मौलिक अधिकार क्या है?

मौलिक अधिकार क्या है?

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक हैं। ये भारत के नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए कुछ विशेष अधिकार हैं जो कि स्वतंत्र भारत के संविधान से हासिल किए गए थे।  मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के मामले में भारत के  न्यायालय अहम भूमिका निभातें  है।

मौलिक अधिकार का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को एक स्वतंत्र, समतापूर्ण, न्यायपूर्ण, सुरक्षित और अधिकारों के साथ भरपूर जीवन जीने का अधिकार देना है। मौलिक अधिकारों का संविधान की प्रीएम्बल में उल्लेख किया गया है जिसमें दिया गया है कि संविधान उन अधिकारों को सुनिश्चित करता है जो कि न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं।

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मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकारों के अंतर्गत निम्नलिखित अधिकार शामिल हैं:

मानवाधिकार का सबसे महत्वपूर्ण और आधारभूत पक्ष विभिन्न अधिकारों की प्रतिष्ठा और सुरक्षा है, जो भारतीय संविधान में स्थापित की गई हैं। इन अधिकारों का संवैधानिक प्रमाण संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में दिया गया है। इसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शैक्षिक अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल हैं।

समानता का अधिकार

यह अधिकार अनुच्छेद 14 से 18 तक विस्तार से उपलब्ध है। इसमें भारतीय नागरिकों को समान व मानवीय दर्जे की पहचान, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, जाति, धर्म, लिंग, जन्म आदि के आधार पर होने वाले भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा, समान वेतन के अधिकार, और सामान्य जगहों के उपयोग के अधिकार शामिल हैं।

स्वतंत्रता का अधिकार

यह अधिकार अनुच्छेद 19 से 22 तक मिलता है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता, वाणी, धर्म, संघ का गठन और संघ में सम्मिलन के अधिकार, गैरकानूनी देरी के खिलाफ हिरासत में लेने पर प्रतिबंध, स्वतंत्र धार्मिक प्रचार और शोषण के खिलाफ सुरक्षा जैसे स्वतंत्रता के अधिकार शामिल हैं।

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शोषण के विरुद्ध अधिकार 

यह अधिकार अनुच्छेद 23 से 24 तक विस्तार से मिलता है और इनमें  बाल श्रम, व्यापारिक और नियमित श्रमिकों के शोषण के खिलाफ सुरक्षा के अधिकार शामिल हैं।

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

यह अधिकार अनुच्छेदz25 से 28 तक द्वारा प्रदत्त होता है और व्यक्तिगत धार्मिक अभिवृद्धि, धार्मिक आदर्शों का पालन और सार्वभौमिक समानता के अधिकार शामिल हैं।

संस्कृति तथा शैक्षिक अधिकार

यह अधिकार अनुच्छेद 29 से 30 तक मिलता है और संस्कृति के प्रशंसा, अल्पसंख्यक समुदायों की संरक्षा, और नागरिकों को शिक्षा के अधिकार शामिल हैं।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार

यह अधिकार अनुच्छेद 32 से 35 तक विस्तार से मिलता है और संविधानिक उपचारों के अधिकार, संविधान के लिए हिस्सेदारी, अधिकारीय अधिकार और अधिकारियों की दायित्वशीलता के अधिकार शामिल हैं।

इन अधिकारों के अतिरिक्त कुछ और अन्य सामान्य अधिकार भी नागरिकों को प्राप्त है। जो कि निम्नलिखित हैं:–

जीवन, स्वास्थ्य और व्यवसाय का अधिकार :

इस अधिकार के तहत हर व्यक्ति को अपने जीवन, स्वास्थ्य और व्यवसाय को स्वतंत्रता से चलाने का अधिकार होता है।

न्याय अधिकार

इस अधिकार के तहत हर व्यक्ति को न्यायपूर्ण विचारधारा के अनुसार न्यायालय में जाने और अपने मामले की सुनवाई करवाने का अधिकार होता है।

संपत्ति अधिकार

इस अधिकार के तहत हर व्यक्ति को अपनी संपत्ति को अपनी पसंद के अनुसार प्रयोग करने और उसके मालिक बनने का अधिकार होता है।

यदि इस सम्बन्ध में आप भी कोई लीगल सहायता चाहते हैं तो आप लीड इंडिया ऑफिस में भी संपर्क कर सकते हैं। 

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