भारत में तलाक लेने के मुख्य आधार क्या हैं ?

भारत में तलाक लेने के मुख्य आधार क्या है ?

जिस प्रकार विवाह को जन्मों जन्मों का बंधन माना जाता है उसी प्रकार तलाक लेने के लिए भारतीय कानून में कुछ निश्चित कारणों का उल्लेख किया गया है।  जिसके आधार पर ही कोई व्यक्ति अपनी तलाक की याचिका दायर कर सकता है इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति को कोई और परेशानी है अपने साथी से तो वह अन्य प्रकार की कार्यवाही की मांग कर सकता है लेकिन तलाक की मांग केवल इन सात कारणों  पर ही अदालत द्वारा स्वीकार की जाती जाती है ।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

व्यभिचार

यदि पति या पत्नी में से किसी को भी लगता है कि उसका साथी विचार में संलिप्त है तो ऐसे मामले में वह तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दे सकता है।

परित्याग

परित्याग का मतलब होता है पति या पत्नी में से किसी ने शारीरिक या मानसिक रूप से दूसरे को त्याग दिया है। ऐसे में भारत का कानून उक्त व्यक्ति से रिश्ता खत्म करने की आजादी देता है। 

यौन रोग

कुछ यौन रोग ऐसे होते हैं जिसमें यदि पति या पत्नी दोनों साथ में रहे तो वह संक्रमण के कारण एक दूसरे को फैल सकते हैं, जिससे दूसरे व्यक्ति की जान को भी खतरा हो सकता है ऐसे में यदि एक व्यक्ति किसी ऐसे यौन रोगों से पीड़ित है जो संक्रमण के कारण दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकते हैं तो ऐसी स्थिति में तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई जा सकती है।

संन्यास

सन्यास भारत की परंपरा का हिस्सा है। अधिकांश पुरुष प्रारंभ से ही भारत में संन्यास की प्रथा के चलते एक समय के बाद घर से बाहर निकल जाते हैं। हालांकि कई बार अब संयास में महिलाएं भी दिखाई देती हैं । अब ऐसे में पति और पत्नी में से यदि कोई एक व्यक्ति सन्यास ले लेता है तो दूसरे व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। इसलिए ऐसी स्थिति में कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी लगाई जा सकती है और कोर्ट इस पर गंभीरता पूर्वक सुनवाई करता है।

इसे भी पढ़ें:  झूठी एफआईआर के मामले में आरोपी के अधिकार क्या हैं?

धर्म परिवर्तन

भारत परंपराओं का देश है और यहां धर्म को एक विशेष रूप से मानव के जीवन से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए पति-पत्नी में से कोई एक व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन कर लेता है तो ऐसे में शेष बचे दूसरे व्यक्ति को सामाजिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती है इसलिए वह यदि चाहे तो पति या पत्नी के साथ ना जाकर अपने धर्म में रहकर तलाक की मांग कर सकता है। 

कुष्ठ रोग

कुष्ठ रोग में भारत में तलाक का आधार है। कुछ समय पहले तक भारत में भ्रांतियां थी कि कुष्ठ रोग संक्रमण से फैलता है और ऐसे में समाज में कुष्ठ रोग के प्रति नजरिया भी काफी गलत था। हालांकि कुछ दिनों के बाद शोधों से पता चला कि कुष्ठ लोग संक्रमण से नहीं फैलता और इससे धीरे-धीरे समाज में बदलाव हो रहे हैं । लेकिन भारत का कानून में सामाजिक प्रतिष्ठा को देखते हुए कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति से यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अलग होना चाहिए तो उसके लिए तलाक का प्रावधान किया गया है।

यदि व्यक्ति लापता हो गया हो

कई वर्षों से व्यक्ति लापता हो गया और उसके जीवित होने की कोई खबर ना हो ऐसे में दूसरा पक्षपात या पत्नी कोर्ट में तलाक की अर्जी लगा सकता है। भारत का कानून इस गंभीर समस्या में तलाक लेने की अनुमति देता है।

तलाक की प्रक्रिया एक गंभीर प्रक्रिया है । इसलिए भारत का कानून बड़ी बुद्धिमत्ता और सतर्कता के साथ इस विषय पर फैसला करने में विश्वास रखता है। यदि आप भी तलाक से संबंधित किसी प्रकार की सहायता चाहते हैं अथवा कोई जानकारी चाहते हैं तो आज ही हमारी कंपनी लीड इंडिया से संपर्क करें हमारे पास एक्सपर्ट वकीलों की एक पूरी टीम है जो कई वर्षों से इस क्षेत्र में कम कर रही है आपकी हर संभव सहायता करने में मदद करेगी।

Social Media