कॉन्ट्रैक्ट ड्राफ्टिंग क्या है?

कॉन्ट्रैक्ट ड्राफ्टिंग से आप क्या समझते है?

एक कॉन्ट्रैक्ट एक लिखित समझौता (written agreement) होता है जो दो या दो से ज्यादा पार्टियों के बीच अलग-अलग प्रकार का संबंध बनाता है और हर पार्टी के दायित्वों और अधिकारों के बारे में बताता है। इस प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट्स किसी भी कुशल लॉयर से ड्राफ्ट कराये जा सकते है। कॉन्ट्रैक्ट को ड्राफ्ट करने का मतलब होता है, सभी पार्टियों के लिए तय किये गए सारे नियमों और शर्तों को एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखना। 

कॉन्ट्रैक्ट ड्राफ्टिंग का उद्देश्य एक कानूनी और योग्य लिखित डॉक्यूमेंट तैयार करना होता है, जिसमे सभी पार्टियों के उद्देश्यों और बातों को स्पष्ट और संक्षिप्त (brief) रूप में लिखा जाता है। यह कॉन्ट्रैक्ट किसी भी वकील द्वारा बनाया जा सकता है। लीड इंडिया के कॉर्पोरेट वकील इस प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट्स बनाने या तैयार करने में एक्सपर्ट और अनुभवी है।

कॉन्ट्रैक्ट ड्राफ्ट कराने के उद्देश्य:

कॉन्ट्रैक्ट्स में बहुत शक्ति होती है। परिणामस्वरूप, इन्हे सबूत की तरह भी उपयोग किया जा सकता है। व्यावहारिक रूप से हम अपने जीवन के हर पहलू में कॉन्ट्रैक्ट्स के संपर्क में आते हैं। जब हम वेबसाइटों का उपयोग करते हैं, कैब बुक करते हैं, या यहां तक ​​कि भोजन खरीदते समय भी हम नियमित रूप से कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। यह तो सिर्फ कुछ उदाहरण हैं। इसलिए, सभी के लिए कॉन्ट्रैक्ट ड्राफ्ट कराने से संबंधित समझ होना उपयोगी भी है और जरूरी भी।

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सभी पार्टियों द्वारा एक समझौते के लिए तय की गई सारी शर्तों को स्पष्ट रूप से लिखना और परिभाषित करना ही एक कॉन्ट्रक्ट बनाने का मुख्य लक्ष्य है। 

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यह कॉन्ट्रैक्ट इस बात को भी स्पष्ट करता है कि अगर एक पार्टी अपने द्वारा स्वीकार की गयी शर्तों को पूरा नहीं करती है या अपनी बातों से मुकर जाती है तो उन्हें दंड स्वरुप किस तरह भरपाई करनी होगी। सीधे शब्दों में कहा जाए तो एक कॉन्ट्रैक्ट बनाने से पार्टियों द्वारा तय की गयी बातों पर उनकी सहमती पता चलती है। 

एक वैध कॉन्ट्रैक्ट के फैक्टर्स:

  1. कॉन्ट्रैक्ट से संबंधित पार्टियां भले ही एक व्यक्ति हो या एक निगम, सभी पार्टियों के नाम कॉन्ट्रैक्ट में सेवाओं और समय के संबंध में साफ़ साफ़ लिखे होने चाहिए। इसके अलावा, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि क्या खरीदा जा रहा था और लेन-देन कब हुआ था।
  2. जिस काम को करने या कराने के लिए पार्टियां सहमत हुई हैं उसका दायरा निर्दिष्ट किया जाना चाहिए। हर पार्टी की जिम्मेदारियों और दायित्वों को विस्तार से बताया जाना चाहिए।
  3. जब सभी पार्टियां समझौते के तहत अपने दायित्वों को पूरा कर लेती है, तो कॉन्ट्रैक्ट को बनाने का उद्देश्य पूरा हो जाता है। इसीलिए, सभी लेन-देन या सेवाओं का समय तय करना बहुत जरूरी होता है।
  4. कॉन्ट्रैक्ट में इच्छित लक्ष्य पूरा करने के साथ-साथ इसकी समय अवधि (duration) को परिभाषित करने वाले क्लॉज़ के बाद समाप्ति का प्रावधान (provision) होना चाहिए।
  5. कॉन्ट्रैक्ट से संबंधित पार्टियों के बीच शिकायतों की घटना काफी आम है। परिणामस्वरूप, किसी भी विवाद का समाधान (resolution) निकालने के लिए यह प्रावधान होने जरूरी है।
  6. क्लाइंट के हितों को और ज्यादा सुरक्षित करने के लिए, एक कॉन्ट्रैक्ट में कुछ विशेष प्रोविज़न हो सकते हैं।
  7. इस प्रकार के क्लॉज़ का एक प्रभावी उदाहरण पार्टियों को निर्देश देता है कि भविष्य की विशेष परिस्थितियों को कैसे संभालना है।
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