पति का अफेयर होने पर पत्नी क्या कर सकती है? जानिए आपके कानूनी और व्यावहारिक अधिकार

What can a wife do if her husband has an affair Know your legal and practical rights

रिश्तों में विश्वास सबसे अहम होता है, और जब एक पत्नी को यह पता चलता है कि उसका पति किसी और महिला के साथ अफेयर कर रहा है, तो यह उसके लिए एक मानसिक आघात जैसा हो सकता है। यह स्थिति पत्नी के लिए भावनात्मक और सामाजिक रूप से अत्यंत कठिन होती है।

समाज में इस बारे में अक्सर चुप्पी होती है, और पत्नी को अकेला महसूस होता है। यह समय अत्यधिक मानसिक पीड़ा का हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद एक पत्नी के लिए यह बेहद जरूरी है कि वह केवल भावनाओं के आधार पर निर्णय न ले, बल्कि कानूनी रूप से भी अपने अधिकारों को समझे और सही कदम उठाए।

कैसे पहचानें कि पति का अफेयर चल रहा है?

पतियों के अफेयर का संकेत मिलते ही पत्नी के मन में शंका उत्पन्न हो सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि पत्नी ऐसे संदेहों को सही तरीके से पहचानें और बिना शोर किए तथ्यों का पता लगाए। कुछ सामान्य संकेत हो सकते हैं:

  • व्यवहार में बदलाव: पति का अचानक से चुप रहना या गुस्से में रहना।
  • मोबाइल और सोशल मीडिया: मोबाइल में ज्यादा समय बिताना, पासवर्ड से लॉक करना।
  • गैरहाजिरी और झूठ: अचानक देर से घर आना, और कारणों को छिपाना।

अगर आपको इन संकेतों में से कोई भी महसूस हो, तो यह जरूरी है कि आप तथ्यों को जुटाने का प्रयास करें, लेकिन यह भी ध्यान रखें कि किसी भी कदम को उठाने से पहले यह समझें कि आपके पास पर्याप्त साक्ष्य हों।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

सबूत कैसे इकट्ठा करें?

जब पति का अफेयर होने का शक हो, तो सबसे पहला कदम यह है कि आप इस बारे में पर्याप्त साक्ष्य जुटाएं। यह आपको कानूनी प्रक्रिया में मदद करेगा।

  • कॉल रिकॉर्ड, चैट और ईमेल: पति के द्वारा भेजे गए संदिग्ध संदेश या कॉल रिकॉर्ड एक अच्छा सबूत हो सकते हैं।
  • तस्वीरें और वीडियो: यदि आपके पास कोई स्पष्ट तस्वीर या वीडियो है, तो यह भी एक प्रमाण हो सकता है।
  • जासूसी का कानूनी पहलू: जासूसी करना कानूनी तौर पर अनुमति प्राप्त नहीं है, इसलिए आपको कानूनी सलाह लेकर ही यह कदम उठाना चाहिए।
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कानूनी दृष्टिकोण से, यदि आप किसी के व्यक्तिगत डाटा की अवैध तरीके से जासूसी करते हैं, तो यह आपके खिलाफ कानून द्वारा कार्रवाई की जा सकती है।

अफेयर और भारतीय कानून

भारत में शादी और रिश्तों के मामलों में धार्मिक और व्यक्तिगत कानूनों के अनुसार कई प्रावधान हैं।

  • इंडियन पीनल कोड की धारा 497 (अब रद्द): भारत में 2018 में जोसेफ शाइन बनाम यूनियन पफ इंडिया केस के माध्यम से अडल्ट्री को अपराध मुक्त कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 को निरस्त कर दिया, जो पहले अडल्ट्री को एक आपराधिक अपराध मानती थी। हालांकि, अब अडल्ट्री अपराध नहीं है, लेकिन यह एक नागरिक गलत काम माना जाता है और इसे तलाक के कारण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(i): यदि पति या पत्नी का विवाह के बाहर संबंध है, तो इसे तलाक के आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • पर्सनल लॉ: मुस्लिम, ईसाई और अन्य पर्सनल लॉ में भी विवाह के उल्लंघन को तलाक का आधार माना गया है।

मानसिक प्रताड़ना और क्रूरता के रूप में अफेयर

  • यदि पति का अफेयर पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, तो इसे मानसिक क्रूरता माना जा सकता है।​
  • सुप्रीम कोर्ट के मामलों जैसे एन.जी. दास्ताने बनाम एस. दास्ताने और समर घोष बनाम जया घोष में कोर्ट ने अफेयर को मानसिक क्रूरता के रूप में स्वीकार किया है। ​
  • यदि पत्नी मानसिक तनाव, शारीरिक या भावनात्मक प्रताड़ना का सामना कर रही है, तो यह तलाक के लिए उचित आधार हो सकता है।​
  • इस प्रकार की स्थिति में पत्नी को कानूनी सलाह और सहायता प्राप्त करने का अधिकार है।

पत्नी के पास क्या कानूनी विकल्प हैं?

