किरायेदारों के क्या अधिकार हैं ?

किरायेदारों के क्या अधिकार हैं ?

किरायेदारों के अधिकार

भारत में बढ़ते शहरीकरण और विकास के साथ-साथ बढ़ते लोगों के प्रवासन की वजह से किराए पर रहने वाले लोगों की संख्या में भी वृद्धि होती जा रही है। इसके साथ ही, अन्यायपूर्ण किराया वृद्धि और खराब सेवाएं भी किराएदारों के लिए समस्या बन रही हैं। इसलिए राज्य सरकारों ने किराएदारों की सुरक्षा और सुविधा को सुनिश्चित करने के लिए ‘रेंट कंट्रोल एक्ट’ के तहत कानून लागू किया है। इसमें किराएदारों को कई अधिकार और सुरक्षा के विशेष अधिकार होते हैं जो उन्हें अपने रहने की स्थिति में उचित विकास करने में मदद करते हैं।

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उचित किराया

‘रेंट कंट्रोल एक्ट’ के तहत, किराएदारों को उचित भाड़े का हक़ होता है। यानी उन्हें मकान के किराये में मानक के विपरीत वृद्धि नहीं होनी चाहिए और रेंट का वृद्धि का कंट्रोल होना चाहिए । इससे किराएदारों को अपने बजट में सही रहने का मौका मिलता है और उन्हें अतिरिक्त भाड़े से बचाया जाता है।  कोई मकान मालिक अपने मकान का किराया बढ़ाना चाहता है तो उसको कम से कम 3 महीने पहले से किराएदार को नोटिस देना होता है अचानक से कहीं भी किराया नहीं बढ़ाया जा सकता।

सुरक्षित रहने का हक़

रेंट कंट्रोल एक्ट किराएदारों को सुरक्षित रहने का हक़ देता है। अगर मकान मालिक ने किराएदार को बिना किसी कारण के बाहर निकालने की कोई कोशिश की तो उन्हें इसका विरोध करने का अधिकार होता है। इसके तहत किराएदारों को बिना वैध कारण के बाहर निकालने के खिलाफ न्यायिक सहायता मिलती है।

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अधिकार सुनिश्चित करने का हक़

किराएदारों को रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने का हक़ होता है। अगर किराएदार को अपने अधिकारों के लिए जानबूझकर प्रताड़ित किया जाता है अथवा अनधिकृत किराया वृद्धि का सामना करना पड़ता है तो ऐसे में किराएदार को न्यायालय जाने का अधिकार है।

बिजली और पानी की सुविधा

रेंट कंट्रोल एक्ट के तहत किराएदारों को बिजली और पानी की सुविधा का हक़ भी होता है। इसके तहत मकान के मालिक नहीं रहने वाले लोगों को बिजली और पानी की सब्सिडी भी मिलती है। इससे किराएदार अपने रहने की स्थिति में सुविधा का आनंद उठा सकते हैं।

एक अवधि तक रहने की स्वतंत्रता

किराएदार को एक निश्चित एग्रीमेंट के तहत रहने की पूरी स्वतंत्रता दी जा सकती है तथा कोई भी मकान मालिक उस एग्रीमेंट से पहले किराएदार को नहीं निकाल सकता है । यदि किसी किराए दार को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जहाँ एग्रीमेंट खत्म होने से पहले ही मकान मालिक मकान खाली करने की बात करता है तो किराएदार न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है इससे न्यायालय उसको सुरक्षा देता है। 

अतः इस रूप में, ‘रेंट कंट्रोल एक्ट’ किराएदारों के लिए उचित रहने और सुरक्षित रहने के अधिकारों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह अधिकार किराएदारों को उनके रहने की स्थिति को सुधारने में मदद करते हैं और उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा करने का मौका देते हैं। इस एक्ट के माध्यम से सरकार द्वारा किराएदारों को समाज में एक सम्मानित स्थान देने का उद्देश्य निहित है और उनके हितों की रक्षा की जिम्मेदारी संभाली है।

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