गर्भावस्था एक खास समय होता है जब माँ और उसका बच्चा आपस में जुड़ते हैं, जबकि बच्चा विकास कर रहा होता है। गर्भावस्था सिर्फ शारीरिक बदलावों से नहीं, बल्कि एक गहरे अनुभव से जुड़ी होती है। यह यात्रा, जो गर्भावस्था से मातृत्व तक होती है, हर नई माँ के लिए बहुत खास और खूबसूरत होती है, जिसे वह हमेशा याद रखना चाहती है। लेकिन जो महिलाएं कामकाजी हैं और माँ बनने वाली हैं, तो क्या यह उनके लिए संभव है कि वह घर पर रहकर अपना और अपने होने वाले बचे का ध्यान रखें?
भारत में, गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद माँ को जो समर्थन मिलता है, वह हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इसलिए, यह जरूरी है कि कामकाजी महिलाओं को भी कार्यस्थल पर इसी तरह का समर्थन मिले। यह मुमकिन होता है भारत सरकार द्वारा बनाए गए मातृत्व लाभ कानून (Maternity Benefit Act 1961) के जरिए, जो जल्द माँ बनने वाली महिलाओं को अपना ध्यान देने के लिए काम से कुछ समय छुट्टी लेने की अनुमति देता है। यह ब्लॉग मातृत्व अवकाश से जुड़ी कानूनी जानकारी देगा, जिसमें अवकाश की अवधि, छुट्टी के दौरान मिलने वाला भुगतान, पात्रता के नियम और अन्य महत्वपूर्ण बातें शामिल होंगी।
मातृत्व अवकाश क्या है?
मातृत्व अवकाश वह समय होता है जब महिला को बच्चे के जन्म से पहले और बाद में काम से छुट्टी मिलती है, ताकि वह ठीक से आराम कर सके और अपने नवजात शिशु की देखभाल कर सके। मातृत्व अवकाश एक कानूनी अधिकार है, और नियोक्ता को आमतौर पर योग्य कर्मचारियों को यह लाभ देना जरूरी होता है। यह कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ समानता बढ़ाने में मदद करता है, क्योंकि यह उन्हें अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए छुट्टी लेने का मौका देता है, बिना यह डर के कि उनकी नौकरी या वेतन छिन जाएगा। मातृत्व लाभ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र (Public and Private sector) की संस्थाओं में काम करने वाली महिलाओं पर लागू होता है। कार्यस्थल पर मातृत्व लाभ जरूरी हैं ताकि महिलाओं की नौकरी की सुरक्षा बनी रहे, उनके आर्थिक अधिकारों की रक्षा हो और उनकी मातृत्व जिम्मेदारियों को सपोर्ट किया जा सके।
भारत में मातृत्व अवकाश को कौन सा कानून नियंत्रित करता है?
