जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1969 क्या है?

जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1969 क्या है?

भारत में सभी नागरिकों के जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन, जन्म और मृत्यु एक्ट, 1969 के तहत किया जाता है। अब, यह सवाल उठता है कि किसी व्यक्ति के जन्म और मृत्यु को रजिस्टर करना क्यों जरूरी है। किसी व्यक्ति के जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड रखना या उनकी मृत्यु की वजह को जानना देश में सही ढंग से कामकाज करने के लिए जरूरी हैं। देश में सिविल रजिस्ट्रेशन द्वारा सभी व्यक्तियों की गिनती की जाती है जिसकी प्रोसेस और अधिकार इस एक्ट के तहत दिए गए हैं। इस रजिस्ट्रेशन से के माध्यम से यह पहचानने में भी मदद मिलती है कि देश में मृत्यु की सबसे ज्यादा वजह क्या हैं, चाहे वह कोई बीमारी हो या दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या, आदि। यह इन परेशानियों की वजह समझकर इन्हे कम करने में भी देश की मदद करता है। यह देश में हुई मृत्युओं के बारे में भी जानकारी रखता है इसलिए इसे मृत्यु एक्ट कहा जा सकता है।

उत्तराखंड के चमोली जिले में आई बाढ़ में लोगों के लापता होने के बाद इस एक्ट में बदलाव किया गया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग/हेल्थ डिपार्टमेंट ने हादसे में लापता हुए लोगों को मृत घोषित कर दिया था। लापता लोगों का मृत्यु प्रमाण पत्र/डेथ सर्टिफिकेट ऑथोरिज़्ड सरकारी ऑथोरिटी द्वारा उनके परिवार या संबंधियों को जारी किया गया था। इस एक्ट का उद्देश्य जन्म, मृत्यु के रजिस्ट्रेशन और इससे जुड़े सभी मैटर्स को विनियमित करना है।

यहां कुछ ऑथोरिटीज़ के बारे में बताया गया हैं जिन्हें इस एक्ट के तहत कुछ अधिकार दिए गए हैं।

जनरल – रजिस्ट्रार:

इस एक्ट का सेक्शन 3 इस मैटर के बारे में बात करता है। इसमें बताया गया है कि केंद्र सरकार, आधिकारिक गैज़ेट ऑफिस में नोटिस लगाकर एक व्यक्ति को रजिस्ट्रार जनरल नियुक्त/हायर करते है। रजिस्ट्रार जनरल का मुख्य काम जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के संबंध में निर्देश जारी करना है। यह चीफ़ रजिस्ट्रार के बीच काम का समन्वय/कोर्डिनेशन भी करता है और केंद्र सरकार को वार्षिक/एनुअल रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।

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चीफ – रजिस्ट्रार:

इस एक्ट के सेक्शन 4 में चीफ रजिस्ट्रार क बारे में प्रोविज़न दिया है। इनकी नियुक्ति/हायरिंग भी केंद्र सरकार करती है। एक्ट के सेक्शन 4 के क्लॉज़ 3 और 4 के तहत चीफ-रजिस्ट्रार को मुख्य कार्यकारी प्राधिकारी/चीफ एग्जीक्यूटिव ऑथोरिटी के रूप में परिभाषित किया गया है, जो इस एक्ट के प्रोविजन्स को अमल में लाने के लिए जिम्मेदार है। वह राज्य का मुख्य कार्यकारी होता है। वह राज्य सरकार के निर्देश के अधीन नियमों और आदेशों को लागू करता है।

जिला – रजिस्ट्रार:

इस एक्ट का सेक्शन 6 इस बारे में बात करता है। उन्हें राज्य सरकार द्वारा राजस्व/रिवन्यू के लिए जिलों में नियुक्त किया जाता है।

रजिस्ट्रार:

