लव मैरिज वह निर्णय होता है जिसमें लड़का और लड़की आपसी प्रेम और समझ के आधार पर, परिवार की सहमति के बिना विवाह करते हैं।
भारत के कई हिस्सों में आज भी इस तरह की शादी को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जाता, खासकर जब लड़का-लड़की अलग जाति, धर्म या समाज से हों।
ऐसी शादी करने वाले कपल्स को कई बार बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे गाली-गलौज, मानसिक दबाव, मारपीट या जान से मारने की धमकी तक।
कई बार ऐसे युवा डर जाते हैं और समझ नहीं पाते कि वो किसके पास जाएं या क्या करें।
लेकिन भारत का कानून ऐसे कपल्स को पूरा सुरक्षा देता है। इस ब्लॉग में हम आपको आसान शब्दों में बताएंगे कि आपके कौन–कौन से कानूनी अधिकार हैं और आप क्या–क्या कदम उठा सकते हैं।
लव मैरिज क्या है?
शहरों में लव मैरिज अब आम होती जा रही है, लेकिन गाँवों और परंपरागत सोच वाले परिवार में अब भी इसका विरोध होता है। इस विरोध के कुछ कारण होते हैं, जैसे:
- अलग जाति या धर्म में शादी करना
- लड़का-लड़की का आर्थिक स्तर (पैसों की स्थिति) अलग होना
- समाज में “इज्जत” की चिंता
- परिवार का अहंकार या पुरुष प्रधान सोच
ऐसे विरोध की वजह से लड़का-लड़की को कई बार मानसिक दबाव, घर से निकाल देना, मारपीट की धमकी या जबरदस्ती अलग कर देने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कई मामलों में यह विरोध इतना बढ़ जाता है कि ऑनर किलिंग (इज्जत के नाम पर हत्या) जैसी गंभीर घटनाएं हो जाती हैं।
परिवार के सदस्यों से कपल्स को होने वाले सामान्य खतरे
- गाली-गलौज और भावनात्मक दबाव
- मारपीट की धमकी
- जबरदस्ती अलग करने या शादी तोड़वाने की कोशिश
- झूठे पुलिस केस (जैसे अपहरण या रेप का आरोप)
- कहीं आने-जाने या बात करने पर रोक
- समाज से बहिष्कार या सबके सामने बदनाम करना
- जान से मारने या ऑनर किलिंग की धमकी
ये सभी स्थितियाँ बेहद गंभीर हैं और इन्हें नजरअंदाज करना खतरे से खाली नहीं है। आपको तुरंत कानूनी मदद लेनी चाहिए ताकि आप खुद को सुरक्षित रख सकें और अपने हक की रक्षा कर सकें।
भारत में लव मैरिज की कानूनी स्थिति क्या है?
हिंदू मैरिज एक्ट, 1955
- यह कानून हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म के लोगों की शादी के लिए है।
- लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए शादी के समय।
- अगर किसी व्यक्ति का पहला पति/पत्नी जीवित है, तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकता, जब तक पहली शादी कानूनी तरीके से खत्म न हो।
- इस एक्ट के तहत शादी के लिए पारंपरिक रस्मों को भी माना जा सकता है, जब तक वे कानूनी रूप से सही हों।
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954
- यह एक्ट किसी भी धर्म या जाति के लोगों को एक दूसरे से शादी करने की अनुमति देता है, बिना धर्म बदले।
- शादी से पहले, कपल को मैरिज ऑफिसर के पास एक नोटिस देना होता है, और कम से कम एक पक्ष को उस इलाके में 30 दिन तक रहना चाहिए।
- नोटिस 30 दिन के लिए सार्वजनिक किया जाता है, और इस दौरान कोई भी व्यक्ति शादी पर आपत्ति दर्ज कर सकता है।
- लड़के की उम्र कम से कम 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए शादी के समय।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के जीवनसाथी से विवाह करने का अधिकार प्रदान करता है।
- यह अधिकार व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा का हिस्सा है, जिसे राज्य, समाज या परिवार द्वारा हस्तक्षेप से संरक्षित किया गया है।
- दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि विवाह का अधिकार मानव स्वतंत्रता का हिस्सा है और इसे धर्म, विश्वास या जाति से प्रभावित नहीं किया जा सकता।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति को अपने जीवनसाथी को चुनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने भी इस अधिकार को मान्यता दी है, यह कहते हुए कि यह अधिकार संविधान के मूलभूत ढांचे का हिस्सा है।
- कोई भी आपको यह नहीं कह सकता कि आप किससे शादी करें, क्योंकि संविधान आपको यह अधिकार देता है।
पारिवारिक धमकी का सामना करते समय तुरंत उठाए जाने वाले कदम
- शांत रहें और सोच–समझकर कदम उठाएं: घबराएं नहीं। आपकी सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। अपने साथी के साथ मिलकर स्थिति का मूल्यांकन करें और अगला कदम सोच-समझकर उठाएं।
- सुरक्षित स्थान पर जाएं: अगर खतरा तुरंत है, तो किसी सुरक्षित स्थान पर जाएं, जैसे दोस्त का घर, शेल्टर होम, या अन्य शहर। हमेशा किसी विश्वसनीय व्यक्ति को अपनी लोकेशन बताएं।
- सबूत इकट्ठा करें: धमकियों के रिकॉर्ड रखें, ऑडियो रिकॉर्डिंग, टेक्स्ट मैसेज, सोशल मीडिया संदेश, या गवाह। यह सबूत पुलिस शिकायत में मदद करेंगे।
- शादी का रजिस्टर कराएं: अगर पहले से नहीं किया है, तो अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत कानूनी रूप से रजिस्टर कराएं। यह आपके रिश्ते का कानूनी प्रमाण और सुरक्षा प्रदान करता है।
- वकील से सलाह लें: एक अच्छे वकील से संपर्क करें जो आपकी कानूनी विकल्पों के बारे में मार्गदर्शन कर सके, शिकायत दर्ज करने में मदद कर सके, और आवश्यकता होने पर पुलिस सुरक्षा की मांग कर सके।
पारिवारिक धमकी के खिलाफ क्या कानूनी उपाए है?
