भारत में किरायेदार के क्या अधिकार है?

भारत में किरायेदार के क्या अधिकार है?

बहुत अधिकार हैं जो किरायेदार और मकान मालिक के बीच परस्पर जुड़े हुए होते हैं। जब भी एक मकान मालिक किसी किरायदार को अपनी प्रॉपर्टी किराय पर देता है तब उनके बीच यह रिश्ता एक कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से बनाया जाता हैं। आइए इस लेख के माध्यम से किरायेदार के अधिकारों को समझते हैं।

एक किरायेदार के अधिकार क्या है?

किसी भी मकान मालिक और उसके किरायेदार के बीच ऐसा कोई भी समझौता करने से पहले इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किरायेदार और मकान मालिक दोनों ऐसे किसी भी कॉन्ट्रैक्ट को करने के लिए सक्षम भी होने चाहिए। जैसे मकान मालिक और किरायदार दोनों व्यक्ति नाबालिग या मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं होने चाहिए। 

किरायदारों के लिए इस तरह के सभी अधिकारों के बारे में प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट के तहत बताया गया है। अगर कानून नागरिकों को अधिकार देने की क्षमता रखा है तो वह नहे दायित्व भी सौंप सकता है। कानून ने नागरिकों को प्रॉपर्टी का आनंद लेने के लिए कुछ दायित्व भी सौंपे है।

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किरायेदार के अधिकार

रीस्टोरेशन कॉस्ट या बहाली लागत

हर प्रॉपर्टी को रखरखाव की जरूरत होती है चाहे उस प्रॉपर्टी किसी के भी द्वारा इस्तेमाल की जा रही हो या फिर किसी के द्वारा इस्तेमाल ना की जा रही हो। प्रॉपर्टी को मैंटेन करके रखने की पूरी जिम्मेदारी मालिक के हाथ में होती है। 

अगर कोई मकान मालिक किरायेदार को रख कर अपनी प्रॉपर्टी का जरूरी मेनटेन्स नहीं कर रहा है तो किरायदार को यह हक़ है कि वह खुद उस प्रॉपर्टी की मेंटेनेंस करवा सकता है और किराए में से मकान की मेंटेनेंस का खर्चा काम करके किराया दे सकता है। किरायदार मकान मालिक को दिए जाने वाले किराए में से अपने द्वारा मकान पर लगाई गयी लागत को काट क्र बाकि का बचा हुआ किराया देने का ही हकदार होता है।  

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सार्वजनिक शुल्क काटने का अधिकार

कुछ अन्य पब्लिक चार्ज या सार्वजनिक शुल्क जैसे एमसीडी का टैक्स, रिवन्यू आदि भरने की जिम्मेदारी प्रॉपर्टी के मालिक के ऊपर होती है। अगर मकान मालिक ऐसा कोई भी पब्लिक चार्ज नहीं भरता है, तो किरायेदार प्रॉपर्टी पर किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए इस पब्लिक चार्ज का भुगतान कर सकता है। इस भुगतान को करने के बाद किरायेदार का अधिकार है वह किराए में से इस भुगतान की गयी रकम को काट सकता है और किराए की बकाया राशी उसे मकान मालिक को देनी होती है।  

अटैचमेंट हटाने का अधिकार

अगर किरायेदार ने मकान में किसी भी प्रकार की मशीनरी, पेड़, सजावट आदि को लगाया है, तो प्रॉपर्टी की लीज़ और एग्रीमेंट ख़त्म होने के बाद किरायेदार को यह यह सभी चीजें हटाने या अपने साथ ले जाने का पूरा अधिकार है। हालाँकि इस प्रकार की सजावट करने या सजावट को हटाने में प्रॉपर्टी या मालिक का कोई नुक्सान नहीं होना चाहिए। 

लाभ को ट्रांसफर करने का अधिकार

अगर मकान मालिक ने किरायेदार को प्रॉपर्टी किसी अन्य व्यक्ति को किराय पर देने से मना नहीं किया है तो किरायदार के पास यह अधिकार है कि वह किराय प ली हुई प्रॉपर्टी को खुद इस्तेमाल न करके किसी अन्य व्यक्ति को वह प्रॉपर्टी किराय पर दे सकता है। किरायेदार आगे से इस प्रॉपर्टी को किराय पर देकर ज़्यादा ब्याज भी ले सकता है।

लीड इंडिया आपकी कैसे मदद कर सकता है?

लीड इंडिया के पास बहुत से एक्सपर्ट वकील हैं जो किरायेदार से सम्पत्ति खाली कराने के लिए लीगल नोटिस का उचित कॉन्ट्रैक्ट तैयार करने में आपकी मदद कर सकते है और कोर्ट में केस फाइल करने में भी आपकी मदद कर सकते है।

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