ससुराल पक्ष के पुरुषों के खिलाफ रेप की शिकायतें बढ़ी।

ससुराल पक्ष के पुरुषों के खिलाफ रेप की शिकायतें बढ़ी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैवाहिक विवाद के एक मामले में पति के पुरुष रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ बलात्कार की बढ़ती हुई शिकायतों को देख कर अपनी चिंता व्यक्त की है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस तरह की शिकायतों में पति पक्ष के पुरूष परिजनों की संख्या  में दिन प्रतिदिन हो रही बढोत्तरी को पीड़ादायक बताया है।

एक वैवाहिक विवाद के मामले के सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद जो कि एक प्राथमिकी को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, ने कहा कि ऐसी शिकायतें पति के पुरुष रिश्तेदारों के ख़िलाफ़ महज दबाव बनाने के उद्देश्य से दर्ज की जाती हैं। ताकि पति के परिवार पर दबाव बनाया जा सके। भारत के आंकड़े 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़ोत्तरी हुई है।

झूठे धारा 376 के आरोप में बचाव के उपाय क्या है?

न्यायालय इस बात को जान कर दुखी है कि वैवाहिक मामलों में ससुर, देवर और पति के अन्य पुरुष रिश्तेदारों के खिलाफ आई पी सी की धारा 376 के तहत आपराधिक शिकायतें दर्ज की जाने की प्रवृति में बढोत्तरी हो रही है। और ऐसा सिर्फ इसलिए किया जाता है ताकि पति के परिवार पर दबाव बनाया जा सके। 

दिल्ली उच्च न्यायालय के मौजूदा मामले में पत्नी ने अपने ससुर पर आरोप लगाए थे कि ससुर ने उस का बलात्कार किया है। पत्नी ने ससुर पर आई पी सी की कई  धाराओं के तहत दुष्कर्म के आरोप लगाए थे। और इसी मामले की प्राथमिकी रद्द किए जाने की याचिका को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई की जा रही थी।

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न्यायालय द्वारा प्राथमिकी रद्द किए जाने की याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय को बताया गया कि सभी वैवाहिक विवादों को अपनी मर्जी से और बिना किसी के दबाव , ज़बरदस्ती या अनुचित प्रभाव से सुलझा लिया गया है। और अब वे इस मामले को आगे नहीं बढाना चाहते हैं।

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न्यायालय ने इस बात पर गौर करते हुए कहा कि भले ही शिकायतकर्ता के ससुर के खिलाफ बलात्कार का आरोप था। न्यायालय का मानना ​​है कि वर्तमान कार्यवाही को चालू रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। न्याय के हित में, प्राथमिकी संख्या 669 /2020 दिनांक 15.12.2020 थाना हरि नगर में धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 354 (महिला का शीलभंग करने के लिए हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (शब्द) या एक महिला की विनम्रता का अपमान करने का इरादा), 34 (सामान्य इरादा) आईपीसी और उससे निकलने वाली कार्यवाही को रद्द कर दिया जाता है।

न्यायालय ने यह भी कहा कि पक्षकार दिल्ली उच्च न्यायालय मध्यस्थता केंद्र के समक्ष अपने विवाद को सुलझा चुके हैं जिसमें पत्नी को उस के सभी दावों के पूर्ण और अंतिम निपटान के लिए 65 लाख रुपए का भुगतान भी शामिल है। साथ ही विवाह को भी भंग किया जाता है।

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