किस परिस्थिति में आईपीसी के सेक्शन 325 के तहत केस फाइल किया जा सकता है?

किस परिस्थिति में आईपीसी के सेक्शन 325 के तहत केस फाइल किया जा सकता है?

आईपीसी के सेक्शन 325 क्या है 

भारतीय दण्ड संहिता का धारा 325 विवाद का विषय है जो शीर्षक “गैरहिंसक भेदभाव अथवा गर्भपात के लिए धमकाना अथवा उत्प्रेरण अथवा अपहरण के लिए दण्ड” है।

इस धारा के तहत, जो कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को गैरहिंसक भेदभाव अथवा गर्भपात के लिए धमकाता है, उसे दंडित किया जा सकता है। इस धारा के अंतर्गत व्यवहार किए जाने पर सजा कार्यान्वित की जाती है जो प्राकृतिक या आधारभूत हो सकती है अथवा उसका कोई निर्धारित मात्रा नहीं हो सकता है।

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आईपीसी के सेक्शन 325 के तहत फाइल किए जाने वाले केस कौन से हैं

आईपीसी के सेक्शन 325 भारतीय दंड संहिता में उल्लिखित है और इसमें अपराध के लिए सजा का प्रावधान किया गया है।

सेक्शन 325 के तहत निम्नलिखित परिस्थितियों में केस फाइल किया जा सकता है:

  • जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ धार्मिक आदर्शों के आधार पर विभेद, नफरत या उसके जाति या धर्म के कारण उसे उपद्रव पहुंचाता है।
  • जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ उसके जाति या धर्म के कारण अन्यायपूर्ण और उत्पीड़नजनक कार्य करता है।
  • जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उत्पीड़ित करता है या उसे निरंतर परेशान करता है और उसे उपद्रव या नुकसान पहुंचाता है।
  • इन परिस्थितियों में, यदि कोई व्यक्ति अपराध के शिकार होता है तो उसके विरुद्ध केस आईपीसी के सेक्शन 325 के तहत दर्ज किया जा सकता है।आईपीसी के सेक्शन 325 में दंडनीय अपराधों के प्रावधान होते हैं, जो धार्मिक आधार पर विभेद, नफरत, उत्पीड़न या उसके जाति या धर्म के कारण उपद्रव पहुंचाने वाले कार्यों को कवर करते हैं। 
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कौन से मामलों में सेक्शन आईपीसी 325 लगाया जाता है –

आईपीसी के सेक्शन 325 के तहत निम्नलिखित मामलों में केस दर्ज किए जाते हैं:

यदि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को धार्मिक आधार पर उपद्रव पहुंचाता है जैसे कि किसी व्यक्ति के साथ धार्मिक विभेद के आधार पर आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग करना या उन्हें फिजिकली या जानलेवा हमले का शिकार बनाना।

यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अन्यायपूर्ण कार्य करता है जैसे कि किसी व्यक्ति के साथ उसकी जाति या धर्म के कारण उत्पीड़नजनक शब्दों का उपयोग करना या उन्हें नुकसान पहुंचाना।अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को निरंतर परेशान करता है या उसे उत्पीड़ित करता है और इसके दौरान उसे धार्मिक आधार पर अन्यायपूर्ण शब्दों का उपयोग करता है तो इस मामले में आईपीसी के सेक्शन 325 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।

धार्मिक आधार पर अन्यायपूर्ण शब्दों का उपयोग करने से न केवल उपद्रव पहुंचाया जाता है, बल्कि यह धार्मिक विवादों को भी बढ़ावा देता है। इसलिए, ऐसी स्थितियों में आईपीसी के सेक्शन 325 के तहत केस दर्ज किए जाने की संभावना होती है।

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