जब भी हम कानून या अधिनियम दो शब्दों को सुनते हैं तो कई बार भूल वश या जानकारी के अभाव में हम दोनों ही शब्दों को एक मान लेते हैं लेकिन सच्चाई कुछ और है। कानून और अधिनियम यह दोनों ही शब्द अलग-अलग हैं और इनका अर्थ भी काफी अलग है इस आर्टिकल में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि आखिर कानून और अधिनियम वास्तव में होते क्या हैं और कैसे यह एक दूसरे से अलग है ?
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कानून क्या होता है?
आसान शब्दों में समझे तो कानून एक प्रणाली है जो लोगों को निर्देशित करती है कि उन्हें उस देश में किस तरह आचार व्यवहार का पालन करना है जिस देश में वो रहते हैं या गए हैं। या कहें तो अलग-अलग स्थितियों में किस तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए जिससे समाज से लेकर के देश तक सुरक्षित और संयमित बना रहे इस पूरी प्रक्रिया को कानून कहते हैं तथा यह विभिन्न प्रकार के सरकारी संस्थाओं के द्वारा नियंत्रित और संचालित किए जाते हैं। कानून का हमेशा यह प्रयास रहता है कि संविधान में वर्णित सभी अधिकारों का सुचारू रूप से आम नागरिक से लेकर ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी तक सभी पालन करें| एक देश के नागरिक उस देश के कानून के अंतर्गत आते हैं। एक देश में कानून सब नागरिकों को एक सामान अधिकार देने की गारंटी करता है| यदि कोइ व्यक्ति किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा प्रताड़ित किया जाता है तो ऐसे में वह कानून की मदद से ही न्याय की मांग कर सकता है और जांच करके उसे कानून के माध्यम से ही न्याय भी दिलाया जाता है।
अगर हम इसे एक उदाहरण के साथ देखें तो भारत में एक कानून है ड्राइविंग लाइसेंस के बिना कोई भी व्यक्ति गाड़ी नहीं चला सकता। इसलिए यातायात विभाग के सरकारी ऑफीसर इस कानून को देश में लागू करने के लिए शक्ति से कदम उठाते हैं तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस गाड़ी ना चलाए और यदि कोई व्यक्ति इसके बावजूद बिना लाइसेंस गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है तो उसे उचित जुर्माना और दंड देना पड़ता है।
अतः कानून समाज में समता और समरसता लाने और बनाये रखने के लिए अत्यंत उपयोगी नियम होते हैं अतः प्रत्येक व्यक्ति को इनका सम्मान करना चाहिए।
अधिनियम क्या है?
अधिनियम मुख्य रूप से किसी कानून को बनाने या उसे परिवर्तित करने की प्रक्रिया है। भारत में इसे संसद द्वारा पारित किया जाता है। संसद में पहले एक विधेयक पास होता है जिस पर एक निश्चित संख्या में संसद के सदस्यों की स्वीकृति होनी अनिवार्य होती है और इसे संसद के दोनों सदनों “लोकसभा” और “राज्यसभा” में उचित बहुमत से पास किया जाता है|
अधिनियम और कानून के बीच का अंतर
कानून मुख्य रूप से पहले से ही अस्तित्व में होता है वह लागू होता है तथा देश में वह संचालित भी होता है। जबकि अधिनियम मूल रूप से किसी प्रचलित कानून में संशोधन या नए कानून का मसौदा होता है जो उच्च सदन तथा निम्न सदन में पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ लागू होता है। इसके अतिरिक्त अधिनियम के अंतर्गत कानून को कैसे लागू किया जाए अथवा कैसे उसकी प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए यह जानकारी दी होती है।
जबकि कानून दिशानिर्देशों तथा नियमों का लिखित स्वरूप होता है जिसे राज्य द्वारा स्वीकृत और संचालित किया जाता है और देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक द्वारा स्वीकार और पालन किया जाता है|
इसके अतिरिक्त अधिनियम किसी विशेष विषय पर ध्यान केंद्रित करके संसद में पेश किया जाने वाला विधायक होता है जिसके अंतर्गत उसे विषय से संबंधित अनेक प्रकार के प्रावधान सम्मिलित किए जाते हैं। वही कानून अधिकतर समाज को सुचारू ढंग से संचालित करने के लिए और नियंत्रित करने के लिए बनाए जाते हैं यह एक तरह से सिद्धांत या नियम के रूप में होते हैं।
अधिनियम का मुख्य उद्देश्य समाज में विशिष्ट प्रकार की स्थितियां के बारे में सूचित करना होता है। कानून समाज में किसी भी तरह की व्यवस्था न फैलने पाए और कोई अनुचित प्रथा न जन्म ले ले इसलिए बनाया जाता है।
अतः कानून का उद्देश्य सदैव अपने देश के नागरिकों के लिए अच्छे आचरण और संविधान के अनुरूप व्यवहार करना होता है जबकि अधिनियम समय समय पर विशिष्ट प्रकार की स्थितियों को नियंत्रित करने के लिए बनाए जाते हैं।
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