पुलिस प्रोटेक्शन
- अगर परिवार वाले धमकी दे रहे हैं या जान का खतरा महसूस हो रहा है, तो कपल को नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर लिखित में सुरक्षा की मांग करनी चाहिए।
- पुलिस को स्थिति के बारे में जानकारी देने से तत्काल सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि लव मैरिज करने वाले कपल्स को सुरक्षा दी जाए, ताकि उनका जीवन सुरक्षित रहे।
धारा 351 BNS – आपराधिक धमकी
- अगर कोई व्यक्ति कपल को जान से मारने या गंभीर नुकसान की धमकी देता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 351 के तहत आपराधिक केस दर्ज किया जा सकता है।
- इस धारा के तहत आपराधिक धमकी देने पर दो साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
धारा 126 BNS – गलत तरीके से रोकना
- अगर किसी को जबरदस्ती कहीं जाने से रोका जाता है या उसे घर में बंद किया जाता है, तो यह भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 के तहत अपराध माना जाएगा।
- अगर कपल को गलत तरीके से से रोका या कैद किया जाता है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस धारा के तहत गलत तरीके से रोकने पर एक महीने तक की सज़ा और पांच हज़ार रुपया तक का जुर्माना हो सकता है।
हाईकोर्ट में रिट पेटिशन
- अगर कोई अन्य कानूनी उपाय प्रभावी नहीं हो रहा, तो कपल हाईकोर्ट में रिट पेटिशन दायर कर सकते हैं। इस पेटिशन में कोर्ट से आग्रह किया जा सकता है कि वह पुलिस को आदेश दे ताकि कपल को सुरक्षा मिल सके।
- कोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश के बाद, पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ती है और कपल की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
शक्ति वाहिनी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया
शक्ति वाहिनी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2018) मामला भारत में लव मैरिज करने वाले जोड़ों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने जोड़ों को उनके जीवनसाथी के साथ अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार दिया और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देशित किया।
कपल्स की सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश:
- यदि खाप पंचायतें किसी कपल के खिलाफ कोई आदेश देती हैं, तो पुलिस को तुरंत एफआईआर दर्ज करनी होगी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी।
- कपल को खतरे की स्थिति में तत्काल पुलिस सुरक्षा दी जाएगी और आवश्यकता होने पर उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजा जाएगा।
- हर जिले में एक विशेष सुरक्षा सेल बनाई जाएगी, जिसमें पुलिस और समाज कल्याण अधिकारी होंगे, जो जोड़ों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करेंगे।
- कपल की सुरक्षा के लिए 24 घंटे हेल्पलाइन सेवा शुरू की जाएगी, जहां वे अपनी शिकायतें दर्ज करवा सकते हैं और सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
- ऑनर किलिंग के खिलाफ हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई विशेष अदालतों में त्वरित आधार पर की जाएगी, ताकि न्याय शीघ्र मिल सके।
- यदि पुलिस या जिला अधिकारी उपरोक्त निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना करना होगा।
निष्कर्ष
भारत में हर व्यक्ति को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। यदि परिवार वाले धमकी देते हैं, तो यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि कानूनी रूप से भी दंडनीय है।
ऐसे में कपल्स को डरने की बजाय कानून का सहारा लेना चाहिए। पुलिस, कोर्ट और सामाजिक संस्थाएं उनकी सुरक्षा के लिए तत्पर हैं, बस आवश्यकता है सही जानकारी और साहस की।
याद रखें: आपका जीवन, आपकी पसंद। कानून आपके पक्ष में है।
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FAQs
1. अगर परिवार वाले धमकी दें तो सबसे पहले क्या करना चाहिए?
शांत रहें, धमकी के सबूत इकट्ठा करें और तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करवाएं।
2. क्या परिवार की मर्जी के बिना शादी करना कानूनन गलत है?
नहीं, यदि दोनों बालिग हैं, तो वे अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा सुरक्षा प्राप्त है।
3. अगर परिवार वाले झूठे केस (जैसे अपहरण या रेप) कर दें तो क्या किया जा सकता है?
आप कोर्ट में अपना पक्ष रखें और पुलिस से मदद लें। झूठे केस के खिलाफ कानूनी कदम उठाएं।
4. पुलिस सुरक्षा कैसे ली जा सकती है?
पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दें और सुरक्षा की मांग करें। कोर्ट के आदेश से पुलिस सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
5. ऑनर किलिंग जैसी स्थिति में क्या कानूनी मदद मिल सकती है?
ऑनर किलिंग गंभीर अपराध है। पुलिस में शिकायत करें और कोर्ट से सुरक्षा की मांग करें।