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 भारत में मातृत्व अवकाश को नियंत्रित करने वाला मुख्य कानून है। यह कानून उन संस्थानों पर लागू होता है जहाँ दस या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं और महिला कर्मचारियों को मातृत्व के दौरान वेतन सहित छुट्टी और कुछ सुरक्षा प्रदान करता है।
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की मुख्य विशेषताएँ:
- यह अधिनियम महिलाओं को बच्चे के जन्म के कारण काम से छुट्टी लेने पर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
- यह वेतन सहित मातृत्व अवकाश प्रदान करता है, ताकि महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद आराम कर सकें और अपने नवजात शिशु की देखभाल कर सकें।
- यह नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, यानी महिलाएं मातृत्व अवकाश के बाद अपनी पुरानी नौकरी पर वापस लौट सकती हैं।
- इस अधिनियम के अनुसार, मान्यता प्राप्त संगठनों और फैक्ट्रियों में काम करने वाली महिलाएं 6 महीने तक मातृत्व अवकाश ले सकती हैं। महिलाएं यह अवकाश बच्चे के जन्म से पहले और बाद में ले सकती हैं। इस अवकाश के दौरान, नियोक्ता को महिला कर्मचारी को पूरा वेतन देना होता है।
- इस कानून में कई बार बदलाव किए गए हैं, जिनमें 2017 में किया गया बदलाव सबसे महत्वपूर्ण था। इस बदलाव के तहत मातृत्व अवकाश के नियमों को बढ़ाया गया और महिला कर्मचारियों के लिए लाभ को बेहतर बनाया गया। अब इस कानून को मातृत्व लाभ अधिनियम, 2017 के नाम से जाना जाता है।
मातृत्व लाभ अधिनियम 2017 के प्रावधान इस प्रकार हैं:
- मातृत्व अवकाश की अवधि में वृद्धि: मातृत्व अवकाश पहले 12 हफ्ते था, जिसे 2017 में बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया। महिलाएं बच्चे के जन्म से पहले और बाद में भी छुट्टी ले सकती हैं।
- गोद लेने और कमीशनिंग माताओं के लिए मातृत्व अवकाश: जो महिलाएं 3 महीने से कम उम्र का बच्चा गोद लेती हैं या कमीशनिंग मां (Commissioning mother) होती हैं, उन्हें 12 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलेगा। यह छुट्टी तब से शुरू होगी जब बच्चा मां को दिया जाएगा।
- घर से काम करने का विकल्प: 2017 के संशोधन के अनुसार, अगर काम घर से किया जा सकता है, तो नियोक्ता महिला को गर्भावस्था के दौरान घर से काम करने की अनुमति दे सकता है। मातृत्व अवकाश के बाद भी, महिला कंपनी और कर्मचारी की सहमति से घर से काम कर सकती हैं।
- क्रेच सुविधाएं: 2017 के संशोधन के तहत, 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले व्यवसायों को पास में बच्चों की देखभाल की सुविधा उपलब्ध करवानी होगी। नियोक्ता को महिला को दिन में चार बार क्रेच जाने की अनुमति देनी होगी, ताकि वह अपने बच्चे को देख सके।
मातृत्व अवकाश के लिए महिला की पात्रता क्या है?
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत सभी महिला कर्मचारियों को स्वचालित रूप से मातृत्व अवकाश नहीं मिलता। इसके लिए कुछ खास शर्तें हैं, जिन्हें पूरा करना जरूरी है।
- कर्मचारी को अपनी डिलीवरी की तारीख से पहले पिछले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन उसी नियोक्ता के साथ काम करना चाहिए।
- कर्मचारी को उस जगह काम करना चाहिए जो मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत आती हो (जैसे फैक्ट्रियां, दुकानें या ऐसे प्रतिष्ठान जिनमें 10 या उससे अधिक कर्मचारी हों)।
- अगर महिलाएं स्वयं काम करती हैं, ठेके पर काम करती हैं, या अनौपचारिक क्षेत्र में काम करती हैं, तो उन्हें मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं मिलेगा, सिवाय इसके कि स्थानीय श्रम कानून या नियोक्ता की नीतियों के तहत उन्हें यह लाभ दिया जाए।
मातृत्व अवकाश की अवधि क्या होती है?
2017 में मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम के तहत, भारत में मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते (लगभग 6 महीने) कर दी गई।
मातृत्व अवकाश की अवधि के बारे में जरूरी बातें:
पहले और दूसरे बच्चे के लिए सभी गर्भवती महिलाओं को 26 हफ्ते का मातृत्व अवकाश मिलता है।, जिससे वे बच्चे के जन्म के बाद आराम कर सकें और उसके साथ समय बिता सकें।
- जिन महिलाओं के दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें 12 हफ्ते का अवकाश मिलेगा।
- 26 हफ्तों में से पहले 8 हफ्ते अवकाश से पहले और गर्भवती महिला अपेक्षित डिलीवरी तारीख से पहले अधिकतम 8 हफ्ते का अवकाश ले सकती हैं और बाकी 18 हफ्ते का अवकाश बच्चे के जन्म के बाद ले सकती है।
- गर्भपात या मेडिकल कारणों से गर्भावस्था खत्म होने पर महिलाओं को 6 हफ्ते का वेतन सहित अवकाश मिलता है।
मातृत्व अवकाश के दौरान महिला को कितना भुगतान दिया जाता है?
