भारत में बिना तलाक दूसरी शादी कानून, सज़ा और पत्नी के अधिकार

Second marriage without divorce in India law, punishment and rights of wife

दूसरी शादी की कानूनी सच्चाई

शादी एक पवित्र रिश्ता ज़रूर है, लेकिन भारत में यह सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि एक कानूनी अनुबंध भी है। अगर कोई व्यक्ति बिना कानूनी रूप से पहली शादी को समाप्त किए दूसरी शादी करता है, तो यह भारतीय कानून के अनुसार अपराध है। यह न केवल पहली पत्नी/पति के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि सात साल तक की सज़ा भी हो सकती है।

भारत में दूसरी शादी का कानूनी ढांचा

भारत में विवाह और पुनर्विवाह को नियंत्रित करने वाले प्रमुख पर्सनल लॉ ये हैं:

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत), 1937
  • क्रिश्चियन मैरिज एक्ट, 1872
  • पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट, 1936
  • स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954

इन सभी कानूनों में एक सामान्य नियम है:

जब तक पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त नहीं हो जाती (तलाक या मृत्यु द्वारा), दूसरी शादी अवैध मानी जाएगी।

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दूसरी शादी वैध कब मानी जाती है?

तलाक के बाद:

  • आपसी सहमति से तलाक (Mutual Consent Divorce)
    • अंतिम कोर्ट डिक्री के तुरंत बाद दूसरी शादी हो सकती है
    • परंतु व्यावहारिक रूप से 30 दिन इंतजार करना बेहतर होता है
  • विवादित तलाक (Contested Divorce)
    • अंतिम डिक्री मिलने के बाद 90 दिन तक अपील की संभावना बनी रहती है
    • अगर इस अवधि में अपील की गई और डिक्री रद्द हुई, तो दूसरी शादी अवैध मानी जाएगी
महत्वपूर्ण केस: लीला गुप्ता बनाम लक्ष्मी नारायण (1978 AIR 1351)

जब तक तलाक पूर्ण रूप से प्रभावी नहीं हो जाता, दूसरी शादी अपराध की श्रेणी में आती है।

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जीवनसाथी की मृत्यु के बाद

  • मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ पुनर्विवाह वैध होता है
  • यह सभी धर्मों में समान रूप से लागू है

बिना तलाक दूसरी शादी करना: कानून क्या कहता है?

IPC धारा 494 और BNSS की धारा 82:

विषयविवरण
अपराधबिना तलाक दूसरी शादी करना
प्रकृतिगैर-जमानती, संज्ञेय अपराध
सज़ा7 से 10 साल की जेल, जुर्माना या दोनों
कौन कर सकता है शिकायतपहली पत्नी/पति या उसका परिवार

केवल अलग रहना, या आपसी सहमति से दूरी पर्याप्त नहीं — कोर्ट से मिली कानूनी डिक्री ही मान्य तलाक है।

धर्म परिवर्तन और दूसरी शादी: सुप्रीम कोर्ट का रुख

बहुत से लोग सोचते हैं कि हिंदू से मुस्लिम धर्म में परिवर्तन कर लेने से उन्हें बहुविवाह की अनुमति मिल जाती है। लेकिन यह मान्यता गलत है।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला:

सरला मुद्गल बनाम भारत सरकार (1995 AIR SC 1531)

अगर कोई व्यक्ति सिर्फ दूसरी शादी करने की मंशा से धर्म परिवर्तन करता है, तो यह कानून का दुरुपयोग है और IPC 494 के तहत दंडनीय अपराध है।”

यमुनाबाई बनाम अनंतराव (1988 AIR SC 644)

पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी वैध नहीं मानी जाएगी। दूसरी पत्नी को कानूनी पत्नी का दर्जा नहीं मिलेगा।

रीमा अग्रवाल बनाम अनुपम (2004 3 SCC 199)

अगर दूसरी पत्नी को पहली शादी की जानकारी नहीं थी, तो उसे भरण-पोषण (maintenance) का अधिकार मिल सकता है।

दूसरी पत्नी के कानूनी अधिकार

यदि शादी अवैध है फिर भी महिला को पति की पहली शादी की जानकारी नहीं थी, तो:

  • वह CrPC की धारा 125 या BNSS की धारा 144 के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती है
  • बच्चों को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार होता है
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सुप्रीम कोर्ट निर्णय

बादशाह बनाम उर्मीला गोडसे (2013 15 SCC 1)

अगर महिला को धोखे से दूसरी पत्नी बनाया गया है, तो न्याय उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं कर सकता।

क्या करें अगर पति/पत्नी दूसरी शादी करे?

  • BNS की धारा 82 के तहत FIR दर्ज कराएं
  • तलाक या परित्याग की याचिका परिवार न्यायालय में दाखिल करें
  • CrPC 125/BNSS 144 के तहत भरण-पोषण की याचिका दाखिल करें
  • धोखा देने पर IPC 420 (Cheating) के तहत केस करें

निष्कर्ष

दूसरी शादी केवल तभी करें जब आपकी पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त हो चुकी हो। अन्यथा आप सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि कानूनी अपराध के दोषी भी बन सकते हैं।

न्यायालय भी यह मानता है कि यदि किसी महिला को धोखे से दूसरी शादी में डाला गया है, तो उसे पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए। लेकिन यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर कानून की अनदेखी करता है, तो उसे सजा भुगतनी ही होगी।

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FAQs

Q1. क्या बिना तलाक के दूसरी शादी करना अपराध है?

हां, IPC 494 और BNSS 82 के तहत यह अपराध है। 7 साल तक की सजा हो सकती है।

Q2. क्या धार्मिक रीति से की गई दूसरी शादी मान्य है?

हीं, जब तक पहली शादी समाप्त नहीं हुई हो, तब तक धार्मिक रीति भी कानूनन मान्य नहीं।

Q3. क्या दूसरी पत्नी को संपत्ति में अधिकार मिलता है?

पत्नी को नहीं, लेकिन बच्चों को पिता की संपत्ति में अधिकार मिल सकता है।

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Q4. तलाक की डिक्री के बाद कितने दिन में दूसरी शादी करना सुरक्षित है?

आपसी सहमति में तुरंत कर सकते हैं, लेकिन विवादित तलाक में 90 दिन तक रुकना उचित होता है।

Q5. क्या धर्म परिवर्तन कर दूसरी शादी करना वैध है?

नहीं, यह कानून का दुरुपयोग माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसे अस्वीकार किया है।

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