सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक वीडियो डालना कितना बड़ा अपराध है? जानिए सजा और कानूनी उपाय

How big a crime is it to post objectionable videos on social media Know the punishment and legal remedies

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब और टेलीग्राम आम जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। हालांकि, इनका दुरुपयोग भी तेजी से बढ़ा है। 

विशेष रूप से, किसी की आपत्तिजनक या अश्लील वीडियो को जानबूझकर पोस्ट करना न केवल एक व्यक्ति की निजता और गरिमा का हनन है, बल्कि यह भारतीय कानूनों के तहत एक गंभीर संज्ञेय अपराध है।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने निजता को मौलिक अधिकार करार दिया है और साइबर अपराधों में तेजी से सख्ती लाई जा रही है।

ऐसे में यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि आपत्तिजनक वीडियो पोस्ट करना, शेयर करना या फैलाना किन-किन कानूनों के अंतर्गत अपराध है और पीड़ितों के पास कौन-कौन से कानूनी उपाय उपलब्ध हैं।

आपत्तिजनक वीडियो के प्रकार?

आपत्तिजनक वीडियो की परिभाषा केवल नग्नता या अश्लीलता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें निम्नलिखित सभी प्रकार शामिल हो सकते हैं:

  • किसी महिला की अश्लील वीडियो बनाना या शेयर करना
  • एडिटेड/मॉर्फ्ड फोटो से झूठा वीडियो बनाना
  • प्राइवेट मोमेंट्स की चोरी से शूटिंग और वायरल करना
  • धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला कंटेंट
  • बाल अश्लीलता से जुड़े क्लिप्स
  • किसी की इमेज खराब करने के उद्देश्य से वायरल वीडियो

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इन अपराधों पर लागू होने वाले प्रमुख कानून?

भारत में आईटी एक्ट , भारतीय न्याय संहिंता 2023 और विशेष अधिनियमों के तहत आपत्तिजनक वीडियो डालना एक सजा योग्य अपराध है। नीचे प्रमुख धाराओं की सूची और उनके अनुसार सज़ा दी गई है।

आईटी एक्ट , 2000 की धारा 67:

यह धारा किसी भी अश्लील इलेक्ट्रॉनिक सामग्री के प्रकाशन, ट्रांसमिशन, या प्रसारण पर लागू होती है।

  • पहली बार अपराध पर: 3 साल की सजा + ₹5 लाख जुर्माना
  • दूसरी बार अपराध पर: 5 साल की सजा + ₹10 लाख जुर्माना
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आईटी एक्ट की धारा 67A (अत्यंत अश्लील वीडियो, विशेष रूप से यौन क्रिया दर्शाने वाले):

  • पहली बार: 5 साल तक की सजा + ₹10 लाख जुर्माना
  • दुबारा अपराध पर: 7 साल तक की सजा + अतिरिक्त जुर्माना

आईटी एक्ट की धारा 67B (बाल यौन शोषण संबंधी सामग्री):

  • बच्चों को अश्लील वीडियो में दिखाना
  • ऐसी सामग्री को डाउनलोड या शेयर करना

सजा:

  • न्यूनतम 5 साल से लेकर 7 साल तक की सजा
  • ₹10 लाख तक का जुर्माना

प्रोहिबिशन ऑफ़ इंडीसेंट रिप्रजेंटेशन ऑफ़ वुमन एक्ट, 1986:

यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की इज्जत को ठेस पहुंचाने वाली तस्वीर या वीडियो बनाता, छापता या पोस्ट करता है, तो यह अधिनियम लागू होता है।

क्या केवल वीडियो डालना ही अपराध है?

नहीं, सिर्फ वीडियो पोस्ट करना ही नहीं बल्कि उसके आसपास के कई कृत्य भी अपराध की श्रेणी में आते हैं:

  • वीडियो को लाइक करना, शेयर करना, फॉरवर्ड करना
  • डाउनलोड करके दूसरों को भेजना
  • अपमानजनक कमेंट करना
  • बिना इजाज़त किसी की तस्वीर या वीडियो लेना और उसे मॉर्फ करना

न्यायपालिका इन सभी को “सह-अपराध” (abetment or conspiracy) मानती है।

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

जस्टिस के.एस. पुत्तस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2017)

  • निजता (Privacy) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत एक मौलिक अधिकार है।
  • यह निर्णय बताता है कि निजी पलों को बिना अनुमति रिकॉर्ड या प्रसारित करना निजता का उल्लंघन है।

श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ (2015)

इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऑनलाइन स्पीच और कंटेंट की सीमाएं हैं, और साइबर अपराधों पर सख्ती आवश्यक है।

पीड़ित को क्या करना चाहिए? (व्यवहारिक कानूनी उपाय)

  • सबूत संकलन करें – स्क्रीनशॉट, वीडियो लिंक, URL, ID, तारीख और समय दर्ज करें
  • नजदीकी साइबर क्राइम थाना या पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करें
  • www.cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत करें
  • महिला हो तो महिला आयोग (NCW) में शिकायत करें
  • अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करती तो कोर्ट में 156(3) CrPC याचिका दायर करें
  • मानहानि या नुकसान के लिए सिविल सूट दायर किया जा सकता है
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 निष्कर्ष

सोशल मीडिया एक ताकतवर माध्यम है, लेकिन उसका दुरुपयोग करना कानूनन अपराध है। किसी की निजी, अश्लील या भावनात्मक रूप से संवेदनशील वीडियो को इंटरनेट पर डालना न सिर्फ एक तकनीकी अपराध है बल्कि मानवीय गरिमा का भी उल्लंघन है। 

भारत के कानून इस विषय में सख्त हैं और सुप्रीम कोर्ट निजता और सम्मान को सर्वोच्च अधिकार मानता है।

अगर आप या आपके किसी परिचित को ऐसी किसी परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है, तो बिना डरे और बिना देर किए कानूनी सहायता लें और अपराधी को सजा दिलवाएं।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

Q1. क्या कोई मॉर्फ किया गया वीडियो डालना अपराध है?

हाँ, अगर वह व्यक्ति की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला या अश्लील है, तो यह अपराध है।

Q2. अगर मैंने सिर्फ शेयर किया तो क्या मुझे सजा हो सकती है?

जी हाँ, शेयर करने वाला भी अपराधी माना जाता है, विशेषकर जब कंटेंट आपत्तिजनक हो।

Q3. क्या इन मामलों में तुरंत गिरफ्तारी संभव है?

हाँ, ये अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होते हैं। पुलिस को तुरंत कार्यवाही का अधिकार है।

Q4. क्या पुलिस को कार्रवाई से इनकार करने पर कोर्ट जा सकते हैं?

बिलकुल, आप मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन देकर पुलिस को जांच का आदेश दिलवा सकते हैं।

Q5. क्या पीड़ित को मुआवजा मिल सकता है?

हाँ, सिविल कोर्ट में मानसिक उत्पीड़न और मानहानि के आधार पर क्षतिपूर्ति (compensation) मांगी जा सकती है।

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