लव मैरिज के लिए भारतीय समाज और कानून में क्या प्रावधान हैं?

What are the provisions in Indian society and law for love marriage

भारत में मैरिज  एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक मामला है, जो परंपरा से जुड़ा हुआ है। पहले भारत में अधिकतर अरेंज्ड मैरिज होती थीं, जिसमें परिवार, खासकर माता-पिता, बच्चों के लिए जीवनसाथी चुनते थे। लेकिन समय बदलने के साथ लव मैरिज (जहां लोग अपने प्यार पर आधारित जीवनसाथी चुनते हैं) अब ज्यादा आम हो गई हैं, खासकर शहरी इलाकों में। हालांकि, लव मैरिज को युवा पीढ़ी में स्वीकृति मिली है, फिर भी भारत में लव मैरिज अक्सर कानूनी समस्याओं और सामाजिक दबावों का सामना करना पड़ता है, खासकर जब लोग अलग-अलग जाति, धर्म या समुदाय से होते हैं। इस ब्लॉग में, हम लव मैरिज से जुड़े कानूनी ढांचे, कैसे कानून इस तरह के विवाहों में शामिल व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करता है, और उनके सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा करेंगे।

लव मैरिज का मतलब क्या है?

लव मैरिज वह मैरिज  है जिसमें दो लोग आपसी प्यार, समझ और व्यक्तिगत पसंद के आधार पर एक-दूसरे को जीवनसाथी चुनते हैं। यह अरेंज्ड मैरिज से अलग है, जिसमें परिवार, खासकर माता-पिता, मैरिज  के लिए जीवनसाथी चुनने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। यहां बताया गया है कि लव मैरिज कैसे अलग है:

  • व्यक्तिगत पसंद: लव मैरिज में दोनों लोग एक-दूसरे को जानते हैं और बिना परिवार के दबाव के मैरिज  का निर्णय लेते हैं, जबकि अरेंज्ड मैरिज में परिवार यह तय करते हैं कि बच्चों का जीवनसाथी कौन होगा।
  • समाज की सोच: लव मैरिज पर पारंपरिक समाजों में विवाद हो सकता है, खासकर जब लोग अपनी जाति, धर्म या समुदाय से बाहर शादी करते हैं।
  • कलंक और चुनौतियाँ: जबकि लव मैरिज की स्वीकृति धीरे-धीरे बढ़ रही है, फिर भी ग्रामीण इलाकों में इसे समाज से आलोचना का सामना करना पड़ता है। अगर परिवार मैरिज  का विरोध करते हैं या यह सांस्कृतिक सीमाओं को पार करता है, तो कानूनी समस्याएँ भी हो सकती हैं।

इन चुनौतियों के बावजूद, लव मैरिज व्यक्तिगत पसंद और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते बदलाव को दिखाता है।

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भारत में लव मैरिज को कौन सा कानून नियंत्रित करता है?

भारत में मैरिज से जुड़े कई कानून हैं जो व्यक्तियों को अपनी सहमति से शादी करने की अनुमति देते हैं, कुछ शर्तों के साथ। लव मैरिज के लिए दो प्रमुख कानूनी ढांचे हिंदू मैरिज  एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट हैं।

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955: 

यह कानून भारत में हिंदू धर्म के लोगों के बीच मैरिज को नियंत्रित करता है। इसके तहत:

  • आयु सीमा: पुरुषों के लिए न्यूनतम आयु 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल है। इससे कम उम्र में मैरिज वैध नहीं होगी।
  • सहमति: दोनों पक्षों की सहमति स्वेच्छा से होनी चाहिए, बिना किसी दबाव या बल के।
  • प्रतिबंधित रिश्ते: कानून के अनुसार कुछ करीबी रिश्तों में मैरिज नहीं हो सकती , जैसे कि खून के रिश्तेदारों के बीच। इस कानून के तहत मैरिज  करने के लिए दोनों पक्षों का हिंदू होना जरूरी है। मैरिज के बाद इसे कानूनी सुरक्षा के लिए पंजीकृत किया जा सकता है।