इस एक्ट के सेक्शन 7 में कहा गया है कि रजिस्ट्रार राज्य सरकार द्वारा स्थानीय क्षेत्रों/लोकल एरिया के लिए नियुक्त किए जाते हैं चाहे वह पंचायत, नगर पालिका या उनमें से कोई भी हो। रजिस्ट्रार का काम अपने स्थानीय क्षेत्र में व्यक्तियों की मृत्यु और जन्म के बारे में अपडेट करना होता है, जिसे उन्हें मृत्यु और जन्म रजिस्ट्री में फाइल करना होता है। एक रजिस्ट्रार एक सब-रजिस्ट्रार भी नियुक्त कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए उन्हें चीफ रजिस्ट्रार की सहमती की भी जरूरत होती है।

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यह एक्ट रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस के लिए भी प्रदान करता है, जो है:

एक्ट के सेक्शन 8 में कहा गया है कि कुछ निश्चित व्यक्ति हैं जो एरिया के रजिस्ट्रार को जन्म और मृत्यु के बारे में बता सकते हैं। य़े हैं:

  1. घर के मुखिया को परिवार में जन्म और मृत्यु की जानकारी देनी चाहिए। उसकी अनुपस्थिति में घर के मुखिया का कोई करीबी सम्बन्धी और अगर वह भी उपलब्ध ना हो तो परिवार का सबसे वृद्ध पुरुष।
  2. यह काम मेडिकल ऑफ़िसर इन्चार्ज का होता है या जिस व्यक्ति को इस काम की जिम्मेदारी दी जाती है, उसका होता है। वह अपने अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र, मैटरनिटी या नर्सिंग होम में होने वाले बच्चों के जन्म और मृत्यु की रिपोर्टिंग करता है।
  3. जो कोई भी हॉस्टल/धर्मशाला/बोर्डिंग-हाउस/लॉजिंग-हाउस/टैवर्न/बैरक/सार्वजनिक रिसॉर्ट के स्थान का इंचार्ज है, उसका कर्तव्य है कि वह अपने स्थान पर जन्म और मृत्यु होने वाले बच्चो की रिपोर्ट सरकार को दे।
  4. अगर जेल में किसी बच्चे का जन्म या किसी की मृत्यु होती है, तो जेल के इंचार्ज का कर्तव्य है कि वह इसकी सूचना रजिस्ट्रार को दे।
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एक्ट के सेक्शन 11 के तहत किसी भी व्यक्ति के जन्म या मृत्यु की मौखिक या लिखित रूप से सूचना मिलने पर रजिस्ट्रार का कर्तव्य है कि वह इससे संबंधित जानकारी जैसे सूचना में लिखी जन्मे बच्चे या मृत व्यक्ति का नाम, संक्षिप्त विवरण और निवास स्थान की जानकारी उसे रजिस्टर में दर्ज करनी होगी। सूचना देने वाले व्यक्ति को उस पर साईन करना जरूरी है और अगर वह व्यक्ति साइन करने में सक्षम नहीं है तो वह सूचना पर अंगूठे का निशान भी लगा सकता है।

एक्ट के सेक्शन 23 में बताया गया है कि अगर व्यक्ति द्वारा रजिस्ट्रार को जानकारी नहीं दी जाती है तो उस स्थिति में जुर्माना भी देना पड़ सकता है। जो व्यक्ति सूचना देने के लिए बाध्य है, वह सूचना देने में विफल रहता है या गलत सूचना देता है या सूचना देने से इनकार करता है तो वह जुर्माना भरने के लिए उत्तरदायी होगा, जो 50 रुपये तक हो सकता है। अगर रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार अपने कर्तव्यों को पूरा करने में विफल रहता है तो वे सज़ा के लिए उत्तरदायी होंगे, जो 50 रुपये तक हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति इस एक्ट के किसी प्रोविज़न का उल्लंघन करता है तो वह सज़ा का हकदार होगा, जो 10 रुपये तक का हो सकता है।

किसी व्यक्ति का जन्म या मृत्यु प्राकृतिक है जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता, लेकिन हम इसका रिकॉर्ड बना सकते हैं। यह रिकार्ड्स बनाने से देश के लिए विकास योजनाओं, रोजगार की मात्रा, देश में रहने वाले लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में फसलें व् खाना आदि को मैनेज करने में मदद मिलती है। यह देश के प्रभावी विकास में मदद करता है।

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