अगर पार्टनर जान-बूझकर आपको छोड़ दे

अगर आपका पार्टनर जान-बूझकर आपको छोड़ दे तो क्या करें?

शादी की डोर बहुत नाज़ुक होती है। कई बार ये किसी कारण से टूट भी जाती है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति का पार्टनर उसे बिना किसी गलती के ही हमेशा के लिए छोड़ कर चला जाये तो क्या इसके लिए कोई कानून है? जी हाँ। कानून की भाषा में इसे “डीज़रशन” या “परित्याग” कहते हैं।

ऐसे केसिस में, जहां एक पार्टनर ने बिना किसी वैलिड रीज़न के अपने पार्टनर का परित्याग किया हो। तो पीड़ित पार्टनर(जिसे छोड़ दिया गया है) को कानूनी मदद लेने की जरूरत होती है। ज़ाहिर सी बात है कि कोई भी अपनी पूरी जिंदगी ऐसे इंसान के इंतजार में नहीं बिता सकता, जो उन्हें बिना कोई रीज़न बताये छोड़ कर चला गया और उसके लौटने की कोई उम्मीद भी नहीं है। देखा जाए तो ये इंतज़ार जायज़ भी नहीं है। 

भारतीय कानून प्रणाली में परित्याग के नियम:- 

भारतीय कानून प्रणाली में परित्याग के लिए कुछ नियम बनाये गए है। आईये जानते है वो कौन से नियम है। 

(1) डाइवोर्स का आधार:- 

अगर किसी व्यक्ति ने बिना किसी सूचना या चेतावनी के अपने पार्टनर का परित्याग कर दिया है। और उसका वापस आने का भी कोई इरादा नहीं है। तो पीड़ित पार्टनर परित्याग के आधार पर डाइवोर्स ले सकता है।

(2) दो साल तक इंतज़ार:-  

पीड़ित पार्टनर को परित्याग होने के कम से कम 2 साल के बाद ही डाइवोर्स मिल सकता है।

(3) परित्याग का प्रूफ:- 

पीड़ित पार्टनर को कोर्ट में यह चार बातें साबित करने की जरूरत होती है। यह साबित करने पर ही उसे आईपीसी के सेक्शन 13(1) के तहत परित्याग के आधार पर डाइवोर्स मिल सकता है –

कोर्ट में साबित करना होगा परित्याग:- 

(1) एनिमस डिज़रेंडी/परित्याग:-

एनिमस डिज़रेंडी का मतलब “छोड़ने का इरादा”। अगर एक पार्टनर अपनी मैरिज लाइफ को छोड़ने का फैसला करता हैं। क्योंकि अब वह अपनी शादी के दायित्वों को जारी नहीं रखना चाहता और ना ही समाज की नज़र में अपने पार्टनर के साथ हस्बैंड-वाइफ कहलाना चाहता है। तो इसे “एनिमस डेसेरेन्डी” करना कहते है। पीड़ित को कोर्ट में साबित करना होगा की उसके पार्टनर ने उसके साथ एनिमस डिज़रेंडी या परित्याग किया है।

(2) सेपरेशन/अलगाव:-

डाइवोर्स के लिए सेपरेशन शारीरिक रूप से होना जरुरी है। कोर्ट में परित्याग साबित करने के लिए, यह भी साबित करना होगा कि कपल अब शारीरिक रूप से साथ नहीं रह रहे है।

(3) छोड़ने का कोई वैलिड रीज़न नहीं:-

अगर परित्याग करने वाले पार्टनर के पास शादी को तोड़ने का कोई वैलिड रीज़न नहीं है। तो परित्याग के आधार पर पीड़ित को कोर्ट से डाइवोर्स की डिक्री मिल सकती है।

(4) सहमति के बिना:-

अगर पीड़ित अपने हस्बैंड या वाइफ के साथ शादी जारी रखना चाहता है, तो उसे यह बात साबित करनी होगी की परित्याग में पीड़ित की सहमति नहीं है। कोर्ट का कहना है कि अगर एक पार्टनर का परित्याग हो गया है, तो पीड़ित पार्टनर को चुप-चाप देखते नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने पार्टनर को वापस लाने की कोशिशे करनी चाहिए।

सबसे पहले, कपल को खुद ही अपने रिश्ते को समेटने की कोशिश करनी चाहिए। अगर इस से कोई बात नहीं बनती है। तो उन्हें अपनी फैमिली और रिश्तेदारों मैरिड लाइफ की परेशानियों को सुलझाने में मदद लेनी चाहिए।

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