स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954: 

जो लोग हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी नहीं करना चाहते, उनके लिए स्पेशल मैरिज एक्ट  एक विकल्प प्रदान करता है। यह कानून किसी भी धर्म या जाति से संबंधित लोगों को शादी करने की अनुमति देता है। इसके तहत:

  • क्षेत्र: यह कानून सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होता है, चाहे उनका धर्म, जाति या समुदाय कुछ भी हो।
  • आयु सीमा: महिलाओं की आयु कम से कम 18 साल और पुरुषों की आयु कम से कम 21 साल होनी चाहिए।
  • मैरिज  का नोटिस: शादी से पहले 30 दिन का नोटिस देना जरूरी होता है, जिसमें दोनों पक्षों को मैरिज रजिस्ट्रार के पास सूचना देनी होती है।
  • मैरिज  रजिस्ट्रेशन: 30 दिन के बाद अगर कोई आपत्ति नहीं होती है, तो मैरिज रजिस्टर कर दी जाती है और कपल कानूनी रूप से शादीशुदा हो जाते हैं।
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ये कानूनी ढांचे यह सुनिश्चित करते हैं कि लव मैरिज, चाहे वह इंटर-कास्ट या इंटर-रिलिजियस हो, भारत में कानूनी रूप से मान्य और संरक्षित हो।

क्या लव मैरिज करने का अधिकार मौलिक अधिकार है?

हां, अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार माना जाता है। यह अधिकार मुख्य रूप से अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है। 2018 में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने शक्ति वाहिनी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में इस अधिकार को फिर से पुष्टि की। 

अदालत ने कहा कि व्यक्तियों को अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति से विवाह करने का अधिकार है, और यह विवाह, चाहे वह अरेंज्ड हो या लव मैरिज, संविधान द्वारा संरक्षित है, बशर्ते दोनों पक्ष बालिग हों और अपनी सहमति दें। इस मामले में, अदालत ने यह भी कहा कि लव मैरिज के कारण होने वाली ऑनर किलिंग जैसी प्रथाएँ संविधान के खिलाफ हैं और यह महिलाओं और पुरुषों के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

एक अन्य महत्वपूर्ण मामले में, लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2006) में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि वयस्कों को अपनी पसंद से विवाह करने का मौलिक अधिकार है, चाहे वह जाति या धर्म से संबंधित हो। अदालत ने ऑनर किलिंग और जबरन विवाह जैसी प्रथाओं पर चिंता व्यक्त की और यह सुनिश्चित किया कि ऐसी प्रथाएं गैरकानूनी हैं और संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं।

के.एस. पुर्तसामी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2017) में, अदालत ने यह निर्णय दिया कि गोपनीयता का अधिकार किसी व्यक्ति की गरिमा, स्वायत्तता और व्यक्तिगत पसंदों का हिस्सा है, जिसमें विवाह करने का अधिकार भी शामिल है। इन फैसलों ने यह पुष्टि की है कि अपनी पसंद से विवाह करने का अधिकार भारत में संविधान द्वारा संरक्षित मौलिक अधिकार है।

लव मैरिज करने में क्या चुनौतियाँ आती हैं?

लव मैरिज को मान्यता देने और उसे सुरक्षा देने वाले कानूनी ढांचे के बावजूद, कपल्स को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है:

