कोर्ट मैरिज में गवाह का क्या रोल होता है?

कोर्ट मैरिज में गवाह का क्या रोल होता है?

कोई भी व्यक्ति एक कोर्ट मैरिज में गवाह बन सकता है, जिसमें परिवार  मेंबर, दोस्त और सहकर्मी शामिल हैं। यह जरूरी नहीं है की गवाह उनके रिश्तेदार या जानने वाले ही हो। एक अनजान व्यक्ति भी कपल की शादी का गवाह बन सकता है। इसके अलावा, कोर्ट मैरिज को तीन गवाहों के सामने किया जाना जरूरी है। ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से लोग कोर्ट मैरिज को चुनते हैं। कोर्ट मैरिज एक निष्पक्ष, सिंपल और अच्छी शादी करने का एक बेहतरीन ऑप्शन है क्योंकि कुछ लोग एक भव्य भारतीय शादी पर पैसा खर्च नहीं करना चाहते हैं और कुछ कपल्स अलग-अलग धर्मों का पालन करते हैं, और कुछ लोग अपने परिवारों की इच्छा के खिलाफ शादी करते हैं। एक गवाह कोर्ट मैरिज को पूरा कराने में एक महत्वपूर्ण रोल निभाता है। कोर्ट मैरिज होने के दौरान शादी की सभी जरूरी फॉर्मलिटीज़ को पूरा करने के लिए कपल के अलावा वहाँ गवाहों का होने भी बहुत जरूरी है। 

कोर्ट मैरिज की प्रोसेस के दौरान गवाह का रोल – 

अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी उनके धर्म के पर्सनल कानूनों के अनुसार स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत रजिस्टर की जाती है। सबसे पहले कपल को अपने जिले/डिस्ट्रिक्ट के मैरिज रजिस्ट्रार को नोटिस द्वारा अपने शादी करने के इरादे के बारे में बताना होता है। जिस दिन इस तरह की सूचना दी जाती है, उस दिन से लेकर कम से कम 30 दिनों तक शादी करने वाले कपल में से किसी एक या दोनों पार्टी को सूचना दिए गए डिस्ट्रिक्ट के अंदर ही रहना जरूरी है। दोनों पार्टीज़ द्वारा दी गयी सूचना को कोर्ट ऑब्ज़र्व करता है कि दोनों पार्टीज़ इस एक्ट के तहत शादी करना के लिए योग्य है। उसके बाद, वह सूचना 30 दिनों तक एक अप्पत्ति पत्र के रूप में पब्लिश या पोस्ट किया जाता है। 

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जब दोनों पार्टीज़ के शादी करने से उनकी फैमिली या रिश्तेदार को कोई वैलिड प्रॉब्लम नहीं होती है तो वह एक दूसरे को कानूनी रूप से हस्बैंड और वाइफ के रूप में एक्सेप्ट करते हुए एक घोषणा पत्र/डिक्लेरेशन पर साइन करने के लिए मैरिज रजिस्ट्री ऑफिस जाते हैं। डिक्लेरेशन पर पहले मैरिज रजिस्ट्रार साइन करता यही और फिर उसी डिक्लेरेशन पर रजिस्ट्रार और तीन गवाहों के सामने दोनों पार्टीज़ द्वारा साइन किए जाते है। 

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गवाह को सिर्फ़ शादी का यह पूरा प्रोसेस देखने के अलावा, कागजी कार्रवाई और अपने पैन कार्ड और रेजिडेंस प्रूफ के साथ अपनी पहचान भी बतानी होती है। दूल्हा, दुल्हन, गवाहों और रजिस्ट्रार द्वारा डिक्लेरेशन पर साइन करने के बाद, रजिस्ट्रार मैरिज रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन प्रमाणपत्र रिकॉर्ड में जानकारी फाइल करता है। फिर, शादी के अनुष्ठापन के अनन्य प्रमाण के रूप में, उस अनुष्ठान के बाद शादी रजिस्ट्रार शादी का सर्टिफिकेट पास करता है।

भारत में कोर्ट मैरिज के लिए गवाह द्वारा जरूरी डाक्यूमेंट्स – 

भारत में किसी भी कोर्ट मैरिज को पूरा करने के लिए गवाहों की जरूरत होती है, लेकिन वह गवाह वैलिड भी होने चाहिए। मतलब, यह जरूरी है कि सभी गवाहों के सभी जरूरी डाक्यूमेंट्स प्रोसेस के समय उनके पास होने चाहिए। वह डाक्यूमेंट्स हैं:

  • मैरिज ऑफिसर को दिखने के लिए सबसे इम्पोर्टेन्ट डॉक्यूमेंट गवाह का रेजिडेंशियल प्रूफ होता है।
  • गवाह को मैरिज ऑफिसर को अपना पैन कार्ड भी दिखाना होता है। 
  • शादी के तीनो गवाहों की एक एक पासपोर्ट साइज़ फोटो होनी चाहिए। 
  • गवाह का पहचान/आइडेंटिटी प्रूफ, जैसे ड्राइविंग लाइसेंस या आधार कार्ड।
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अगर दूल्हा और दुल्हन की कानूनी उम्र शादी करने के लिए पूरी हैं और उनकी पहले कभी शादी नहीं हुई है, तो इस केस में एक गवाह कभी किसी कानूनी मैटर में नहीं फंसेगा। हालाँकि, अगर दूल्हा या दुल्हन की उम्र कानून के तहत शादी करने के लिए अभी पूरी नहीं हुई है, या उन्होंने पहली वैलिड शादी से डाइवोर्स नहीं लिया है या अगर हस्बैंड या वाइफ के किसी रिश्तेदार ने केस फाइल किया है, तो गवाह को शादी के सिलसिले में गवाही देने के लिए बुलाया जा सकता है।

वास्तव में, गवाहों पर अपराध का आरोप लगाया जा सकता है अगर कपल में से कोई भी एक या दोनों पार्टीज़ नाबालिग है। गवाह को कानूनी नतीजों का सामना करना पड़ सकता है अगर किसी एक या दोनों पार्टीज़ द्वारा कानून में शादी के लिए तय की गयी कोई या सभी शर्तों तोड़ी गयी।

तो यह भारत में कोर्ट मैरिज के एक गवाह का रोल और जिम्मेदारियां हैं। अगर आप कोर्ट मैरिज के लिए गवाह के बारे में और जानना चाहते हैं, तो आप लीड इंडिया से संपर्क/कांटेक्ट कर सकते हैं, हमारे कुशल मैरिज कॉउंसलर और एक्सपर्ट्स आपको जानकारी दे सकते हैं और ना केवल गवाह के बारे में बल्कि कोर्ट मैरिज की पूरी प्रोसेस के बारे में भी मार्गदर्शन दे सकते है।

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