एकतरफा तलाक की पूरी प्रक्रिया क्या है?

What is the complete process of unilateral divorce

एकतरफा तलाक क्या होता है?

एकतरफा तलाक तब होता है जब एक व्यक्ति अपने साथी से विवाह खत्म करने का निर्णय लेता है, जबकि दूसरा इस निर्णय से सहमत नहीं होता। 

इसे कानूनी रूप से “ एकतरफा तलाक ” कहा जाता है, और यह आमतौर पर एक लंबी और कठिन प्रक्रिया होती है।

इस प्रक्रिया में कई कानूनी चरण होते हैं, जिसमें तलाक के लिए याचिका दायर करना, साक्ष्य प्रस्तुत करना और कोर्ट में बहस करना शामिल है।

  • आपसी तलाक (Mutual Divorce): जब दोनों पार्टनर सहमत होते हैं कि उनका विवाह समाप्त हो, तो इसे आपसी तलाक कहते हैं। इसमें कोर्ट की प्रक्रिया ज्यादा सरल होती है।
  • एकतरफा तलाक (Contested Divorce): जब केवल एक व्यक्ति तलाक चाहता है और दूसरा विरोध करता है, तब इसे एकतरफा तलाक कहा जाता है।
  • कब लिया जा सकता है?: एकतरफा तलाक तब लिया जा सकता है जब पति-पत्नी के बीच शारीरिक, मानसिक क्रूरता, व्यभिचार, या अन्य कारणों से अनबन हो।

एकतरफा तलाक के कानूनी आधार – कौन-कौन से कानून लागू होते हैं?

एकतरफा तलाक के मामले में विभिन्न कानून लागू होते हैं, जो व्यक्तिगत धर्मों के अनुसार होते हैं:

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: तलाक की प्रक्रिया धारा 13 के तहत होती है। शारीरिक और मानसिक क्रूरता, परित्याग, व्यभिचार, नपुंसकता, आदि इसके आधार होते हैं।
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ: मुस्लिम समुदाय में तलाक-ए-आहसन, तलाक-ए-हसन और तत्काल तलाक के रूप में तलाक की प्रक्रिया होती है। महिलाओं के लिए खुला, फासिद, और मुआला के रूप में तलाक के प्रावधान होते हैं।
  • क्रिश्चियन और पारसी कानून: इन धर्मों के तहत तलाक की प्रक्रिया विशेष कानूनी प्रक्रियाओं के तहत होती है।
  • स्पेशल मैरिज एक्ट: जब दोनों पार्टनर अलग-अलग धर्मों से होते हैं, तो यह एक्ट लागू होता है। इसमें तलाक की प्रक्रिया सरल होती है।

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एकतरफा तलाक के आधार क्या है?

  • मानसिक और शारीरिक क्रूरता: यदि किसी व्यक्ति को मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो यह तलाक का आधार हो सकता है।
  • परित्याग (2 वर्ष या अधिक): यदि एक पक्ष ने दूसरे पक्ष को 2 वर्ष या अधिक समय तक छोड़ रखा है, तो यह तलाक का आधार बन सकता है।
  • व्यभिचार: अगर किसी पक्ष ने व्यभिचार किया है, तो यह तलाक का कारण बन सकता है।
  • नपुंसकता: शारीरिक संबंध बनाने की क्षमता न होना।
  • धर्म परिवर्तन: यदि कोई व्यक्ति अपना धर्म बदलता है, तो यह भी तलाक का आधार हो सकता है।
  • मानसिक विकार: मानसिक विकार के कारण विवाह की स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
  • संक्रामक रोग: अगर किसी व्यक्ति को गंभीर संक्रामक रोग हो तो यह तलाक का आधार बन सकता है।
  • जीवन साथी की अनुपस्थिति (7 वर्ष): यदि जीवन साथी 7 वर्ष तक गायब रहता है और उसकी कोई जानकारी नहीं मिलती है, तो तलाक लिया जा सकता है।
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एकतरफा तलाक की कानूनी प्रक्रिया क्या है?