  • पारिवारिक दबाव: एक सामान्य चुनौती परिवार का विरोध होता है। कई परिवार अभी भी अरेंज्ड मैरिज को पसंद करते हैं, और लव मैरिज को परंपरा के खिलाफ एक बगावत माना जाता है। इससे कपल्स को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
  • सामाजिक कलंक: लव मैरिज, खासकर इंटर-कास्ट या इंटर-रिलिजियस मैरिज, अक्सर सामाजिक कलंक का सामना करती हैं। यह कलंक भेदभाव, समुदाय के आयोजनों से बहिष्कार या यहां तक कि हिंसा की धमकियों के रूप में हो सकता है।
  • कानूनी देरी: खासकर स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मैरिज  रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है, जिसमें कागजी काम और आपत्ति के लिए इंतजार करना पड़ता है।
  • धार्मिक परिवर्तन की समस्या: इंटर-रिलिजियस मैरिज शादियों में कुछ लोग अपने साथी के धर्म को अपनाने के लिए दबाव महसूस कर सकते हैं। जबकि धर्म परिवर्तन व्यक्तिगत चुनाव है, यह कानूनी और सामाजिक जटिलताओं को जन्म दे सकता है।
  • आर्थिक स्थिति: अगर कपल आर्थिक रूप से स्थिर नहीं है, तो उनके परिवार को लगता है कि शादी करना उनके लिए ठीक नहीं होगा। यह कपल के फैसले पर और भी दबाव डाल सकता है।
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लव मैरिज का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

लव मैरिज ने आज के समाज पर बड़ा असर डाला है क्योंकि इसने पारंपरिक विवाह के नियमों को चुनौती दी है और व्यक्तिगत चयन को बढ़ावा दिया है। शहरी इलाकों में, लव मैरिज को अब अधिक स्वीकार किया गया है, क्योंकि लोग पारिवारिक निर्णयों की बजाय भावनात्मक मेलजोल को आधार बनाकर जीवन साथी चुनते हैं। इस बदलाव ने जीवन साथी चुनने में ज्यादा स्वतंत्रता और अधिकार को बढ़ावा दिया है।

हालांकि, ग्रामीण इलाकों और इंटर-कास्ट या इंटर-रिलिजियस मैरिज के लिए लव मैरिज को अभी भी विरोध का सामना करना पड़ता है, और समाज का कलंक और पारिवारिक विरोध आम बातें हैं। इन सभी मुश्किलों के बावजूद, लव मैरिज धीरे-धीरे एक अधिक प्रगति और खुले विचारों वाले समाज की दिशा में योगदान दे रही है, जहां व्यक्तिगत रिश्तों को व्यक्तिगत पसंद के रूप में देखा जा रहा है।

BNSS की धारा 183 लव मैरिज से कैसे संबंधित है?

लव मैरिज कानूनी है, लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी हो सकती हैं, जहां BNSS धारा 183 के तहत बयान दर्ज करना जरूरी हो। यह धारा मजिस्ट्रेट के सामने स्वेच्छा से बयान दर्ज करने की अनुमति देती है, जो कानूनी कार्यवाही में सबूत के रूप में इस्तेमाल हो सकता है। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जब यह लागू हो सकता है:

  • झूठे आरोप: अगर किसी परिवार या बाहरी व्यक्ति ने लव मैरिज को नापसंद किया है और कपल पर अपहरण या अन्य अपराध का झूठा आरोप लगाया है, तो कपल धारा 183 के तहत अपना बयान दर्ज कर सकते हैं। यह बयान यह साबित करने में मदद करेगा कि दोनों ने अपनी इच्छा से विवाह किया और उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं था।
  • धमकियां और उत्पीड़न: अगर कपल को उनकी लव मैरिज के कारण धमकियां, उत्पीड़न या हिंसा का सामना करना पड़ता है, तो वे धारा 183 के तहत अपना बयान दर्ज कर सकते हैं। यह बयान कानूनी सबूत के रूप में काम करेगा और पुलिस सुरक्षा प्राप्त करने के तहत कार्रवाई करने में मदद करेगा।
  • दहेज उत्पीड़न: अगर लव मैरिज के कारण पत्नी को दहेज की मांग या धमकियों का सामना करना पड़ता है, तो वह धारा 183 के तहत बयान दर्ज कर सकती है, जो पहले CRPC की धरा 164 के बयान होते थे  । इससे दहेज की मांग या धमकियों का दस्तावेजीकरण होगा, जिससे कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

लव मैरिज को कानूनी रूप से कैसे सुरक्षित रखें?

