सोशल मीडिया पर गलत कमेंट करने पर क्या सजा हो सकती है?

What can be the punishment for making wrong comments on social media

आज सोशल मीडिया (Facebook, Twitter/X, Instagram, WhatsApp, आदि) केवल अभिव्यक्ति का साधन नहीं बल्कि एक प्रभावशाली सार्वजनिक मंच बन चुका है। लेकिन जहां इसकी पहुंच और प्रभाव बढ़ा है, वहीं इसका दुरुपयोग भी उतनी ही तेजी से हो रहा है।

कई बार लोग सोचते हैं कि “ये तो बस एक कमेंट या फॉरवर्ड था”, लेकिन भारतीय कानून में सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी भी सार्वजनिक वक्तव्य मानी जाती है और यदि वह आपत्तिजनक, अश्लील या अपमानजनक हो, तो यह दंडनीय अपराध बन सकता है।

भारत में लागू मुख्य कानून

भारत में सोशल मीडिया से जुड़े अपराधों को दो प्रमुख कानूनों के अंतर्गत नियंत्रित किया जाता है:

नीचे हम इन दोनों कानूनों के तहत लागू धाराओं को विस्तार से देखेंगे।

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IT Act, 2000 के तहत सजा

67 – अश्लील सामग्री का प्रकाशन

  • यदि कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक रूप से आपत्तिजनक, अश्लील या अशिष्ट सामग्री पोस्ट या फॉरवर्ड करता है।
  • जैसे – किसी महिला के विरुद्ध अश्लील भाषा, सेक्सुअल कमेंट, नग्न चित्र आदि।
  • सजा:
    • पहली बार: 3 साल की सजा + ₹5 लाख जुर्माना
    • दोहराव: 5 साल की सजा + ₹10 लाख जुर्माना

धारा 67A – यौन स्पष्ट सामग्री का प्रकाशन

  • यदि सामग्री में यौन संबंधी क्रियाएं दर्शाई गई हों, जैसे – पोर्न वीडियो, MMS क्लिप्स।
  • सजा:
    • पहली बार: 5 साल की सजा + ₹10 लाख तक जुर्माना
    • पुनरावृत्ति: 7 साल की सजा + अधिक जुर्माना

धारा 66A (अब निरस्त)

हालांकि यह धारा 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निरस्त कर दी गई थी (Shreya Singhal v. Union of India), लेकिन कई बार पुलिस अब भी इस पर FIR दर्ज कर देती है। यदि ऐसा हो, तो तुरंत हाईकोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।

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भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023)  की धाराएं

धारा 356 – मानहानि (Defamation)

धारा 196 और 299 – धार्मिक विद्वेष फैलाना

  • जाति, धर्म, भाषा या समुदाय के विरुद्ध नफरत भड़काने वाला पोस्ट
  • धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना
  • सजा: 3-5 साल की जेल + जुर्माना

धारा 294 – अश्लील सामग्री

  • सोशल मीडिया पर अश्लील चित्र, वीडियो या टेक्स्ट अपलोड या शेयर करना
  • सजा:
    • पहली बार: 2 साल की जेल + जुर्माना
    • पुनरावृत्ति: 5 साल तक की जेल

धारा 75 – यौन उत्पीड़न

  • महिलाओं के खिलाफ अश्लील इशारे, मेसेज, या पोस्ट
  • सजा: 1-3 साल की जेल + जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण

बिलकुल, नीचे दिए गए दोनों फैसलों को मानव-केंद्रित और स्पष्ट हिंदी भाषा में 3–4 पंक्तियों में प्रस्तुत किया गया है:

श्रेया सिंघल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया  (2015)

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी विचार से असहमति, व्यंग्य या आलोचना को अपराध नहीं माना जा सकता।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान द्वारा संरक्षित है।
  • लेकिन यदि कोई सामग्री द्वेष फैलाने वाली, अश्लील या किसी की मानहानि करने वाली हो, तो वह दंडनीय मानी जा सकती है।
  • इस फैसले में आईटी एक्ट की धारा 66A को असंवैधानिक घोषित किया गया था।