एकतरफा तलाक की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण चरण होते हैं, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। यहां हम इसे सरल और व्यवस्थित तरीके से समझाते हैं:

वकील से सलाह लेना

  • तलाक की प्रक्रिया शुरू करने से पहले, एक विशेषज्ञ वकील से सलाह लें
  • वकील आपकी स्थिति के आधार पर आपको सही मार्गदर्शन देगा और आपको कानूनी विकल्पों के बारे में बताएगा।

तलाक याचिका तैयार करना

  • वकील के मार्गदर्शन में, तलाक की याचिका तैयार की जाती है
  • याचिका में तलाक के कारणों का विस्तार से उल्लेख किया जाता है, जैसे शारीरिक या मानसिक क्रूरता, परित्याग, आदि।

पारिवारिक न्यायालय में याचिका दाखिल करना

  • याचिका पारिवारिक न्यायालय में दायर की जाती है। यह अदालत परिवार के मामलों से संबंधित मामलों को देखती है।
  • याचिका दायर होने के बाद, कोर्ट की ओर से दूसरे पक्ष को नोटिस भेजा जाता है।

कोर्ट द्वारा नोटिस भेजना

  • नोटिस दूसरे पक्ष (पति या पत्नी) को भेजा जाता है, ताकि वह अपना पक्ष प्रस्तुत कर सके।
  • नोटिस के बाद दूसरा पक्ष अपना जवाब (Written Statement) दाखिल करता है।

दूसरे पक्ष का जवाब (Written Statement)

  • यदि दूसरा पक्ष याचिका से सहमत नहीं होता, तो वह अपने जवाब में अपने बचाव में कारण प्रस्तुत करता है।
  • कोर्ट में यह दस्तावेज़ प्रस्तुत किया जाता है और इसे केस के हिस्से के रूप में माना जाता है।

साक्ष्य प्रस्तुत करना

  • दोनों पक्षों द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत किया जाता है, जैसे गवाह, दस्तावेज़, फोटो, मेडिकल रिपोर्ट, आदि।
  • यह साक्ष्य तलाक के कारणों को साबित करने के लिए इस्तेमाल होते हैं।

जिरह और ब

  • कोर्ट में दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें प्रस्तुत करते हैं।
  • वकील कोर्ट में अपने पक्ष की मजबूती के लिए बहस करते हैं, और दूसरे पक्ष के आरोपों का जवाब देते हैं।

कोर्ट का निर्णय

  • कोर्ट के द्वारा तलाक पर अंतिम निर्णय लिया जाता है। अगर याचिका मंज़ूर होती है, तो तलाक का आदेश जारी किया जाता है।
  • अगर दूसरा पक्ष तैयार नहीं होता, तो भी कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है (Ex-Parte)।

दस्तावेज़ों की सूची जो जरूरी होती है

तलाक की प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। ये दस्तावेज़ आपके मामले को साबित करने में मदद करते हैं। 

  • विवाह प्रमाण पत्र: यह प्रमाणित करता है कि आपकी शादी कानूनी रूप से वैध है। इसे आपकी शादी की वैधता के बारे में पुष्टि करने के लिए कोर्ट द्वारा आवश्यक माना जाता है।
  • पते और पहचान के दस्तावेज़: इन दस्तावेज़ों में आपका और आपके साथी का पता, पहचान प्रमाण (जैसे आधार कार्ड, पासपोर्ट) शामिल होते हैं। ये दस्तावेज़ न्यायालय में आपके और दूसरे पक्ष के स्थान का सत्यापन करते हैं।
  • अलग रहने की अवधि के प्रमाण: यदि आप अलग रह रहे हैं, तो आपको यह साबित करने की आवश्यकता होगी कि आप दोनों ने लंबे समय से एक दूसरे से अलग रहना शुरू कर दिया है। जैसे कि रेंट एग्रीमेंट, बिजली बिल, टेलीफोन बिल आदि के माध्यम से यह प्रमाणित किया जा सकता है।
  • आरोपों से संबंधित साक्ष्य: शारीरिक या मानसिक क्रूरता, व्यभिचार या अन्य आरोपों को साबित करने के लिए साक्ष्य जैसे मेडिकल रिपोर्ट, फोटो, कॉल रिकॉर्डिंग, और चैट्स अहम होते हैं। यह साक्ष्य आपके तलाक की याचिका को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।
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अगर दूसरा पक्ष कोर्ट न आए या जवाब न दे तो क्या होगा?

अगर दूसरा पक्ष अदालत में उपस्थित नहीं होता है या वह जवाब नहीं देता, तो यह स्थिति कोर्ट के लिए काफी अलग हो सकती है। इसे समझने के लिए निम्नलिखित पॉइंट्स देखें

  • एक्सपार्टी  कार्यवाही: अगर दूसरा पक्ष कोर्ट में उपस्थित नहीं होता, तो कोर्ट एक्स – पार्टी  कार्यवाही कर सकता है। इसका मतलब है कि बिना दूसरे पक्ष की उपस्थिति के मामले की सुनवाई की जाती है और फैसला सुनाया जाता है।
  • साक्ष्य और याचिकाकर्ता के बयान के आधार पर फैसला: इस स्थिति में, याचिकाकर्ता (जो तलाक चाहता है) के बयान और प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर कोर्ट अपना निर्णय देता है। कोर्ट याचिकाकर्ता के सभी दस्तावेज़ों और साक्ष्यों का मूल्यांकन करता है।
  • निर्णय को चुनौती देने की समयसीमा: यदि दूसरा पक्ष फैसले से असहमत है, तो उसके पास अपील करने का अधिकार होता है। अपील करने के लिए निर्धारित समय सीमा 30-90 दिन होती है।

एकतरफा तलाक में लगने वाला समय और खर्च?

