अनुपालन या कम्प्लाइंसिस का मतलब होता है अनुशासन में रहना या बनाये गए सभी नियम और कानूनों का पालन करना। घर, पढ़ाई, नौकरी या अपना खुद का काम हर चीज़ में अनुशासन होना जरूरी है तभी वह अच्छे परिणाम देते है।
किसी भी स्टार्टअप (छोटे स्तर पर खोला गया नया बिज़नेस) के लिए कुछ कानूनी आवश्यकतायें होती है। नए उद्यमियों (Entrepreneurs) का लक्ष्य एक मजबूत कंपनी को बनाना होता है। इसके लिए उन्हें बहुत से संसाधनों की जरूरत पड़ती है, जिन्हें भूमि और व्यवसाय और इससे जुड़े कानूनों का अच्छा ज्ञान है।
पात्रता/एलिजिबिलिटी:
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या एलएलपी या पार्टनरशिप कम्पनी –
किसी भी नए स्टार्टअप के पंजीकरण/रजिस्ट्रेशन के लिए एलिजिबल होने के लिए कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या किसी भी तरह की पार्टनरशिप के रूप में रजिस्टर किया कराया जा सकता है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
5 साल से ज्यादा पुराना नहीं:
नीति (policy) की शुरुआत होने से या नीति के प्रभाव में आने की तारीख से 5 साल पहले तक, भारत में शुरू हुआ कोई भी बिज़नेस, ऐसे निगम स्टार्टअप के आवेदन के लिए एलिजिबल है।
वार्षिक कारोबार:
पिछले 5 सालों में कंपनी के काम करने के दौरान, किसी में साल में 25 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का वार्षिक कारोबार (Annual Turnover) हुआ होना चाहिए।
नया उत्पाद या नई सेवा:
नए उत्पाद (Product) या नयी सेवा (Service) बनाने वाले स्टार्टअप या नयी कंपनी को नए विचारों और विकास की ओर काम करना चाहिए, जिसका उद्देश्य नए प्रोडक्ट या सर्विस का व्यावसायीकरण (commercialise) करना है।
डीआईपीपी की स्वीकृति:
एक नए स्टार्ट-अप को औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion (DIPP)) द्वारा गठित किये गए अंतर-मंत्रालयी बोर्ड से मंजूरी लेनी होगी। डीआईपीपी से मंजूरी लेने के लिए, एक स्टार्ट-अप को अपने बिज़नेस के नयेपन, नए आइडियाज के बारे में बताता हुआ एक आवेदन प्रस्तुत करना होता है।
श्रम कानून के तहत अनुपालन:
श्रम कानून:
श्रम कानून (Labour Law) आम तौर पर न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, औद्योगिक विवाद आदि के तहत अनुपालन से संबंधित मामलों से डील करते हैं। स्टार्टअप अक्सर अपने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न को अनदेखा कर देते हैं। अनुपालन ना करने की स्थिति में कंपनी पर 50,000/- (पचास हजार रुपये) का जुर्माना लगाया जा सकता है या लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है।
कंपनी एक्ट 2013:
कंपनी एक्ट 2013 के तहत शामिल एक स्टार्टअप को, कंपनी एक्ट 2013 के सभी प्रावधानों की पुष्टि करनी चाहिए। यह कंपनी के डायरेक्टर्स की नियुक्ति और अन्य बोर्ड मीटिंग्स के तरीके को नियंत्रित करता है।
आयकर (Income Tax) एक्ट, 1961:
हर एक बिज़नेस को आयकर (Income Tax) रिटर्न दाखिल करने और सभी प्रक्रियात्मक जरूरतों का पालन करना जरूरी होता है। किसी भी विसंगति (discrepancy) के मामले में, आप ऊँचे स्तर के अधिकारियों से अपील कर सकते हैं।
जीएसटी अनुपालन:
कानून के द्वारा हर साल 40 लाख रुपये के कारोबार (turnover) से कम वाले स्टार्टअप को जीएसटी का भुगतान ना करने की छूट दी गई है। कानून के अनुसार ऐसा करने से छोटे व्यवसायों को तेज गति से बढ़ने में मदद मिलती है।
भारत में कई अन्य कानून हैं जिनको एक लाभदायक संगठन बनाने के लिए अनुपालन करने की जरूरत है।
स्टार्टअप्स को सफल बनाने और कुशल वृद्धि के लिए प्रासंगिक कानूनों का अनुपालन करना बहुत जरूरी है। कानूनों द्वारा बनाये अनुपालन यह दर्शाता है कि बढ़ते स्टार्टअप के विकास पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाता है बल्कि यह बिज़नेस को किसी भी अन्य संभावित परेशानियों से बचाने में मदद करता है।
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