भारत में रोजगार की क्या स्थिति है?

भारत में रोजगार की क्या स्थिति है?

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की गति में श्रम और रोजगार का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता  हैं। भारत, जो एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनने की पटरी पर चल रहा है, लेकिन अपने विशाल जनसंख्या‌ के साथ श्रम और रोजगार सम्बंधित कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। एक तरफ देश की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है दूसरी तरफ रोजगार के साधन कम हो रहे हैं। नए स्टार्टअप्स उद्योग खुल तो रहे हैं लेकिन जनसंख्या के परिदृश्य से रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इस लेख में, हम भारत में श्रम एवं रोजगार के मुख्य पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे और समस्याओं का समाधान ढूंढेंगे।”

भारत में रोजगार की स्थिति

बीते कुछ सालों भारत में रोजगार की स्थितियों में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। 2017-18 में जो बेरोजगारी दर 6% थी वो घटकर 2019-20 में 4.8% हो गई थी। कोविड महामारी के दौरान देश में ज़्यादातर उद्योग बंद हो गए थे इसलिए इस बीच रोजगार में काफी कमी देखने को मिली। लेकिन इसके बाद पुनः धीरे धीरे बेऱोजगारी में गिरावट आ रही है। हालांकि हाल ही में हुए सर्वे में मार्च 2023 में बेरोजगारी दर 8.11% रिकार्ड की गई ।

आक्सफैम इंडिया के मुताबिक, भारत में रोज़गार का एक बड़ा संकट है. इस संकट का समय रहते समाधान नहीं हुआ, तो समाज की स्थिरता और शांति पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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भारत में बेरोजगारी के कारण 

भारतीय श्रम बाज़ार में लंबे समय के बाद भी लोगों को अच्छा रोज़गार न प्रदान करने के लिए कई कारण हैं। जैसे

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तेजी से बढ़ती जनसंख्या

भारत में बेरोज़गारी का सबसे बड़ा कारण बढ़ती जनसंख्या है। भारत में तेज़ी से जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन यहां उतने संसाधन नहीं हैं कि बेरोज़गारी को खत्म किया जा सके। अगर जनसंख्या को नियंत्रित नहीं किया गया, तो आने वाले समय में और मुश्किलें बढ़ती जाएंगी। तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या अर्थव्यवस्था को बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी और अल्प-रोज़गार में डुबो देती है। इससे आय, बचत, और निवेश कम हो जाता है. इस तरह, पूंजी निर्माण मंद हो जाता है और नौकरी के अवसर कम हो जाते हैं। अतः तेजी के साथ बढ़ती जनसंख्या जो रोजगार की तमाम संभावनाओं को भी खत्म कर रही है।

शिक्षा और कौशल की कमी

भारत में बेरोज़गारी का दूसरे सबसे प्रमुख कारणों में से एक शिक्षा और कौशल की कमी है। शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयासों के बावजूद भी आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा निरक्षर है और नौकरी के लिए बाज़ार में वह अन्य युवाओं से प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं है क्योंकि उनके पास कौशल का अभाव है। लोग बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर के बैठे हैं लेकिन उन्हें आधुनिक प्रदेश में काम करने का हुनर नहीं हासिल है तो इसलिए बड़ी-बड़ी कंपनी में उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है।

निवेश की कमी

दुनिया भर में जितनी भी बड़ी कंपनियां हैं जो रोजगार का सृजन करती हैं वो सभी निवेशकों के माध्यम से चलती है। जब भी किसी देश में निवेश की कमी होती है तो स्वाभाविक रूप से व्यापार कम हो जाता है और ऐसे में बेरोज़गारी बढ़ जाती है। अगर दूसरे देशों से तुलना करें तो अमेरिका जैसे देश में 60% से ज्यादा ल़ग निवेश करते हैं वहीं भारत में सिर्फ 3% लोग निवेश करते हैं इसलिए कम निवेश भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है।

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बेरोजगारी का समाधान 

बेरोज़गारी भारतीय रोज़गार के लिए बड़ी समस्या है। इसकी चुनौतियों का सम्बन्ध निम्नलिखित है:

  • शैक्षणिक संस्थानों में युवाओं को अच्छी तकनीकी शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है।
  • रोज़गार उत्पादक शिक्षा बाजार में लोगों की तुलना में अधिक उपयोगी ज्ञान प्रदान करना चाहिए।
  • तकनीकी प्रोफ़ेशनल्स के विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देना चाहिए।
  • युवाओं को आईटी के क्षेत्र में योग्यता प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।
  • श्रम बाज़ार को व्यापक सेक्टर विकास और कौशल विकास के माध्यम से स्थायी रोज़गार प्रदान करना चाहिए।
  • केंद्र और राज्य सरकारों को साथ मिलकर कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।

अतः भारत में श्रम और रोज़गार विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा प्रणाली में सुधार, औद्योगिक क्षेत्र में कौशल विकास, हमारे ग्रामीण क्षेत्रों का विकास, और नगरीकरण में सुधार करके, हम भारत में श्रम और रोज़गार के लिए सशक्त समाधान ढूंढ सकते हैं। सरकार के सहयोग से, हमें विभिन्न क्षेत्रों में नये रोज़गार के अवसरों का सही उपयोग करना चाहिए। 

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