मातृत्व अवकाश का एक अहम पहलू यह है कि महिलाओं को उनके अवकाश के दौरान वित्तीय समर्थन मिलता है। मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत, महिलाओं को उनके मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन मिलता है।
वेतन भुगतान के बारे में विवरण:
- मातृत्व अवकाश पर जाने वाली महिलाओं को उनकी छुट्टी के दौरान पूरा वेतन मिलता है, जो उनके पिछले तीन महीनों की औसत दैनिक (Average Income) आय पर आधारित होता है।
- नियोक्ता को ये लाभ सीधे कर्मचारी को देना होता है, और आमतौर पर यह राशि अवकाश के दौरान नियमित समय पर दी जाती है।
- मातृत्व अवकाश के दौरान वेतन का भुगतान कर्मचारी की सामान्य वेतन संरचना (Salary Structure) और लाभों के अनुसार किया जाता है, ताकि इस महत्वपूर्ण समय में कर्मचारी को आर्थिक नुकसान न हो।
अगर नियोक्ता मातृत्व लाभ का भुगतान नहीं करता, तो कर्मचारी मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत निरीक्षक (Inspector) से संपर्क कर सकती हैं, जो कानून के पालन को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। एक निरीक्षक गर्भवती महिलाओं के साथ बुरे बर्ताव की जांच कर सकते हैं। अगर कर्मचारी निरीक्षक के फैसले से खुश नहीं हैं, तो वे अधिकृत अधिकारी (Authorized Officer) से अपील कर सकते हैं। अगर शिकायत सही पाई जाती है, तो नियोक्ता को कर्मचारियों को मुआवजा देना होगा।
मातृत्व अवकाश के दौरान नौकरी की सुरक्षा और अधिकार क्या हैं?
मातृत्व अवकाश केवल काम से छुट्टी लेने के बारे में नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के बारे में भी है कि महिलाओं को उनके अवकाश के दौरान और बाद में नौकरी की सुरक्षा मिले।
मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत नौकरी की सुरक्षा:
- वापस आने का हक: मातृत्व अवकाश के बाद, कर्मचारी को उसी पद पर या समान पद पर उसी वेतन और लाभ के साथ लौटने का हक है।
- अवकाश के दौरान नौकरी से नहीं हटाया जा सकता: महिलाओं को मातृत्व अवकाश के दौरान नौकरी से निकालना या भेदभाव करना अवैध है। अगर नियोक्ता अवैध तरीके से महिला को काम से निकाल देता है, तो महिलाओं नियोक्ता के खिलाफ कानूनी कार्यवाई कर सकती है।
- कार्यस्थल सुरक्षा: यह अधिनियम यह भी सुनिश्चित करता है कि गर्भवती महिलाओं के लिए कार्यस्थल सुरक्षित हो। नियोक्ता को महिला की सेहत और बच्चे के लिए कोई शारीरिक दबाव या तनाव नहीं होने वाला सुरक्षित वातावरण प्रदान करना होता है।
सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला एयर इंडिया बनाम नगेश मीरजा,1981 मामले में एयर होस्टेस के लिए नौकरी के नियमों में लिंग भेदभाव को लेकर था। कोर्ट ने कहा कि कुछ नियम, जैसे 35 साल की उम्र में रिटायरमेंट और गर्भावस्था या शादी के कारण नौकरी से निकालना, महिलाओं के मूल अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और यह असंवैधानिक हैं। कोर्ट ने गर्भावस्था के कारण रिटायरमेंट के नियम को निरस्त किया, लेकिन 35 साल की रिटायरमेंट उम्र को सही ठहराया, क्योंकि यह काम की प्रकृति के हिसाब से था। फैसले ने भेदभाव खत्म करने में कुछ कदम बढ़ाए, लेकिन पूरी तरह से समानता नहीं लाई।
मातृत्व अवकाश के संबंध में नियोक्ता के कर्तव्य क्या होने चाहिए?