एकतरफा तलाक की प्रक्रिया में समय और खर्च दोनों की अहम भूमिका होती है। इस प्रक्रिया के बारे में बुलेट प्वाइंट्स में समझें:

  • समय का अनुमान: सामान्यत: एकतरफा तलाक की प्रक्रिया में 1 से 2 साल तक का समय लग सकता है। यह समय केस की जटिलता और कोर्ट की व्यस्तता पर निर्भर करता है।
  • वकील की फीस: वकील की फीस केस के प्रकार और वकील के अनुभव के आधार पर भिन्न हो सकती है। आमतौर पर, वकील की फीस प्रति सुनवाई के हिसाब से होती है।
  • कोर्ट फीस और दस्तावेज़ों का खर्च: कोर्ट फीस भी तलाक के मामले में लगती है, और दस्तावेज़ों की प्रमाणित प्रतियों को प्राप्त करने का खर्च भी होता है। यह खर्च आपके केस की जटिलता और स्थिति के आधार पर भिन्न हो सकता है।
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क्या एकतरफा तलाक में समझौता हो सकता है?

एकतरफा तलाक की प्रक्रिया में कभी-कभी समझौता संभव होता है। यह स्थिति कैसे उत्पन्न होती है, इसे बुलेट प्वाइंट्स में देखें:

  • आपसी समझौता: तलाक के मामले में अगर दोनों पक्ष सहमत होते हैं, तो यह मामला म्यूच्यूअल डाइवोर्स में बदल सकता है। इस स्थिति में दोनों पार्टनर मिलकर कोर्ट को यह बताने के लिए आवेदन करते हैं कि उनका तलाक आपसी सहमति से हो रहा है।
  • मेडिएशन सेंटर और लोक अदालत: यदि दोनों पार्टनर समझौते के लिए तैयार होते हैं, तो मेडिएशन सेंटर या लोक अदालत की सहायता ली जा सकती है। यहां पर दोनों पक्षों के बीच सुलह होती है, और फिर मामला दोनों की सहमति से हल हो जाता है।

महिला/पुरुष को क्या विशेष अधिकार मिलते हैं?

तलाक के मामलों में पुरुष और महिला दोनों को कुछ विशेष अधिकार मिलते हैं, जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं।

  • पत्नी को अधिकार: तलाक के बाद पत्नी को भरण-पोषण (Maintenance) का अधिकार होता है। यदि बच्चे हैं, तो पत्नी को बच्चों की कस्टडी का अधिकार भी हो सकता है।
  • पति को अधिकार: अगर पत्नी ने झूठे आरोप लगाए हैं, तो पति को अपने सम्मान की रक्षा का अधिकार होता है। तलाक के मामलों में पति को संपत्ति विवाद में भी सुरक्षा मिलती है, जैसे कि वह अपनी संपत्ति पर नियंत्रण बनाए रख सकता है।

निष्कर्ष

तलाक का निर्णय आसान नहीं होता, लेकिन कभी-कभी यह जरूरी होता है। सही कानूनी सलाह और सही दस्तावेजों के साथ आप इस प्रक्रिया को सरल बना सकते हैं।

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FAQs

1. एकतरफा तलाक कितने समय में हो सकता है?

एकतरफा तलाक में आमतौर पर 1 से 2 साल तक का समय लगता है, केस की जटिलता पर निर्भर।

2. क्या बिना पार्टनर की उपस्थिति के तलाक हो सकता है?

हां, यदि दूसरा पक्ष कोर्ट न आए तो एक्स-पार्टी सुनवाई से बिना उपस्थिति के तलाक मिल सकता है।

3. क्या पत्नी Maintenance मांग सकती है?

हां, पत्नी को एकतरफा तलाक के बाद भरण-पोषण (Maintenance) का कानूनी अधिकार प्राप्त होता है।

4. क्या तलाक के बाद अपील की जा सकती है?

हां, कोर्ट के फैसले के 30 से 90 दिनों के भीतर ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है।

5. अगर पति/पत्नी तलाक नहीं देना चाहता तो क्या कोई उपाय है?

अगर दूसरा पक्ष तलाक नहीं चाहता तो कोर्ट एकतरफा सुनवाई के बाद भी तलाक का निर्णय दे सकता है।

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