संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 के तहत बिक्री क्रेता पक्ष के लिए एक सुरक्षात्मक तरीका होता है। इस तरीके से हस्तांतरित की गयी संपत्ति में न्यायालय का हस्तक्षेप होता है तथा भविष्य में किसी भी विवाद होने की स्थिति में न्यायालय इस बात को संज्ञान में लेता है । इस तरीके से हस्तांतरित संपत्ति के बारे में क्रेता को पूरी जानकारी विक्रेता के माध्यम से प्रदान करनी होती है । यदि संपत्ति पर किसी तरह का ऋण है तो भी विक्रेता को इस बात की स्पष्ट जानकारी हो जाती है ।
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 क्या है?
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम भारत के संविधान में लिखित एक अधिनियम है । जिसके अंदर समस्त प्रकार की संपत्तियों के हस्तांतरण ( Transfer ) के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है ।
यह अधिनियम प्रभावी तरीके से 1 जुलाई सन् 1882 को लागू हुआ । इसलिए इस अधिनियम को संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882 के नाम से जानतें हैं । इस अधिनियम के अनुसार संपत्ति का हस्तांतरण एक व्यक्ति अथवा एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति , समूह अथवा कंपनी को अपनी संपत्ति प्रदान किया जाता है । संपत्तियों के अलग अलग हस्तांतरण के लिए कोई विशेष नियम नहीं है अतः हर तरह की संपत्तियों का हस्तांतरण किया जा सकता है । चाहे वह संपत्ति चल हो अथवा अचल।
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संपत्ति हस्तांतरण और बिक्री में क्या अंतर् है?
भारतीय संविधान के अनुसार संपत्ति के हस्तांतरण और बिक्री में अंतर होता है । यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति की बिक्री किसी दूसरे व्यक्ति अथवा समूह के साथ करना चाहता है तो ऐसी स्थिति में सामने वाले व्यक्ति अथवा समूह को जोकि क्रेता होता है उसे उस संपत्ति का अधिकार त्वरित रूप से मिल जाता है । जबकि संपत्ति हस्तांतरण में नोटरीकरण के बाद एक निश्चित अवधि तक न्यायालय विक्रेता को समय देता है । एक निश्चित समय के बाद ही क्रेता के पास कानूनी तौर पर संपत्ति का अधिकार पहुंचता है ।
खासकर क्रेता पक्ष संपत्ति हस्तांतरण के माध्यम से संपत्ति लेने में अधिक सुरक्षा का अनुभव महसूस करते हैं क्योंकि इसके बाद कोई भी खरीदी गई संपत्ति में किसी प्रकार का विवाद होने पर क्रेता पक्ष न्यायालय में अपनी याचिका दायर कर सकता है और न्यायालय इस बात पर अच्छी तरह से संज्ञान लेता है ।
हम संपत्ति की बिक्री को संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1982 के करे
संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम के अनुसार संपत्ति का हस्तांतरण वहीं व्यक्ति कर सकता है जोकि
- संपत्ति हस्तांतरण का अधिकार रखता हो ।
- दिमागी हालात से पूरी तरह स्वस्थ हो।
- उसकी आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए ।
- ऐसा व्यक्ति जिसकी कानून द्वारा अयोग्यता न घोषित हुई हो।
- नशे की हालात में धुत न हो ।
इसके अलावा संपत्ति के हस्तांतरण के लिए कुछ और नियम भी है जिसमें संपत्ति का हस्तांतरण सिर्फ सजीव लोगों में किया जा सकता है । यह सजीव में कंपिनयां भी शामिल हैं । इसके अतिरिक्त संपत्ति के हस्तांतरण का अधिकार उसे भी प्राप्त होता है जो भले ही उस संपत्ति का मालिक ने हो लेकिन अधिकार रखता हो। इसके अतिरिक्त संपत्ति के विक्रेता को पूरी तरह से सटीक जानकारी क्रेता को देनी होती है ।