीन साल तक की सज़ा और जुर्माने का भी प्रावधान है और यह सज़ा बढ़ाई भी जा सकती है। 

आई पी सी के अंतर्गत 

आपत्ति जनक विडियोज़ डालने की सज़ा के लिए कुछ प्रावधान आई पी सी के अंतर्गत भी बनाये गए हैं। किसी आपत्ति जनक वीडियोज़ जिसमे साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया जाता हो या अश्लीलता फैलाई जाती हो तो इसके लिए धाराएं 153A,153B,292,295A और 499 के तहत व्यक्ति पर कार्यवाही की जा सकती है।

आपत्ति जनक वीडियोज़ में बच्चों को शामिल करना

यदि किसी आपत्तिजनक वीडियो में बच्चों से कोई कृत्य कराया जाता है तो यह भी सज़ा के दायरे में आता है इस के लिए आई टी एक्ट की धारा 67A में सज़ा का प्रावधान है। ऐसा करने पर इस धारा के अंतर्गत पांच साल तक सज़ा और जुर्माना हो सकते हैं। साथ दोबारा ऐसा किया जाने पर सज़ा को बढ़ाया भी जा सकता है।

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हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आपत्तिजनक विडियोज़ को पोस्ट करना तो जुर्म है ही मगर ऐसी विडियोज़ को देख कर उन पर कमेंट करना,लाइक करना या शेयर करना एक प्रकार से उंस आपत्तिजनक वीडियो के आरती अपनी सहमति ज़ाहिर करना है। ऐसे में वीडयो पोस्ट करने वाले के साथ उसे देखने, शेयर करने, कमेंट लाइक करने वाले को भी अपराधी समझ कर इन सभी धाराओं के तहत कार्यवाही की जा सकती है। इसलिए हमें ऐसी विडियोज़ से सतर्क रहना आवश्यक है। और ऐसा करने वालों के विरुद्ध शिकायत भी करना चाहिए ताकि इस तरह के मामलों में कमी आती रहे।

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