साइबर क्राइम के अंतर्गत ऐसे अपराधों को शामिल किया जाता है जिसमें अपराध का माध्यम कंप्यूटर अथवा मोबाइल फोन या कोई और डिजिटल उपकरण होता है। देश के संविधान में साइबर क्राइम को सातवीं अनुसूची में दर्ज किया गया है। इसमें अलग-अलग तरह के अपराधों को सूचीबद्ध किया गया है। आज अपने इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर देश के टॉप 5 के अंतर्गत कौन-कौन से साइबर क्राइम आते हैं?
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इलेक्ट्रॉनिक हैकिंग
इलेक्ट्रॉनिक हैकिंग, कंप्यूटर सिस्टम या निजी नेटवर्क में बिना अथॉरिटी किसी यूजर की पहुंच को कहते हैं। हैकिंग की अवधारणा रखने वाले व्यक्ति को आमतौर पर “हैकर” के रूप में जाना जाता है। हैकर, कंप्यूटर सिस्टम और सूचना प्रौद्योगिकी में अत्यंत कुशल होता है। इसलिए हैकर का उपयोग कई बार साइबर सिक्योरिटी से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिए किया जाता है इसलिए हैकर को अपराधी तभी कहा जा सकता है जब उसने बिना अथॉरिटी के किसी कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने की कोशिश की हो।
फ़िशिंग
फ़िशिंग एक अलग तरह का साइबर हमला होता है। इसमें हैकर्स, इंटरनेट पर नकली वेबसाइट या ईमेल के ज़रिए यूज़र को धोखा देते हैं। फ़िशिंग हमलों में, हैकर्स किसी विश्वसनीय व्यक्ति या संस्था होने का दिखावा करते हैं। फिशिंग के माध्यम से हैकर यूजर को अपने जाल में फंसाकर लोगों से उनका डाटा चुराने का प्रयास करते हैं। इसके अतिरिक्त क्रेडिट कार्ड नंबर मांगना बैंक खाते का विवरण मांगना और ऐसे तमाम गोपनीय जानकारियां जैसे एटीएम मेल ऐड्रेस यदि यह महत्वपूर्ण जानकारियां व्यक्ति की परमिशन के बगैर निकल जाती है तो इस प्रक्रिया को फिशिंग कहते हैं और इसे एक साइबर क्राइम के तौर पर देखा जाता है।
बोटनेट
बोटनेट भी एक प्रमुख साइबर क्राइम है। इसके अंतर्गत साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले अपराधी आपके कंप्यूटर का एक्सेस ले लेते हैं। और फिर इसके बाद कंप्यूटर का सारा डाटा ले लेते हैं कई बार बैंक अकाउंट तक खाली कर देते हैं। इसलिए देश में बोटनेट को साइबर क्राइम के तहत रखा गया है।
साइबर आतंकवाद
साइबर आतंकवाद, आतंकवादी गतिविधियों में इंटरनेट आधारित हमलों को कहते हैं। इसमें, कंप्यूटर वायरस जैसे साधनों के ज़रिए कंप्यूटर नेटवर्क में जानबूझकर, बड़े पैमाने पर किया गया व्यवधान शामिल है। साइबर आतंकवाद में पारंपरिक साइबर हमलों जैसी ही तकनीकें शामिल हैं। साइबर आतंकवादी अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इन तकनीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं: साइबर आतंकवाद के तहत साइबर अपराधी सरकार की वेबसाइटों से महत्वपूर्ण डाटा चोरी कर लेते हैं, कई बार मिलिट्री की वेबसाइट और खुफिया जानकारी को भी हैक करके दुश्मनों को भेज देते हैं।
साइबर स्टॉकिंग
साइबर स्टॉकिंग भी एक तरह का साइबर क्राइम होता है इस तरह के साइबर अपराधों को ऑनलाइन उत्पीड़न के अंतर्गत देखा जाता है। इसके माध्यम से साइबर अपराधी यूजर्स को तमाम सारे ऑनलाइन मेल या मैसेज लगातार भेजते रहते हैं। कई बार इन मैसेज और मेल में धमकियां भी आती है अथवा पैसे मांगने की बात कही जाती है। इसलिए बिना यूजर की अथॉरिटी के अचानक तमाम सारे मैसेज भेजना भारत में साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है। साइबर स्टॉकिंग के अपराध के बारे में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 सी के तहत उल्लेख किया गया है। भारत में साइबर स्टॉकिंग का पहला मामला साल 2001 में दर्ज किया गया था जब बिना अथॉरिटी की एक हैकर जिसका नाम मनीष कथरिया था, महिला के अश्लील फोटो को वेबसाइट पर अपलोड करने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया था।
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