सीआरपीसी के सेक्शन 161 के तहत कौन-से बयान होते है?

सीआरपीसी के सेक्शन 161 के तहत कौन-से बयान होते है?

कोर्ट में किसी भी केस की सुनवाई को शुरू करने से पहले उस केस की प्री-ट्रायल प्रोसीडिंग्स शुरू की जाती है। प्री-ट्रायल प्रोसेस के अंदर पुलिस इन्वेस्टीगेशन शामिल होती है जो की केस के पूरे मैटर को सुलझाने के लिए सबूत के रूप में इकट्ठा की जाती है। पुलिस इन्वेस्टीगेशन के अंदर दो जरूरी पहलू होते है। 

  1. सबसे पहले, अभियुक्त मतलब वो व्यक्ति जिस पर आरोप करना का इलज़ाम लगाया गए है, उसे पुलिस द्वारा ढूंढा जाना और अभियुक्त के खिलाफ चार्ज शीट में आरोप फाइल करना है। 
  2. और दूसरा जरूरी पहलू सभी जगहों की तलाशी और केस के लिए सभी जरूरी चीजों की जब्ती मतलब इन्वेस्टीगेशन शामिल है।

इन्ही दो पहलुओं पर पूरा केस निर्भर करता है। 

सीआरपीसी की धारा 161 क्या है?

सीआरपीसी 1973 के सेक्शन 161 को आप इस तरह से समझ सकते है कि यह किसी भी केस में पुलिस द्वारा की जाने वाली जांच या इंवेस्टीगेशन है। जब भी एक केस फाइल किया जाता है तो केस के दौरान पुलिस इन्वेस्टीगेशन करती है और उसी इन्वेस्टीगेशन के आधार पर केस की चार्ज शीट फाइल की जाती है और आगे केस चलाया जाता है। 

सेक्शन 161 के तहत पुलिस केस के सभी गवाहों और सबूतों की जांच और उनका परीक्षण करती है। इस इन्वेस्टीगेशन के दौरान पुलिस केस के गवाहों के ब्यान भी लेती है। 

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सीआरपीसी की धारा 161 के अंतर्गत क्या सजा है?

इस सेक्शन के तहत हर व्यक्ति के द्वारा सही ब्यान दिया जाना चाहिए। अगर बयान होने के बाद इन्वेस्टीगेशन में पाया गया कि व्यक्ति ने झूठ बोल कर केस को भटकाया है या कुछ फैक्ट्स को छुपाया है जो कि केस के लिए जरूरी थे तो उसे इस अपराध के तहत सज़ा भी दी जा सकती है। अब आप सोच रहे होंगे कि सीआरपीसी धारा 161 में कितने साल की सजा होती है? 

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इसके तहत एक व्यक्ति को 3 साल की जेल की सज़ा दी जा सकती है जिसके साथ आपको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। 

गवाहों की इन्वेस्टीगेशन की प्रक्रिया क्या है?

पुलिस द्वारा गवाहों से पूछताछ करके केस से संबंधित गहरी जानकारी इकट्ठी की जाती है। गवाहों से केस के बारे में जो भी प्रश्न पूछे जाते है उन्हें उस प्रश्नों का सही जवाब देना होता है। पुलिस द्वारा की गयी इस पूछताछ के दौरान हुई सभी बातचीत कानूनी तौर पर रिकॉर्ड की जाती है। जिन्हें गवाहों द्वारा दी गयी गवाही कहा जाता है।

इस बयान का महत्व 

  1. पुलिस के सामने दिए गए बयान को शपथ नहीं माना जाता है और ना ही इस बयान के लिए आपको जिरह पर परखा मतलब क्रॉस-एग्जामिनेशन (cross-examination) किया जाता है। लॉ ऑफ़ एविडेंस के अनुसार, इस तरह के बयान को ठोस सबूत नहीं माना जाता है।
  2. केस के दौरान गवाह से सच बुलवाने के लिए या गवाह का खंडन करने के अलावा सेक्शन 161 के तहत दिए गए बयान का कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

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