भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 351

आई.पी.सी के अनुसार, आपराधिक धमकी को धारा 503 के तहत परिभाषित किया गया है, लेकिन अब जैसे कि आई.पी.सी की जगह बी.एन.एस ने ले ली है। इसलिए आपराधिक धमकी को बी.एन.एस की धारा 351(1) के तहत परिभाषित किया गया है

भारतीय न्याय संहिता,2023 की धारा 351(1)  के तेह्त अपराधी धमकी तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी को डराने के लिए धमकी देता है, ताकि वह व्यक्ति कुछ ऐसा करे जो उसे करना नहीं चाहिए या कुछ ऐसा न करे जो उसे करने का अधिकार है। यह धमकी व्यक्ति की सुरक्षा, प्रतिष्ठा, या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की होती है, या किसी प्रियजन को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है। इसका मकसद होता है कि व्यक्ति डरकर उस धमकी को टालने के लिए ऐसा काम करे या न करे।

उदाहरण के लिए, अगर A ने B को धमकी दी कि अगर वह अपना कानूनी मुकदमा नहीं हटाता, तो A उसके घर को आग लगा देगा, तो यह अपराधी धमकी है। इस मामले में, A अपराधी धमकी का दोषी पाए जाएगा क्योंकि उसने B को उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी और उसे एक ऐसा काम (मुकदमा न दायर करने) से रोकने की कोशिश की, जो कि B को कानूनी रूप से करने का अधिकार है।

यह अपराध जमानत मिलने योग्य होता है, इसे पुलिस बिना वॉरंट के नहीं पकड़ सकती, और इसे मजिस्ट्रेट के सामने ही सुना जाता है। 

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

धारा 351 की अनिवार्यताएं

धारा 351 के तहत अपराध की पूरी तरह से समझने के लिए, सबसे पहले हमें उसकी व्याख्या को समझना होगा। इस धारा के अनुसार:

  • अपराधी धमकी तब होती है जब कोई व्यक्ति दूसरे को उसकी जान, संपत्ति, या प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है।
  • जिस व्यक्ति के प्रति पीड़ित की कोई दिलचस्पी हो, उसे डराने के इरादे से धमकी देना।
  • पीड़ित को उसकी इच्छा के खिलाफ कुछ करने के लिए मजबूर करना।
  • उसे अपने कानूनी काम करने से रोकना ताकि धमकी पूरी न हो सके। 
इसे भी पढ़ें:  बी.एन.एस की धारा 303 क्या है?

धारा 351 के तहत सजा

धारा 351(2) के अनुसार भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 351 के तहत, अपराधी धमकी देने पर सजा का प्रावधान है। यदि किसी को इस धारा के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों सज़ाएँ मिल सकती हैं। यह सजा तब भी लगाई जाएगी अगर आरोपी केवल धमकी ही दे। पहले ये आईपीसी की धारा 506 के तेहत परिभाषित था।

धारा 351(3) के अनुसार अगर कोई व्यक्ति धमकी देता है कि वह मौत, गंभीर चोट पहुंचाएगा, या आग से संपत्ति को नष्ट करेगा, या ऐसा अपराध करेगा जिसकी सजा मौत या जीवनभर की जेल हो सकती है, या सात साल तक की जेल हो सकती है, या किसी महिला की चरित्रहीनता का आरोप लगाएगा, तो उसे कड़ी सजा मिल सकती है। ऐसी धमकियों पर दोषी पाए जाने पर, उसे सात साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों सज़ा मिल सकती है। ये भी आईपीसी की धारा 506 के तेहत परिभाषित था।

धारा 351(4) के अनुसार अगर कोई व्यक्ति धमकी देने के लिए गुमनाम रूप से या अपनी पहचान और जगह छुपाकर धमकी भेजता है, तो उसे अतिरिक्त सजा मिल सकती है। ऐसे व्यक्ति को सामान्य सजा के अलावा, पहचान छुपाने के लिए दो साल तक की जेल की सजा भी मिल सकती है। पहले ये आईपीसी की धारा 507 के तेहत परिभाषित था 

भारतीय न्याय संहिता का काम यह है कि अपराधों की सजा और नियम तय करे ताकि लोग कानून मानें। इसमें कई तरह के बुरे काम शामिल होते हैं, और धमकी देना भी इनमें से एक है। धमकी देने पर सजा का मकसद यह है कि लोग ऐसा करने से पहले ही डर जाएं और धमकी देने से बचें। इसका मतलब है कि अगर धमकी दी गई लेकिन अपराध नहीं हुआ, फिर भी धमकी देने के लिए सजा मिल सकती है।

इसे भी पढ़ें:  क्या भारत में दहेज मृत्यु जैसी गंभीर और दुखद समस्या का समाधान संभव है?

किसी भी तरह की कानूनी सहायता के लिए आज ही लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की एक पूरी टीम है जो आपकी हर संभव सहायता करने में मदद करेगी।

Social Media