क्या है सरफेसी अधिनियम, इसका महत्व और जरूरी दस्तावेज

क्या है सरफेसी अधिनियम, इसका महत्व और जरूरी दस्तावेज

सरफेसी अधिनियम 2002 का कानून भारतीय बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं को न्यायालयों के हस्तक्षेप के बग़ैर उन लोगों की संपत्ति को बेचने का अधिकार प्राप्त होता है जो लोग ऋण नहीं चुकाते हैं। सरफेसी अधिनियम 2002 के द्वारा नॉन परफार्मिंग असेट की वसूली में बहुत ज़्यादा ही सुधार आ गया है। सरफेसी अधिनयम 2002 का पूरा नाम सिक्युरिटाईज़ेशन एंड री-कंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंसियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट है।

आइये आज इस आलेख के माध्यम से हम यह समझते हैं कि सरफेसी अधिनियम की आवश्यकता क्यों थी? सरफेसी अधिनियम के लिए आवश्यक दस्तावेज कौन से हैं और यह क्या करता है?

सरफेसी अधिनियम में यह प्रावधान है कि बैंक कृषि भूमि के अतिरिक्त किसी भी उधारकर्ता की संपत्ति को न्यायालय में जाए बग़ैर जब्त किया जा सकता है। सरफेसी अधिनियम, 2002 केवल सुरक्षित ऋणों के मामलों में लागू होता है जिस में अंतर्गत बैंक अंतर्निहित प्रतिभूतियों जैसे कि दृष्टिबंधक, बंधक, गिरवी आदि को लागू कर सकते हैं।

इस अधिनियम के तहत बैंक को न्यायलय से किसी आदेश की आवश्यकता नहीं होती है जब तक कि सुरक्षा अमान्य या धोखाधड़ी की न हो। हालांकि असुरक्षित संपत्ति के मामले में बैंक को डिफॉल्टर्स के खिलाफ कोर्ट में जाकर सिविल केस फाइल करना होगा।

सरफेसी अधिनियम 2002 की अपने आप में कई प्रकार की विशेषताओं को समेटे हुए है। आइये समझते हैं कि सरफेसी अधिनियम 2002 की क्या विशेषताएं हैं?

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विशेषता:

सरफेसी अधिनियम के अंतर्गत न्यायालय के हस्तक्षेप बग़ैर वित्तीय संस्थान या बैंक डिफॉल्टर्स को डिमांड नोटिस जारी कर सकने के लिए स्वतंत्र होता है और आने वाले 60 दिवसों के अंदर ही उन्हें अपना काम पूरा करना होगा। सरफेसी अधिनियम बैंकों और वित्तीय संस्थानो को यह भी अधिकार देता है कि वह आर बी आई के तहत किसी भी गिरवी रखी हुई वस्तु या ऋण प्रतिबंध का विक्रय कर सकते हैं।

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यह अधिनियम वित्तीय संस्थानों को यह अधिकार देता है कि उधार न चुका पाने किस स्थिति में बैंक या वित्तीय संस्थान उंस ऋण से बनी सम्पत्ति पर भी कब्ज़ा कर सकती है।

सरफेसी अधिनियम 2002 में कुछ दस्तावेजों की भी आवश्यकता होती है आइये जानते हैं वे कौन से आवश्यक दस्तावेज हैं जो सरफेसी अधिनियम 2002 के लिए आवश्यक होते हैं:

सरफेसी अधिनियम के लिए आवेदन करने हेतु ई फॉर्म सी एच जी 1 और ई फॉर्म सी एच जी 9 की ज़रूरत होती है। इसके अतिरिक्त जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है वे हैं:

आवश्यक दस्तावेज:

  1. शुल्क सम्बन्धी विवरण
  2. पंजीकरण का प्रमाण पत्र
  3. शुल्क के लिए बनाया गया साधन
  4. लिखत की प्रतियां
  5. दृष्टि बंधक विलेख
  6. स्वीकृति पत्र

सरफेसी अधिनियम 2002 के तहत वसूली के तीन तरीके होते हैं उन्हें भी समझना जरूरी है। आइये समझते हैं सरफेसी अधिनियम 2002 के तहत वसूली के तीन तरीके कौन से हैं?

प्रतिभूतिकरण

प्रतिभूतिकरण बाजार योग्य प्रतिभूतियों को जारी करने की प्रक्रिया है जो मौजूदा संपत्तियों जैसे घर या ऑटो ऋण के पूल द्वारा समर्थित है। एक परिसंपत्ति को विपणन योग्य सुरक्षा में परिवर्तित करने के बाद बेचा जा सकता है। एक प्रतिभूतिकरण या संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी वित्तीय संपत्ति प्राप्त करने के लिए योजनाएं बनाकर केवल योग्य संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) से धन जुटा सकती है। 

संपत्ति पुनर्निर्माण

एसेट रिकंस्ट्रक्शन एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों को सशक्त बनाता है। यह अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उधारकर्ता के व्यवसाय को बेचकर या प्राप्त करके या उधारकर्ता द्वारा देय ऋण के पुनर्निर्धारण द्वारा किया जा सकता है।

न्यायालय के व्यवधान के बिना सुरक्षा का प्रवर्तन

अधिनियम बैंकों और वित्तीय संस्थानों को उन व्यक्तियों को नोटिस जारी करने का अधिकार देता है, जिन्होंने देय राशि का भुगतान करने के लिए उधारकर्ता से एक सुरक्षित संपत्ति प्राप्त की है और उधारकर्ता के देनदार को उधारकर्ता की देय राशि का भुगतान करने का दावा करता है।

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सरफेसी अधिनियम के अंतर्गत ऐसी भी सम्पत्तियां हैं जिन्हें इस अधिनियम में शामिल नहीं किया गया है आइये जानते हैं वो कौन सी सम्पत्तियां हैं?

  1. माल की बिक्री अधिनियम, 1930 या भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के तहत जारी धन या सुरक्षा।
  2. कोई पट्टा, किराया-खरीद, सशर्त बिक्री, या कोई अन्य अनुबंध जहां कोई सुरक्षा हित नहीं बनाया गया है।
  3. माल बिक्री अधिनियम, 1930 की धारा 47 के तहत भुगतान न किए गए विक्रेता का कोई अधिकार।
  4. कोई भी संपत्ति जो नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 60 के तहत बिक्री या कुर्की के लिए उत्तरदायी नहीं है।

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