पत्नी के पास कई कानूनी विकल्प हो सकते हैं, जिनमें से कुछ यह हैं:

  • काउंसलिंग और परामर्श: पहली बार में स्थिति को सुधारने के लिए काउंसलिंग एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • तलाक की याचिका: यदि सुधार संभव नहीं है, तो पत्नी तलाक की याचिका दाखिल कर सकती है (आपसी या विवादित)।
  • मेंटेनेंस की मांग: पत्नी को उचित जीवनस्तर बनाए रखने का हक है, और वह मेंटेनेंस की याचिका दाखिल कर सकती है।
  • घरेलू हिंसा अधिनियम: अगर पति का व्यवहार शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना का कारण बन रहा है, तो पत्नी घरेलू हिंसा अधिनियम का सहारा ले सकती है।
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आर्थिक अधिकार और गुज़ारा भत्ता

यदि पत्नी गृहिणी है और अपनी आर्थिक स्थिति से पूरी तरह निर्भर है, तो उसे गुज़ारा भत्ता (Maintenance) मिलना चाहिए।

  • मेंटेनेंस का अधिकार: हिंदू विवाह अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 के तहत पत्नी को मेंटेनेंस का अधिकार है।
  • अंतरिम मेंटेनेंस: जब तलाक की प्रक्रिया लंबी चल रही हो, तो पत्नी को अंतरिम मेंटेनेंस मिल सकता है।

अगर बच्चे हैं तो पत्नी क्या करे?

अगर शादीशुदा जोड़े के बच्चे हैं, तो पत्नी के लिए बच्चों की कस्टडी का अधिकार भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा होता है।

  • कस्टडी का अधिकार: बच्चों की भलाई को ध्यान में रखते हुए कस्टडी के फैसले किए जाते हैं।
  • बच्चों पर प्रभाव: पति का अफेयर बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी असर डाल सकता है।

क्या पति का अफेयर घरेलू हिंसा के अंतर्गत आता है?

  • प्रोटेक्शन ऑफ़ वुमन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005 के तहत पत्नी को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक राहत मिल सकती है।
  • सुरक्षा आदेश और रेसिडेंशियल राइट्स: घरेलू हिंसा के मामले में महिला को सुरक्षा आदेश और उसके घर में रहने का अधिकार मिल सकता है।

कोर्ट में केस कैसे दाखिल करें?

अगर पत्नी तलाक लेने का निर्णय लेती है, तो उसे उचित कोर्ट में याचिका दाखिल करनी होगी।

  • तलाक की प्रक्रिया: कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद, कोर्ट एक सुनवाई करेगा, जिसमें दोनों पक्षों की बात सुनी जाएगी।
  • वकील का चयन: सही वकील का चयन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह आपके केस को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करेगा।
  • दस्तावेज़ और सबूत: अदालत में आपके पास सभी आवश्यक दस्तावेज़ और सबूत होने चाहिए, जैसे कॉल रिकॉर्ड, चैट और गवाह आदि।

दिल्ली हाई कोर्ट (2023) – पत्नी द्वारा अफेयर को स्वीकार करना और तलाक में क्रूरता का आधार नहीं

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी ने पति के विवाहेतर संबंध को स्वीकार किया है और फिर तलाक की याचिका में इसे क्रूरता का आधार नहीं बना सकती। अदालत ने यह भी कहा कि कार्यस्थल पर मित्रता करना या उनसे बात करना क्रूरता नहीं है, विशेषकर जब दोनों अलग-अलग स्थानों पर रहते हों।

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बॉम्बे हाई कोर्ट (2023) – पत्नी को मेंटेनेंस का अधिकार, भले ही वह अफेयर में रही हो

बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी को मेंटेनेंस का अधिकार है, भले ही उसने विवाहेतर संबंध बनाए हों। अदालत ने यह भी कहा कि एक पति को अपनी पत्नी को मेंटेनेंस देने से बचने के लिए केवल यह कहना कि वह उसके साथ सहवास करने के लिए तैयार है, पर्याप्त नहीं है।

दिल्ली हाई कोर्ट (2023) – अफेयर के कारण तलाक में गोपनीयता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अफेयर तलाक का आधार है, और इसलिए गोपनीयता के आधार पर अदालत को मदद नहीं करनी चाहिए। अदालत ने कहा कि गोपनीयता का अधिकार सार्वजनिक हित के खिलाफ नहीं जा सकता, विशेषकर जब तलाक की प्रक्रिया में यह आवश्यक हो

निष्कर्ष

यह सुनिश्चित करना कि आपकी आवाज़ सुनी जाए और आपके अधिकारों की रक्षा हो, आपके आत्मसम्मान की ओर पहला कदम है। यह ब्लॉग आपको आपके कानूनी अधिकारों को जानने में मदद करता है और यह दर्शाता है कि आप अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकती हैं।

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FAQs

1. क्या अफेयर के आधार पर बिना सबूत तलाक मिल सकता है?

नहीं, आपको अदालत में अपना मामला प्रमाणित करना होगा।

2. क्या पति की गर्लफ्रेंड पर केस किया जा सकता है?

हां, कुछ मामलों में पत्नी तीसरी महिला के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

3. अफेयर के बावजूद पति तलाक नहीं देता तो क्या करें?

ऐसी स्थिति में पत्नी कोर्ट से तलाक की याचिका दाखिल कर सकती है।

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