भारत के समाज में एक लड़के और एक लड़की की शादी को अपने फायदे के लिए किया जाने वाला कोई सौदा समझा जाता है, और इसीलिए आजकल शादियां जल्दी टूट जाती है। यह बहुत दुख की बात है कि बस इसे एक सौदा समझा जा रहा है। और बस अपना फायदा ख़त्म होते ही यह शादियाँ बिखर जाती है। जिस कारण भारत में हर साल डिवोर्स के केस बढ़ रहे है।
पत्नियों का 498A, IPC, हिंदू मैरिज एक्ट, 195 और घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत अपने पति के खिलाफ शिकायत करना एक आम बात हो गयी है। इनमें से कई केसिस झूठे साबित हुए है। हालाँकि, ज्यादातर केसिस में पति के पास बचने का कोई उपाय नहीं होता है क्योंकि भारत के कानून महिलाओं की तरफ झुके हुए हैं।
आईये इस लेख में जानते है कि पत्नी झूठे मामले में फंसाने की धमकी दे तो पति क्या करे?, क्या पति के खिलाफ झूठी शिकायत क्रूरता की श्रेणी में आती है या नहीं और भारत में पति के क़ानूनी अधिकार क्या है?
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क्या हस्बैंड के खिलाफ झूठी शिकायत क्रूरता है?
सुप्रीम कोर्ट ने बीवियों द्वारा अपने पतियों के खिलाफ बहुत सारी और लगातार झूठी शिकायतें मिलने के बाद, पति के खिलाफ क्रूरता से संबंधित कानून बनाने की जरूरत को महसूस किया और यह कानून बनाये गए।
श्रीमती दीपलक्ष्मी सहिया झिंगाडे व् साची रमेशराव झिंगादे के केस में, पत्नी ने अपने पति के खिलाफ यह कहते हुए शिकायत दर्ज की कि उसके पति का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चल रहा है जो कि बाद में झूठ और बेबुनियाद साबित हुआ। कोर्ट ने पत्नी की ऐसी हरकत को पति के खिलाफ क्रूरता माना।
इसी तरह, अनिल भारद्वाज व् निमलेश भारद्वाज के केस में, कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा पति के साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने से इंकार करना पति के खिलाफ क्रूरता है।
पति के खिलाफ क्रूरता के अन्य आधार
- शादीशुदा होते हुए भी अडल्ट्री करना।
- सेक्शन 498A, आईपीसी, घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 और अन्य कानूनों का दुरुपयोग करके पति
- अपने पति का परित्याग/डिज़रशन कर देना।
- पत्नी का क्रूर व्यवहार करना।
- दुर्भावनापूर्ण इरादे से पति या ससुराल वालों को झूठे केस या आपराधिक कार्यवाही में फंसाना।
वाइफ झूठे केस में फसायें तो पति क्या करे?
अगर आप अपने रिश्ते को बचाये रखना चाहते हैं, तो आप सबसे पहले हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत वैवाहिक अधिकारों (conjugal rights) के तहत सेक्शन 9 की पिटीशन फाइल कर सकते है। यह आगे होने वाली आपराधिक कार्यवाही (criminal proceedings) में भी आपकी मदद करेगा।
भारत में पति के क़ानूनी अधिकार क्या है?
भारत के कानून में पत्नियों के साथ साथ पतियों को भी अधिकार दिए गया है। इन्हे वैवाहिक अधिकार कहा जाता है जो पति और पत्नी दोनों के लिए बराबर है।
मरियम-वेबस्टर डिक्शनरी के अनुसार, वैवाहिक अधिकारों को “यौन अधिकारों या शादी के रिश्ते में शामिल होने वाले विशेषाधिकारों” के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। आसान भाषा में पति और पत्नी के बीच सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने का अधिकार। इससे यह माना जाता है कि आप एक दूसरे को सच में जीवनसाथी का दर्जा दे रहे हैं।
इस मामले में हाई कोर्ट की टिप्पणियां
इसके अलावा, हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों पर भी ध्यान दिया है और सुप्रीम कोर्ट का भी यही मानना है कि अगर पत्नी अपने पति के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराती है, तो यह पति के ऊपर क्रूरता करने के बराबर है और तलाक के लिए पर्याप्त आधार है।
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