एग्रीमेंट क्या होता है?

एग्रीमेंट क्या होता है

एक समझौता (Agreement) अनौपचारिक हो सकता है, जिसका मतलब है कि कुछ भी देखने या लिखने की जरूरत नहीं है। हालाँकि, एक सबूत के तौर पर इसे ज्यादातर लिखित रूप में बनाया जाता है। दूसरी भाषा में, किसी काम को करने या कराने के लिए लिखित रूप से सहमति या असहमति देने को एग्रीमेंट कहा जाता है। इसके लिए समझौते में शामिल सभी पार्टियों की सहमती होना जरूरी है। एक एग्रीमेंट तभी मान्य होता यही जब उस पर सभी पार्टियों के साइन हो। पार्टियों के साइन करने को उनकी सहमति देना समझा जाता है।

भारतीय एग्रीमेंट एक्ट के सेक्शन 2 (ई) के अनुसार वह सभी वादे और लेन-देन की बातें जो शामिल सभी पार्टियों की सहमति से लिखी गयी है उसे एक समझौता कहा जाता है।  

जरूरी शर्तें:

एक एग्रीमेंट के अंदर होने वाले सभी जरूरी तत्व (factors) को यहां परिभाषित किया गया है:

पार्टियां: 

एक समझौते या एग्रीमेंट के लिए हमेशा दो या दो से ज्यादा पार्टियां होनी चाहिए। 

प्रस्ताव/ऑफर: 

जब एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को कुछ करने या कुछ छोड़ने की इच्छा के बारे में बताता है। तब समझौता बनाने की जरूरत पड़ती है। 

स्वीकृति/सहमति: 

जब व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को अपनी सहमति के बारे में बताता है।

वादा: 

जब प्रस्ताव को दूसरी पार्टी द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह एक वादा बन जाता है।

विचार: 

विचार (Consideration) का मतलब, एक काम को करने के बदले उसकी कीमत चुकाने का तरीका या किसी काम को ना करने के लिए सहमति देना होता है। 

ऊपर बताई गयी सभी सिचुऎशन्स को पूरा करने के लिए यह सभी शर्तें जरूरी है। ऊपर बताई गयी सभी शर्तो में से अपनी सहमति देने के मामले को छोड़कर अगर अन्य किसी भी शर्त को अधूरा छोड़ दिया जाता है, तो एग्रीमेंट शून्य हो जाता है। 

शून्य अनुबंध (Void Contracts):

कुछ एग्रीमेंट जो कानून द्वारा लागू नहीं किये गए हैं, उन्हें शून्य (null and void) माना जाता है।

  1. बिज़नेस या शादी को रोकने के लिए किये गए एग्रीमेंट
  2. कानूनी कार्यवाही ना करने के लिए किये गए समझौता
  3. दांव-पेंच या बाज़ी लगाने से सम्बन्धित एग्रीमेंट
  4. किसी असंभव घटना को करने के लिए या इससे सम्बंधित समझौता

उदाहरण के लिए, अगर देवदास ने पारो को पूरी ज़िन्दगी शादी ना करने के लिए कहा और उसके बदले में वह उसे नए कपड़े, जूते और गहने देगा, तो इसे एक वैध/वैलिड एग्रीमेंट  नहीं माना जा सकता क्योंकि यह समझौता शादी को रोकने के लिए किया गया है।

शून्य करणीय संविदा:

शून्य करणीय संविदा (Voidable Contract) वह समझौता होता है जिसमे प्रवेश करते समय किसी एक या ज्यादा पार्टियों की स्वतंत्र सहमति नहीं थी। जब एक एग्रीमेंट पर साइन करते समय एक पार्टी उसे साइन नहीं करना चाहती थी तो बाद में वह उस एग्रीमेंट को ख़त्म या वॉइडेबल भी कर सकते है। 

एक एग्रीमेंट ड्राफ्ट करना कॉन्ट्रैक्ट बनाने की पूरी प्रक्रिया का सबसे पहला स्टेप होता है। एक एग्रीमेंट को कॉन्ट्रैक्ट का एक छोटा हिस्सा कहा जा सकता है, लेकिन समझौता ड्राफ्ट कराये बिना एक कॉन्ट्रैक्ट पूरी तरह कानूनी रूप से लागू नहीं होता है, इसीलिए एग्रीमेंट बनाने की जरूरत पड़ती है। 

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