- नियोक्ताओं को महिला कर्मचारियों को उनके मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन देना जरूरी है। यह वेतन उनके पिछले 3 महीनों की असली सैलरी या दैनिक वेतन के आधार पर तय किया जाता है।
- महिलाओं को डिलीवरी या गर्भपात के बाद 6 हफ्तों तक काम पर नहीं बुलाया जा सकता। नियोक्ता को बच्चों की देखभाल की सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए और महिला को अवकाश के बाद उसी पद पर वापस लाना चाहिए।
- गर्भवती कर्मचारियों को निम्नलिखित सुविधाएं मिलनी चाहिए:
- साफ और स्वच्छ टॉयलेट्स
- आरामदायक काम और बैठने की व्यवस्था
- सुरक्षित पीने का पानी
- नियोक्ता को गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी से 10 हफ्ते पहले कठिन काम या लंबे घंटे नहीं देना चाहिए ताकि मां और बच्चे की सेहत सुरक्षित रहे।
- अगर महिला मातृत्व अवकाश के बाद काम पर वापस नहीं आ सकती, तो नियोक्ता आपसी सहमति से अतिरिक्त छुट्टी दे सकते हैं। साथ ही, अगर दोनों पक्ष सहमत हों, तो नियोक्ता घर से काम करने की सुविधा भी दे सकते हैं।
निष्कर्ष
मातृत्व अवकाश भारत में काम करने वाली महिलाओं का एक जरूरी कानूनी हक है, जिससे उन्हें बच्चे को जन्म देने के बाद ठीक होने और अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए समय और पैसे मिलते हैं। मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 और 2017 में किए गए बदलावों ने महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर ज्यादा सुरक्षा और लाभ दिए हैं, जिससे वे इस अहम समय में जरूरी मदद पा सकती हैं।
नियोक्ता और कर्मचारियों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। नियोक्ताओं को इस कानून का पालन करना चाहिए और कर्मचारियों को यह समझना चाहिए कि वे किस हक के हकदार हैं।
भारत में महिलाओं को कार्यस्थल पर समान अधिकार देने के लिए, मातृत्व अवकाश नीतियों को सुधारना और बढ़ाना एक अहम कदम है। इससे महिलाएं कामकाजी दुनिया में और बेहतर तरीके से शामिल हो सकती हैं और समाज में समानता बढ़ सकती है।
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FAQs
1. मातृत्व अवकाश कितने समय के लिए होता है?
मातृत्व अवकाश की अवधि 26 हफ्ते (लगभग 6 महीने) होती है। महिलाएं इस अवकाश को बच्चे के जन्म से पहले और बाद में ले सकती हैं। अगर महिला के पहले से दो से अधिक बच्चे हैं, तो उसे 12 हफ्ते का अवकाश मिलेगा।
2. मातृत्व अवकाश के दौरान महिला को वेतन मिलेगा या नहीं?
हां, महिला को मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन मिलेगा। यह वेतन उनकी पिछले तीन महीनों की औसत दैनिक आय पर आधारित होगा।
3. कौन सी महिलाएं मातृत्व अवकाश के हकदार होती हैं?
वह महिला कर्मचारी, जो अपनी डिलीवरी की तारीख से पहले पिछले 12 महीनों में कम से कम 80 दिन अपने नियोक्ता के पास काम कर चुकी हैं, वे मातृत्व अवकाश की पात्र होती हैं। यह अधिनियम उन संस्थानों पर लागू होता है जहां 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
4. क्या नियोक्ता महिला को मातृत्व अवकाश के दौरान काम से निकाल सकते हैं?
नहीं, नियोक्ता महिला को मातृत्व अवकाश के दौरान काम से नहीं निकाल सकते। यह कानूनी रूप से गलत है और अगर ऐसा होता है, तो महिला नियोक्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।