मद्रास हाई कोर्ट – एस.वी. शेखर मामला (2018)

  • कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी आपत्तिजनक पोस्ट को सिर्फ फॉरवर्ड करना भी उसका समर्थन माना जा सकता है।
  • यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि केवल साझा किया गया, लिखा नहीं।
  • सोशल मीडिया पर की गई हर गतिविधि कानूनी दृष्टिकोण से जांच के योग्य है।
  • जिम्मेदारी से व्यवहार करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है।
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किन मामलों में सोशल मीडिया कमेंट अपराध माने जाते हैं?

  • किसी महिला के सम्मान को ठेस पहुँचाने वाला कमेंट
  • धार्मिक या जातीय घृणा फैलाने वाली पोस्ट
  • धमकी, ब्लैकमेलिंग या बदले की भावना से किया गया कमेंट
  • बाल अश्लीलता से जुड़ी सामग्री
  • किसी व्यक्ति के खिलाफ झूठा आरोप या अपमानजनक टिप्पणी
  • फर्जी समाचार या मॉर्फ्ड फोटो शेयर करना

सोशल मीडिया अपराधों की रिपोर्टिंग प्रक्रिया

पीड़ित क्या करें:

  • उस पोस्ट/कमेंट का स्क्रीनशॉट और URL सेव करें
  • नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराएं
  • Cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत करें
  • IT Act और IPC की उपयुक्त धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कराएं
  • अपने मोबाइल या डिवाइस को जब्त करवाने से पहले वकील से परामर्श लें

आरोपी के लिए चेतावनी

  • सोच-समझकर कमेंट करें  हर पोस्ट डिजिटल सबूत होता है
  • किसी विवादित या अभद्र पोस्ट को Like, Share या Forward करने से बचें
  • “मैंने तो बस फॉरवर्ड किया था” – यह अब बहाना नहीं माना जाता
  • ट्रोलिंग, मीम्स और कमेंट्स पर हास्य की आड़ में अपराध न करें

2019 में एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

Freedom of speech absolute नहीं है। अगर यह किसी की गरिमा, सम्मान या समाज में सद्भाव को चोट पहुँचाती है, तो उस पर कानूनन कार्यवाही की जा सकती है।

निष्कर्ष

सोशल मीडिया की स्वतंत्रता जवाबदेही के साथ आती है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं कि कोई भी किसी को भी अपमानित कर दे या गलत जानकारी फैलाए।

आपका एक कमेंट आपको जेल तक पहुँचा सकता है। इसलिए सोच-समझकर कमेंट करें, फॉरवर्ड करने से पहले विचार करें, और किसी को मानसिक, सामाजिक या धार्मिक ठेस न पहुँचाएँ।

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यदि आप पीड़ित हैं, तो डरें नहीं। कानून आपके साथ है। और यदि आप आरोपी हैं, तो तुरंत अनुभवी वकील से सलाह लें।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs 

1. क्या Facebook या WhatsApp पर आपत्तिजनक कमेंट करना अपराध है?

हाँ, IPC और IT Act की धाराओं के अनुसार यह दंडनीय अपराध है।

2. क्या किसी पोस्ट को केवल शेयर करने से भी FIR हो सकती है?

हाँ, कोर्ट इसे समर्थन मानता है और इसके लिए सजा संभव है।

3. क्या ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत संभव है?

यदि मामला संज्ञेय है (जैसे 295A, 67A), तो अग्रिम जमानत के लिए वकील की मदद लेनी चाहिए।

4. क्या ऑनलाइन शिकायत स्वीकार्य है?

बिल्कुल। cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

5. पीड़ित को क्या सबूत रखने चाहिए?

स्क्रीनशॉट, लिंक, टाइमस्टैम्प, पोस्ट का फॉरवर्ड डेटा आदि।

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