मौत की सजा के 40 मामलों में सुप्रीम कोर्ट की अधिसूचना जारी

क्या होगा इन खूंखार कैदियों का?  

सितम्बर का महीना उन कैदियों के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहा है जिनके मामलों में मौत की सजा सुनाई गयी है| सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे 40 ‘मौत के मामलों’ में सुनवाई को लेकर एक अधिसूचना जारी की है। जिसके अनुसार ये सभी मामले तीन जजों वाली पीठ के सामने सूचीबद्ध होंगे। इनमे वो 40 मामले शामिल हैं जिसमे अदालतों ने दोषियों की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज करते हुए मौत की सजा को बरकरार रखा है। आइये जानते हैं वो चार मामले कौन से हैं

नारायण चेतनराम चौधरी और जितेंद्र मामला

एक गर्भवती महिला, 2 बच्चों सहित पांच महिलाओं की हत्या के मामले में लोअर कोर्ट ने नारायण चेतनराम चौधरी और जितेंद्र उर्फ ​​जीतू नयनसिंह गहलोत को मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी। जिसे अन्य निचली अदालतों ने भी बरकरार रखा। करीबन 15 साल पहले भी उसने एक याचिका डाली थी जिसे खारिज कर दिया गया| इसके बाद एक बार फिर नारायण चेतनराम चौधरी ने एक और  पुनर्विचार याचिका पर फिर से विचार करने की अपील की|  नारायण उस समय 12 साल 6 महीने का था, अत: उसने किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 9 (2) के तहत फिर से याचिका डाली थी। इस पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक बच्चे को मौत के सजा नहीं दी जाती। हालांकि अभी इस पर विचार किया जाना बाकी है कि वो कथित अपराध की तारीख पर उस वक्त बच्चा था या नहीं।

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मोहम्मद आरिफ उर्फ़ अशफाक बनाम राज्य (दिल्ली एन सी आर)

साल 2000 हजार में दिल्ली के लाल किले पर हुए आतंकी हमले में मो. आरिफ उर्फ ​​अशफाक को दोषी ठहराया गया था। इस मामले पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा था कि यह एक अजीब मामला है| एक विदेशी जो बिना किसी प्राधिकरण और औचित्य के देश में आता है और भारत के खिलाफ युद्ध छेडन की साजिश रचता है, उसके लिए मौत की सजा ही एक मात्र सजा है।

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सुंदरराजन मामला

सात साल के मासूम की ह्त्या के मामले में सुदरराजन को मौत की सजा दी गयी थी| 5 फरवरी, 2013 को उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गयी| इस पर अदालत ने कहा कि जिस तरह से बच्चे की हत्या की गई और आरोपी का बच्चे के प्रति दृष्टिकोण था को देखते हुए उसकी क्रूर मानसिकता का पता चलता है| आरोपी ने पहले बच्चे का गला घोटा और फिर उसे बोरी में बाँध कर पानी की टंकी में छुपा दिया था| अदालत ने उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी|

मोफिल खान

9 अक्टूबर 2014 को मोफिल खान की मौत की सजा को बरकरार रखा गया था| मोफिल खान को छह लोगों की हत्या के लिए दोष में मौत की सजा सुनाई गयी थी| मोफिल अपने कुछ साथियो के साथ मृतक के घर पहुंचा और धारदार हथियार से उस पर हमला कर दिया| जिसमे उस व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गयी| शोर सुनकर उसके दो भाई जब मौके पर पहुंचे तो उनकी भी बेरहमी से ह्त्या कर दी गयी| इसके बाद सभी आरोपी मृतक के घर पहुंचे जहाँ मृतक की पत्नी और 4 बेटों की भी ह्त्या कर दी।

अब इन चारों सहित अन्य मामलों में पुनर्विचार याचिका की सुनवाई सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना जारी की है इसमे सितम्बर 21 में ही देखा जाएगा

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