पैसे वापस लेने की कानूनी प्रक्रिया क्या है?

पैसे वापस लेने की कानूनी प्रक्रिया क्या है?

आप अपने किसी परिचित को रुपये उधार देते हैं क्योंकि आप उस पर भरोसा करते हैं। मगर क्या हो अगर वो आपके पैसे लौटाने में आनाकानी करने लगें।

उधार दिए हुए पैसे को वापस लेने के लिए आप ने कई बार ख़ासी मशक्कत की होगी। ऐसा अक्सर हुआ होगा कि आपने किसी को कुछ रुपये उधार दिए हों और वे उसे न लौटाने की मंशा से टालमटोल कर रहे हों। रकम चाहे छोटी हो या बड़ी हो उधार दी हुई रकम वापस लेते वक्त हमें समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ता है। ऐसी स्थिति में ऐसे कौन से कानून हैं जिन की मदद से आप अपने दिए हुए रुपये वापस पा सकते हैं, यह जानना आपके लिए ज़रूरी है। आइये समझते हैं कि ऐसे कौन से कानून हैं जिन की मदद से आप अपने दिए हुए रुपये वापस प्राप्त कर सकते हैं।

कानूनी कार्यवाही कैसे हो?

सब से पहले तो हमें इस बात का ख़ास ध्यान रखना चाहिए कि किसी को भी पैसे उधार दिए जाने के लिए भी कुछ कानून बने हुए हैं जिन का पालन हमें करना चाहिए उस के बाद ही किसी को पैसे उधार दिए जाने चाहिए। यदि आप इन कानूनों की मदद ले कर किसी को उधार देते हैं तो आप उन रुपयों को वापस आसानी से पा सकते हैं। 

यहाँ पर हमें सब से पहले इस बात जा ध्यान रखना होगा कि ऐसी कोई भी राशि जिसका मूल्य 10,000 रुपयों से अधिक का हो उसे कभी नगद के रूप में उधार न दें। दस हज़ार से अधिक मूल्य की राशि यदि उधार दी जा रही हो तो इस बात का ख़्याल रखें कि आप ये राशि बैंक खाते , चेक और आज कल उपलब्ध ऑनलाइन यू पी आई ट्रांसफर करें। 

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किसी व्यक्ति को चेक या बैंक खाते के माध्यम से रूपए उधार दिए जाने पर कम से कम आपके पास यह साक्ष्य होता है कि अमुक व्यक्ति को आपने अमुक राशि ऋण प्रदान की है। ऐसा करने पर यदि बाद में न्यायालय तक वाद की बात भी आती है तो आपके पास इस से जुड़े साक्ष्य उपलब्ध रहेंगे और आप दी हुई राशि आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

इस के बाद अगली बात जो हमें ध्यान रखनी चाहिए वो यह है कि 10,000 रुपये के मूल्य से कम की धनराशि किसी को भी नगद नहीं देनी चाहिए। 

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

सिक्योरटी चेक के माध्यम से

यह तरीका हम में से कई लोगों ने सुन रखा होगा मगर इस पर कभी अमल नहीं किया है। यदि विधिक रूप से देखा जाए तो अपनी दी हुई उधार राशि को वापस प्राप्त करने के लिए चेक का भी इस्तमाल किया जा सकता है। मगर चेक का इस्तमाल करने से पूर्व हमें इसकी प्रक्रिया की जानकारी होनी चाहिए। जिस वक्त आप अपने किसी परिजन या परिचित को रुपये उधार दे रहे हों तो उधार लेने वाले व्यक्ति से उस के ही बैंक का एक चेक उस दिनांक का ले लेना होगा जिस दिनाँक को उसने उधार दी हुई राशि को अदा करने का वचन दिया होगा। 

यहाँ हमें एक बात और ध्यान रखनी होगी कि उधार देते वक्त लिए जा रहे इस चेक को ख़ाली यानी ब्लैंक जो कि ऋणी द्वारा केवल हस्ताक्षरित हों न लें। अपितु लिए जा रहे चेक को ऋणी द्वारा ही पूरा भरवा कर ही लें और दिनाँक उस दिन की लिखवाएं जिस दिन का वादा कर उस ने रुपए लौटाने की बात कही हो।

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इसे सिक्योरिटी चेक कहा जाता है। यदि वह व्यक्ति जिस ने उधार लिया है रुपये लौटाने में असमर्थ होता है तो उसके द्वारा भरे हुए इस चेक के माध्यम से आप अपने पैसे वापस प्राप्त कर सकते हैं।

एक बात और यहाँ ध्यान रखने योग्य है कि सिक्योरिटी के रूप में रखे हुए इस चेक को बैंक में सीधे तौर पर नहीं लगाना चाहिए। बल्कि एक लीगल नोटिस ऋणी के नाम पर उसे भेजना चाहिए। इस के बाद भी यदि वह रुपये नही देता है तो आप इस सिक्योरटी चेक को बैंक में जा कर लगा सकते हैं।

क्या हो यदि सिक्योरिटी चेक बाउंस हुआ?

यदि बैंक में लगाया गया सिक्योरिटी चेक बाउंस होता है ऐसी स्थिति में ऋणी पर जिसने वह चेक दिया था निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अधिनियम की धारा 138 के तहत एक वाद के ज़रिए आपराधिक शिकायत दर्ज की जा सकती है। साथ ही यह धारा चेक बाउंस होने के मामले से भी जुड़ी हुई है जिस पर दो वर्ष का कारावास का प्रावधान है।

अनुबंध या कांट्रेक्ट

उधार दिए जाते वक़्त एक अनुबंध या करार कर लिया जाए तो उधार वापस न मिलने की स्थिति में आपका पक्ष और मजबूत हो जाता है। 

यह अनुबंध न्यूनतम 500 रुपये के शपथ पत्र पर होना चाहिए। जो किसी नोटरी वकील द्वारा प्रमाणित किया हुआ हो इस अनुबंध में उधार लेने वाले का बयान होना चाहिए कि वह अमुक दिनाँक को ऋणदाता को रुपये वापस कर देगा। साथ ही यह भी उल्लेख हो कि दिया हुआ ऋण सहायता के रूप में प्रदान किया गया है। 

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इस अनुबंध के साथ ही ऋणदाता का पक्ष और मज़बूत हो जाता है। यदि ऋणी ने पैसे नहीं लौटाए तो इस अनुबंध की वजह से सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 37 के अनुसार ऋणदाता एक सिविल वाद दायर कर अपने पैसे वापस प्राप्त कर सकता है।

क्या ऋण में दिए हुए कालेधन को प्राप्त किया जा सकता है?

इस सवाल का सीधा सा उत्तर ‘नहीं’ है। इस का कारण यह है कि सरकार को धोखा दे कर किया गया लेनदेन सरकार ही नज़र में जुर्म ही है और ऐसे में कानून और न्याय से उन्हें किसी भी प्रकार की सहायता की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

रुपये कौन उधार दे सकता है?

10,000 से ऊपर की धनराशि यूँ तो ऊपर बताए गए तरीकों के माध्यम से कोई भी दे सकता है। मगर इस से कम की राशि देने का प्रावधान नहीं है। इस बात का ध्यान भी रखा जाए कि उधारी दिए जाने का व्यापार करना भी जुर्म की श्रेणी में आता है। इस व्यापार को करने हेतु मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के अंतर्गत एक लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।

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