कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी शर्तें क्या हैं?

कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी शर्तें क्या हैं?

भारत में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है इसलिए कोर्ट भी इसको अत्यंत संवेदनशील रूप से देखता है क्योंकि शादी का मतलब एक ऐसे व्यक्ति और परिवार से बंधना होता है जिसके साथ आप पूरा जीवन गुजारने वाले हैं। इसलिए कोर्ट अक्सर शादी करने वाले युवक और युवतियों के बारे में अच्छे तरीके से जानकारी जुटाता है इसके बाद ही विवाह को अपनी सहमति देता है। कोर्ट मैरिज के लिए कुछ शर्तों का पालन करना अनिवार्य हो जाता है जैसे-: 

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युवक और युवती अविवाहित हो

कोर्ट मैरिज करने से पूर्व सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है विवाह करने वाले जोड़ाअविवाहित होना चाहिए। भारत का कानून साफ तौर पर दो विवाह करने अथवा एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने की आजादी बिल्कुल भी नहीं देता है और इसे कानूनी तौर पर अपराध माना जाता है। इसलिए कोर्ट सबसे पहले यह छानबीन करता है कि क्या कोर्ट मैरिज करने की इच्छा रखने वाला यह जोड़ा पहले से कहीं विवाहित तो नहीं है। 

दूसरी शर्त इस मामले में तब आती है यदि कोई विवाहित पुरुष या महिला शादी करना चाहते हैं तो उसके लिए यह अनिवार्य है कि कोर्ट मैरिज करने से पहले महिला या पुरुष को अपने जीवन साथी से तलाक लेना होगा। 

ऐसी स्थिति में जब कोई विवाहित पुरुष या महिला शादी करना चाहता है तो डाइवर्स के पेपर कोर्ट में पेश करने के बाद ही कोर्ट मैरिज सुनिश्चित की जाती है। इसके अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण बिंदु होता है जिस स्थिति में विवाहित महिला या पुरुष बगैर तलाक के भी शादी कर सकते हैं अगर विवाहित पुरुष या महिला में से किसी का जीवनसाथी मर चुका हूं अथवा अज्ञात कारणों से कई वर्षों से लापता हो ऐसी स्थिति में कोर्ट को यह जानकारी देने के बाद कोर्ट मैरिज की जा सकती है।

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लीगली रेडी

हिंदू मैरिज एक्ट में शादी करने के लिए कुछ कम्युनिटी की गाइडलाइंस बनाई गई है। कोर्ट मैरिज करते वक्त भी इन गाइडलाइंस को बड़ी सख्ती के साथ देखा जाता है और उनके अनुसार ही काम किया जाता है। हिंदुओं में अक्सर ब्लड रिलेशन में शादी करना एक अपराध की दृष्टि से देखा जाता है। सामाजिक रूप से तो इसे मान्यता नहीं है इसके अतिरिक्त इसके परिणाम भी गलत बताए जाते है। इसलिए कोर्ट मैरिज करते वक्त भी इन सारी चीजों को ध्यान में रखा जाता है कि कोर्ट मैरिज करने वाले महिला या पुरुष में से कोई भाई या बहन ना हो अथवा कोई ऐसा रिश्ता ना हो जो कम्युनिटी की गाइडलाइन का विरोध करता हो।

मानसिक रूप से स्वस्थ हों

कोर्ट मैरिज क्योंकि शादी की एक अलग प्रक्रिया है इसलिए कोर्ट सुनिश्चित करता है कि जिस कपल को शादी के बंधन में बंधना है वो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए। उनके जीवन में शांति सुख और समृद्धि रहे इसलिए यह आवश्यक है कि वह दोनों मानसिक रूप से स्वस्थ हो। इसलिए मानसिक रूप से किसी भी प्रकार की समस्या होने पर कोर्ट मैरिज नहीं की जा सकती। इसके लिए मैरिज करने वाले अधिकारी कोर्ट मैरिज करने की इच्छा रखने वाले जोड़े से इस विषय में बात करते हैं तथा उनकी मानसिक स्थिति की जांच भी करते हैं जिससे यह पता चल सके कि दोनों ही मानसिक रूप से स्टेबल है और आगे अपना जीवन अच्छे सूझ बूझ के साथ गुजार सकते हैं।

उम्र

कोर्ट मैरिज के लिए अगले शर्त उम्र की होती है। प्रेम संबंध में बढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है लेकिन शादी के बंधन  में बंधने के लिए भारत के संविधान द्वारा बताई गई एक निश्चित उम्र का होना आवश्यक है। वैसे तो यह उम्र अलग-अलग शादी से संबंधित कानून के होते हुए कई जगह पर भिन्न-भिन्न भी होती है जैसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में शादी करने की महिला की न्यूनतम उम्र 15 वर्ष होती है वही हिंदुओं में शादी करने के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होती है। 

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लेकिन सामान्य रूप से कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़की को 18 वर्ष से ऊपर होना चाहिए और लड़के की 21 वर्ष से ऊपर होना चाहिए तभी कोर्ट मैरिज भारत में संभव होती है।

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