  • कानूनी सलाह लेना:  लव मैरिज करने वाले कपल को अपने अधिकारों और मैरिज रजिस्ट्रेशन के बारे में समझने के लिए एक परिवारिक कानून विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
  • पुलिस सुरक्षा: अगर उन्हें धमकियां या उत्पीड़न का सामना हो, तो वे पुलिस सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं, और धारा 183 के तहत दर्ज बयान पुलिस की मदद के लिए मजबूत सबूत हो सकते हैं।

भारत में सेम-सेक्स लव मैरिज

भारत में सेम सेक्स कपल्स को लव मैरिज के संदर्भ में एक अलग कानूनी चुनौती का सामना करना पड़ता है। जहां हेट्रोसेक्सुअल (पुरुष और महिला) कपल्स की लव मैरिज को स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट जैसे कानूनों के तहत मान्यता प्राप्त है, वहीं समलैंगिक कपल्स के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। हालांकि, धारा 377 को 2018 में डिक्रिमिनलाइज किया गया, जिससे सेम सेक्स रिश्ते कानूनी रूप से मान्य हो गए, सेम सेक्स लव मैरिज अभी भी कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है। इसका मतलब है कि सेम सेक्स कपल्स अपनी शादी का पंजीकरण नहीं करवा सकते और उन्हें हेरिटेज या गोद लेने जैसे कानूनी अधिकार नहीं मिलते जो हेट्रोसेक्सुअल कपल्स को मिलते हैं। हालांकि, भारत में सेम सेक्स शादी की मान्यता के लिए कानूनी समर्थन बढ़ रहा है और समाज में इसकी स्वीकृति धीरे-धीरे बढ़ रही है।

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निष्कर्ष

भारत में लव मैरिज अब ज्यादा सामान्य हो गई है क्योंकि समाज की सोच बदल रही है, लेकिन फिर भी इसे कानूनी मान्यता, सामाजिक स्वीकृति और परिवार के दबाव से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। भारत में, मुख्य रूप से हिंदू मैरिज एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट जैसे कानून लव मैरिज को कानूनी सुरक्षा देने का ढांचा प्रदान करते हैं, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म या समुदाय के हों।

हालांकि कानूनी व्यवस्था लव मैरिज के कपल्स के अधिकारों की रक्षा करती है, फिर भी कपल्स को इस प्रक्रिया, संभावित चुनौतियों और कानून के तहत मिलने वाली सुरक्षा के बारे में जानना जरूरी है। कानूनी प्रावधानों में कुछ प्रगति हुई है, लेकिन लव मैरिज के खिलाफ पारंपरिक सोच और सामाजिक स्वीकृति की दिशा में अभी और काम करना बाकी है। सही कानूनी सलाह और समर्थन से लव मैरिज करने वाले कपल्स इस प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उनके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।

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FAQs

1. क्या लव मैरिज करना कानूनी है?

हां, भारत में लव मैरिज कानूनी रूप से मान्य है। अगर दोनों पक्ष अपनी इच्छा से शादी करते हैं और कानूनी उम्र के होते हैं, तो यह विवाह कानूनी रूप से सुरक्षित है।

2. क्या लव मैरिज का अधिकार मौलिक अधिकार है?

हां, अपनी पसंद से शादी करना भारतीय संविधान के तहत मौलिक अधिकार है। यह अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

3. क्या लव मैरिज के लिए खास कानूनी प्रावधान हैं?

हां, लव मैरिज के लिए हिंदू मैरिज एक्ट और स्पेशल मैरिज एक्ट जैसे कानून हैं, जो विवाह की कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति से हो।

4. लव मैरिज करते समय परिवार का विरोध होता है, तो क्या किया जाए?

अगर परिवार का विरोध हो, तो आपको कानूनी सलाह लेनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा का आवेदन करना चाहिए। आप अपनी शादी का पंजीकरण भी करवा सकते हैं।

5. क्या सेम-सेक्स लव मैरिज भारत में कानूनी रूप से मान्य है?

नहीं, अभी भारत में सेम-सेक्स शादी को कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है, हालांकि, 2018 में धारा 377 को डिक्रिमिनलाइज किया गया था, जो सेम-सेक्स संबंधों को कानूनी रूप से मान्यता देता है।

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